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उत्तराखंड के इस मंदिर में श्रीराम ने की थी भगवान शिव की विशेष पूजा, ब्रह्म हत्या के दोष से पाई थी मुक्ति

Kamleshwar Mahadev Temple देवभूमि उत्तराखंड के कण-कण में देवताओं का वास है. यहां भगवान राम और माता सीता का भी उत्तराखंड के गहरा नाता है. कहा जाता है कि जब भगवान राम, राणव का वध कर अयोध्या लौटे थे, तो उन पर ब्रह्म हत्या का दोष लग गया था. उसी से मुक्ति पाने के लिए प्रभु श्री राम ने उत्तराखंड के एक मंदिर में स्वयंभू शिवलिंग की एक माह तक पूजा की थी. इस मंदिर और कथा को लेकर ईटीवी भारत आज आपको बताने जा रहा है.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 18, 2024, 6:48 PM IST

Updated : Jan 18, 2024, 8:23 PM IST

उत्तराखंड के इस मंदिर में श्रीराम ने की थी भगवान शिव की विशेष पूजा

श्रीनगर (उत्तराखंड): पूरा देश इस समय भगवान राम की भक्ति में डूबा हुआ है. 22 जनवरी को अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को देशभर में उत्सव की तरह मनाया जा रहा है. वहीं देश भर के मंदिरों में इस मौके पर कई तरह के धार्मिक अनुष्ठान और आयोजन कराए जा रहे हैं. उत्तराखंडवासी भी अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा उत्सव को लेकर बेहद उत्साहित हैं. इस मौके पर ईटीवी भारत आपको उत्तराखंड एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहा है, जिसका संबंध भगवान श्री राम से है.

जिस मंदिर की हम बात कर रहे हैं, वो मंदिर उत्तराखंड के पौड़ी जिले के श्रीनगर गढ़वाल में स्थित है. इस मंदिर का नाम है कमलेश्वर महादेव. इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहीं पर प्रभु श्री राम ने भगवान शिव की आराधना की थी और ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति पाई थी. आज भी बड़ी संख्या में यहां भक्त पूजा-पाठ करने आते हैं.
पढ़ें- उत्तराखंड के सीतावनी मंदिर में लव कुश संग विराजमान हैं सीता माता, ये है इस देवालय का इतिहास

भगवान राम ने यहां पाई थी ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्ति: कमलेश्वर मंदिर के महंत आशुतोष पुरी बताते हैं कि त्रेतायुग में लंकापति रावण के वध के बाद भगवान श्री राम पर ब्रह्म हत्या का दोष लगा गया था क्योंकि रावण ब्राह्मण और प्रकांड पंडित था. मान्यता के अनुसार इस दोष से मुक्ति पाने के लिए भगवान राम अपने गुरू विश्वमित्र की शरण में गए. विश्वमित्र ने भगवान राम को इस मंदिर के साथ चारधाम यात्रा करने का परामर्श दिया था, जिसके बाद भगवान राम देवभूमि उत्तराखंड आए थे.

बताया जाता है कि पहले तो भगवान राम ने लंबे समय तक अलकनंदा और मंदाकिनी के संगम स्थल देवप्रयाग में गंगा किनारे तपस्या की. इसके बाद प्रभु श्रीराम कमलेश्वर महादेव मंदिर पहुंचे, जहां भगवान राम ने स्वयंभू शिवलिंग पर एक माह तक रोजाना सहस्त्र कमल भगवान शिव को अर्पित किए थे. इस पूजा के बाद ही भगवान राम को ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्ति मिली थी.
पढ़ें- प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दिन केंद्रीय कर्मचारियों को मिलेगी आधे दिन की छुट्टी

श्री कृष्ण ने भी किया था व्रत: इस मंदिर को लेकर एक और मान्यता है कि यहां द्वापर युग में श्री कृष्ण ने पत्नी जामवंती के कहने पर यहां दीपक को रातभर हाथ में रखकर कड़ा व्रत किया था. इस व्रत के बाद उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई थी जिसका नाम स्वाम रखा गया. इसके बाद हर साल बैकुंठ चतुर्दशी को दंपति संतान प्राप्ति के लिए यहां ऐसा ही व्रत करते हैं.

कैसे पहुंचे कमलेश्वर मंदिर: कमलेश्वर मंदिर उत्तराखंड के पौड़ी जिले के श्रीनगर गढ़वाल क्षेत्र में स्थित है. यहां आप सड़क मार्ग तक ही पहुंच सकते है. कमलेश्वर मंदिर श्रीनगर गढ़वाल से करीब 12 किमी और मुख्य सड़क से करीब 200 मीटर की दूरी पर है. कमलेश्वर मंदिर आने के लिए आप ऋषिकेश तक ट्रेन से भी आ सकते है. वहीं फ्लाइट से आने वाले भक्तों के लिए निकटतम हवाई अड्डा देहरादून का जौलीग्रांट एयरपोर्ट है, जो कमलेश्वर मंदिर के करीब 150 किमी दूर है.

उत्तराखंड के इस मंदिर में श्रीराम ने की थी भगवान शिव की विशेष पूजा

श्रीनगर (उत्तराखंड): पूरा देश इस समय भगवान राम की भक्ति में डूबा हुआ है. 22 जनवरी को अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को देशभर में उत्सव की तरह मनाया जा रहा है. वहीं देश भर के मंदिरों में इस मौके पर कई तरह के धार्मिक अनुष्ठान और आयोजन कराए जा रहे हैं. उत्तराखंडवासी भी अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा उत्सव को लेकर बेहद उत्साहित हैं. इस मौके पर ईटीवी भारत आपको उत्तराखंड एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहा है, जिसका संबंध भगवान श्री राम से है.

जिस मंदिर की हम बात कर रहे हैं, वो मंदिर उत्तराखंड के पौड़ी जिले के श्रीनगर गढ़वाल में स्थित है. इस मंदिर का नाम है कमलेश्वर महादेव. इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहीं पर प्रभु श्री राम ने भगवान शिव की आराधना की थी और ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति पाई थी. आज भी बड़ी संख्या में यहां भक्त पूजा-पाठ करने आते हैं.
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भगवान राम ने यहां पाई थी ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्ति: कमलेश्वर मंदिर के महंत आशुतोष पुरी बताते हैं कि त्रेतायुग में लंकापति रावण के वध के बाद भगवान श्री राम पर ब्रह्म हत्या का दोष लगा गया था क्योंकि रावण ब्राह्मण और प्रकांड पंडित था. मान्यता के अनुसार इस दोष से मुक्ति पाने के लिए भगवान राम अपने गुरू विश्वमित्र की शरण में गए. विश्वमित्र ने भगवान राम को इस मंदिर के साथ चारधाम यात्रा करने का परामर्श दिया था, जिसके बाद भगवान राम देवभूमि उत्तराखंड आए थे.

बताया जाता है कि पहले तो भगवान राम ने लंबे समय तक अलकनंदा और मंदाकिनी के संगम स्थल देवप्रयाग में गंगा किनारे तपस्या की. इसके बाद प्रभु श्रीराम कमलेश्वर महादेव मंदिर पहुंचे, जहां भगवान राम ने स्वयंभू शिवलिंग पर एक माह तक रोजाना सहस्त्र कमल भगवान शिव को अर्पित किए थे. इस पूजा के बाद ही भगवान राम को ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्ति मिली थी.
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श्री कृष्ण ने भी किया था व्रत: इस मंदिर को लेकर एक और मान्यता है कि यहां द्वापर युग में श्री कृष्ण ने पत्नी जामवंती के कहने पर यहां दीपक को रातभर हाथ में रखकर कड़ा व्रत किया था. इस व्रत के बाद उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई थी जिसका नाम स्वाम रखा गया. इसके बाद हर साल बैकुंठ चतुर्दशी को दंपति संतान प्राप्ति के लिए यहां ऐसा ही व्रत करते हैं.

कैसे पहुंचे कमलेश्वर मंदिर: कमलेश्वर मंदिर उत्तराखंड के पौड़ी जिले के श्रीनगर गढ़वाल क्षेत्र में स्थित है. यहां आप सड़क मार्ग तक ही पहुंच सकते है. कमलेश्वर मंदिर श्रीनगर गढ़वाल से करीब 12 किमी और मुख्य सड़क से करीब 200 मीटर की दूरी पर है. कमलेश्वर मंदिर आने के लिए आप ऋषिकेश तक ट्रेन से भी आ सकते है. वहीं फ्लाइट से आने वाले भक्तों के लिए निकटतम हवाई अड्डा देहरादून का जौलीग्रांट एयरपोर्ट है, जो कमलेश्वर मंदिर के करीब 150 किमी दूर है.

Last Updated : Jan 18, 2024, 8:23 PM IST
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