नई दिल्ली : संसद में सरकार ने आज नेशनल कमीशन फॉर इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन (अमेंडमेंट) बिल, 2021 पेश किया. लोक सभा में हंगामे के कारण प्रश्नकाल स्थगित कर दिया गया. 12 बजे कार्यवाही शुरू होने के बाद पीठासीन सभापति राजेंद्र अग्रवाल ने विधेयक को पुरस्थापित करने की अनुमति दी. इसके बाद भी हंगामा जारी रहा और कार्यवाही 12.30 बजे तक स्थगित कर दी गई. हंगामा जारी रहा और इसी बीच सरकार ने तीन विधेयकों को पारित करा लिया.
दोपहर दो बजे कार्यवाही दोबारा शुरू होने के बाद पीठासीन रमा देवी ने कार्यवाही सुचारू रूप से चलाने की अपील की. हालांकि, सांसदों के हंगामे के कारण रमा देवी ने कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी. लोक सभा की कार्यवाही मंगलवार पूर्वाह्न 11 बजे शुरू होगी.
इससे पहले केंद्र सरकार की ओर से असम के पूर्व सीएम और वर्तमान में केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने नेशनल कमीशन फॉर इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन (अमेंडमेंट) बिल, 2021 पेश किया. संसद के मानसून सत्र के 15वें दिन आयुष मंत्री सोनोवाल ने विपक्षी सदस्यों के शोर-शराबे के बीच ही 'राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग (संशोधन) विधेयक, 2021 भी पेश किया. लोक सभा में आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि यह विधेयक देश में होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण है.
इस विधेयक के माध्यम से राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग अधिनियम, 2020 की धारा 58 में एक उपधारा अंत:स्थापित कर संशोधन का प्रस्ताव किया गया है. बता दें कि राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग का गठन 5 जुलाई, 2021 को किया गया था.
विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि होम्योपैथी केंद्रीय परिषद अधिनियम 1973 (निरसन अधिनियम) का संशोधन होम्योपैथी केंद्रीय परिषद संशोधन अधिनियम 2018 (2018 का 23) द्वारा किया गया. इसके तहत होम्योपैथी केंद्रीय परिषद को अधिकार में लेने और निरस्त किये गए अधिनियम के अधीन एक वर्ष की अवधि के भीतर केंद्रीय परिषद का पुनर्गठन नहीं होने तक केंद्रीय परिषद की शक्तियों का प्रयोग करने के लिए शासी बोर्ड गठित करने के वास्ते केंद्र सरकार को सशक्त करने के लिए संशोधन किया गया.
इसमें कहा गया है कि हालांकि होम्योपैथी केंद्रीय परिषद का पुनर्गठन उक्त अवधि में नहीं हो सका. इसलिए अवधि को समय-समय पर अध्यादेशों के जरिये एक वर्ष से दो वर्ष और दो वर्ष से तीन वर्ष किया गया.
अध्यादेश लाई सरकार
विधेयक के उद्देश्यों में कहा गया है कि चूंकि शासी बोर्ड शैक्षणिक वर्ष 2021-22 के लिए निरीक्षण करने की प्रक्रिया में था, इसके कार्यकाल का अंत 17 मई, 2021 को हो रहा था तथा परिषद के पुनर्गठन की अवधि तीन वर्ष से चार वर्ष करना जरूरी था. इसके लिए 16 मई, 2021 को अध्यादेश लाया गया.
इसके बाद संविधान (127वां) संशोधन विधेयक भी पुरस्थापित किया गया. सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से संबंधित 'संविधान (127वां संशोधन) विधेयक, 2021' पेश किया जो राज्य सरकार और संघ राज्य क्षेत्र को सामाजिक तथा शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों की स्वयं की राज्य सूची/संघ राज्य क्षेत्र सूची तैयार करने के लिए सशक्त बनाने की तैयारी की है.
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विपक्ष की ओर से कई सांसदों ने सदन में अव्यवस्था के बीच विधेयकों को पेश किए जाने का पुरजोर विरोध किया. सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, पार्टी सांसद मनीष तिवारी और तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने हंगामे के बीच विधेयकों को पेश किये जाने का विरोध किया और कहा कि यह संविधान तथा सदन के नियमों की अवहेलना है.
(एजेंसी इनपुट)