चंडीगढ़: हरियाणा में इस बार विधानसभा चुनाव से पहले लोकसभा चुनाव ज्यादा चर्चा में है. इसकी वजह भी है, इंडिया गठबंधन बनने के बाद कांग्रेस और आम आदमी पार्टी एक साथ चलने के लिए सीट शेयरिंग पर चर्चा कर रही है, लेकिन सवाल यह है कि क्या कांग्रेस हरियाणा लोकसभा चुनाव में आप को उसका हाथ थामने देगी? वही हरियाणा सरकार बीजेपी और जेजेपी के गठबंधन से चल रही है. ऐसे में बार बार सवाल सामने आ रहा है कि क्या बीजेपी और जेजेपी लोकसभा चुनाव मिलकर लड़ेंगे या फिर अलग-अलग?
क्या हरियाणा साथ लड़ेगी कांग्रेस और आप लोकसभा चुनाव?: इंडिया गठबंधन सीट शेयरिंग को लेकर लगातार मंथन कर रहा है, लेकिन हरियाणा में कांग्रेस पार्टी जहां सभी दस सीटों पर लड़ने की तैयारी कर चुकी है. वहीं, आम आदमी पार्टी भी सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है. अगर इंडिया गठबंधन के फॉर्मूले की बात की जाए तो उसमें आम आदमी पार्टी को हरियाणा में सीट देने के हालात नहीं बन रहे हैं. क्योंकि चर्चा का आधार पिछले लोकसभा चुनाव के नतीजे हैं. जहां भले ही कांग्रेस हरियाणा में खाता नहीं खोल पाई थी. वहीं, आप के उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी. ऐसे में इस गठबंधन की सीट शेयरिंग में हरियाणा में आप को कोई भी सीट मिलना मुश्किल है.
हरियाणा में सीट शेयरिंग को लेकर दिल्ली में मंथन: इंडिया गठबंधन के तहत आप के साथ हरियाणा में सीट शेयरिंग को लेकर दिल्ली में मंथन हुआ है, लेकिन अभी इसका कोई फैसला नहीं निकल पाया है. वहीं, नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा कह चुके हैं कि जो भी बात होगी टेबल पर होगी, पिछले चुनाव के क्या नतीजे रहे उसके मुताबिक इस पर चर्चा की जाएगी. वहीं आम आदमी पार्टी के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट अनुराग ढांडा कहते हैं कि इंडिया गठबंधन लोकसभा चुनाव के लिए बना है. जिसके लिए कोऑर्डिनेशन कमेटी तय करेगी कि किसको कितनी सीट मिलेगी. हरियाणा में विधानसभा चुनाव आम आदमी पार्टी अपने दम पर लड़ेगी और सरकार बनाएगी.
बीजेपी और जेजेपी की भी लोकसभा चुनाव में गठबंधन को लेकर स्थिति नहीं है साफ?: इधर बीजेपी भी सभी 10 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए हरियाणा में तैयार है. उसका सहयोगी दल भी सभी दस चुनाव लड़ने की तैयारी में है. वहीं बीजेपी, जेजेपी को क्या हरियाणा में लोकसभा चुनाव के तहत कोई सीट देगी इसको लेकर भी अभी तक संशय बरकरार है. बीजेपी के नेता इस मामले में हाईकमान के पाले में गेंद डालते दिखाई देते हैं. वहीं, जेजेपी के नेता भी इस मामले को भविष्य पर छोड़ देते हैं.
लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी और जेजेपी की तैयारी: जेजेपी के साथ गठबंधन बीजेपी करेगी या नहीं इसको लेकर ईटीवी भारत से बातचीत में हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल कह चुके हैं कि बीजेपी हरियाणा में अकेले चुनाव लड़ने में सक्षम है, बाकी गठबंधन में चुनाव लड़ने का फैसला हाईकमान करेगा. इधर जीजेपी भी हरियाणा की 10 की 10 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है. इसके तहत जेजेपी नेता लोकसभा क्षेत्र में रैलियां भी कर रहे हैं.
हालांकि लोकसभा सीटों पर बीजेपी और जेजेपी अलग-अलग या फिर गठबंधन में चुनाव लड़ेगी, इस पर मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला कहते हैं कि इस पर फैसला दोनों पार्टियां मिलकर करेंगी. यानी अभी कांग्रेस और आप ही नहीं बल्कि बीजेपी और जेजेपी भी लोकसभा चुनाव में साथ जाना है या नहीं इसका फैसला नहीं कर पाई है. लोकसभा सीटों को लेकर बन रहे हालातों का क्या असर होगा ? गठबंधन न होने की स्थिति में क्या होगा नफा नुकसान हो सकता है? यह कुछ ऐसे सील हैं जो हरियाणा की राजनीति में बने हुए हैं.
क्या कहते हैं राजनीतिक मामलों के जानकार?: आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन को लेकर राजनीतिक मामलों के जानकार धीरेंद्र अवस्थी कहते हैं कि गठबंधन पिछले चुनाव के नतीजों के परफॉर्मेंस के आधार पर किया जा रहा है. वे कहते हैं कि टेबल पर बैठकर जब इसको लेकर चर्चा हो रही है तो यह देखा जा रहा है कि पिछले चुनाव में आपका जनाधार क्या था. वे कहते हैं कि जहां तक बात आम आदमी पार्टी के पिछले चुनाव की परफॉर्मेंस की है तो उनके सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई है. ऐसे में उनका सीट मांगने का आधार बनता नहीं है.
क्या कहते हैं नेता प्रतिपक्ष?: वे कहते हैं कि कांग्रेस हाईकमान से भी ऐसा ही संदेश आ रहा है और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी कह चुके हैं कि हरियाणा में आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन होने वाला नहीं है. वह कहते हैं कि बड़ी बात यह है कि अरविंद केजरीवाल का जन्म हरियाणा का है. उसके बावजूद उनके सारे उम्मीदवारों की अभी तक जमानत जब्त हुई है. वे कहते हैं कि हरियाणा में आप का कोई तार्किक आधार बनता नहीं है.
AAP चे चुनाव लड़ने का किस पार्टी पर असर: धीरेंद्र अवस्थी कहते हैं अगर हरियाणा में आप और कांग्रेस का गठबंधन नहीं हुआ और आम आदमी पार्टी ने सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे तो इसका क्या असर होगा? इस पर राजनीतिक विश्लेषक का कहना है कि आम आदमी पार्टी अगर सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ती है तो उसको जो भी थोड़ा बहुत वोट मिले,गा वह शहरी क्षेत्र में होगा. उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्र ज्यादातर बीजेपी का वोट बैंक माना जाता है, इसलिए इसका नुकसान भाजपा को ज्यादा होगा, हालांकि इसका कुछ नुकसान कांग्रेस को भी होगा. यानी 19 या 20 यह दोनों पार्टियों का नुकसान करेंगे.
हरियाणा में बीजेपी जेजेपी गठबंधन: बीजेपी और जेजेपी के लोकसभा चुनाव को लेकर गठबंधन पर राजनीतिक मामलों के जानकार का कहना है कि जननायक जनता पार्टी का हरियाणा में भविष्य ज्यादा दिखता नहीं है जो भी गठबंधन हुआ है वह बीजेपी हाईकमान यानी अमित शाह के जरिए हुआ है. यह बात जननायक जनता पार्टी का शीर्ष नेतृत्व भी अक्सर कहता है. वे कहते हैं कि जहां तक हरियाणा को बीजेपी की बात है तो इसके नेता अकेले चुनाव मैदान में जाने के लिए पहले से तैयार हैं. वे कहते हैं कि हरियाणा की लोकल यूनिट पार्टी की बिल्कुल भी बीजेपी के साथ गठबंधन नहीं करना चाहती है.
लोकसभा चुनाव को लेकर कैसी है बीजेपी की स्थिति?: राजनीतिक विश्लेषक के अनुसार बीजेपी का पूरे देश में गठबंधन को लेकर जो इतिहास है वह यह है कि किसी पार्टी का किसी भी पॉकेट में अगर 2% भी जनाधार है तो बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व उसे पार्टी को इतनी आसानी से छोड़ना नहीं है. इसके लिए भी उत्तर प्रदेश का उदाहरण देते हुए कहते हैं कि जैसे उत्तर प्रदेश में राजभर की पार्टी है, संजय निषाद की पार्टी है. इनका वहां पर छोटा-छोटा वोट बैंक है कहीं 2 प्रतिशत है, कहीं 3 प्रतिशत है. वे कहते हैं कि जब बीजेपी का इंटरनल सर्वे भी कह रहा है पिछले चुनाव की तरह 10 की 10 सीटों पर जितना इस बार संभव नहीं होगा. कुछ सीटों पर स्थिति अच्छी नहीं है. ऐसे में अगर उन्हें लगा कि जननायक जनता पार्टी को एक या दो सीट देकर कुछ सीटों को बचाया जा सकता है तो वह समझौता कर लेंगे. उन्होंने कहा कि अभी भी 50-50 प्रतिशत इस बात की चांस है कि बीजेपी और जेजेपी का गठबंधन हो जाए.
उम्मीदवारों के घोषित होने के बाद स्थिति होगी साफ: हरियाणा में कांग्रेस अलग आम आदमी पार्टी अलग और बीजेपी और जेजेपी अलग-अलग चुनाव लड़े तो वे किस तरीके के हालात देखते हैं? इस पर धीरेंद्र अवस्थी कहते हैं कि अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी. उम्मीदवारों के घोषित होने के बाद ही स्थिति साफ हो पाएगी. उन्होंने कहा कि अभी जो स्थिति दिखाई दे रही है उसके मुताबिक बीजेपी के 50% उम्मीदवारों के खिलाफ जनता में रोष है. ऐसे में अभी 50-50 ( बीजेपी और कांग्रेस ) की स्थिति बनी हुई है. वे कहते हैं कि हालांकि चुनाव में सीटों का बंटवारा और उम्मीदवारों के चयन पर भी बहुत कुछ निर्भर करता है.
हरियाणा में सीट बंटवारे को लेकर AAP-कांग्रेस में पेंच!: इधर हरियाणा में लोकसभा चुनाव को लेकर बन रही स्थितियों को लेकर राजनीतिक मामलों के जानकार राजेश मोदगिल कहते हैं कि हरियाणा में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन यानी सीटों का बंटवारा आसानी से नहीं हो पाएगा. वे कहते हैं कि इसकी उम्मीद कम है कि कांग्रेस पार्टी आपको हरियाणा में कोई सीट दे, क्योंकि जो चर्चा हो रही है वह पिछले चुनाव के आधार पर की जा रही है, जिसमें आम आदमी पार्टी पिछड़ती नजर आती है. हालांकि वह कहते हैं कि इस पर अंतिम फैसला तो आला नेताओं को ही करना है.
सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस और आप में नहीं बनी बात तो किसे होगा फायदा?: अगर दोनों कांग्रेस और आम आदमी पार्टी अलग-अलग चुनाव लड़ती है तो इसका किसको फायदा नुकसान होगा? इस पर राजेश मोदगिल कहते हैं कि अगर राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस का आप का कुछ राज्यों में गठबंधन हो जाता है, और हरियाणा में ऐसा नहीं हो पता है तो, उस स्थिति में उनके अलग-अलग लड़ने से कांग्रेस और आप की लड़ाई का फायदा बीजेपी को मिल सकता है. इन दोनों दलों को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है. क्योंकि इससे बीजेपी को उन पर निशाना साधने में और आसानी होगी.
आगामी चुनाव बीजेपी-जेजेपी गठबंधन और कांग्रेस-आप के लिए अहम: वहीं, बीजेपी और जेजेपी को लेकर राजनीतिक विश्लेषक राजेश मोदगिल कहते हैं कि इन दोनों दलों की गठबंधन में हरियाणा में सरकार चल रही है. जहां तक बात लोकसभा चुनाव की है तो अगर बीजेपी हाईकमान को लगेगा कि जननायक जनता पार्टी को साथ लेकर चलने से उसका फायदा हो सकता है तो वह गठबंधन से पीछे नहीं हटेंगे. हालांकि वे यह भी कहते हैं कि शायद ही स्थानीय नेता इसके पक्ष में हों, लेकिन अगर पार्टी हाईकमान इसका फैसला कर लेगा तो फिर कोई भी कुछ नहीं कह पाएगा. वहीं, अगर बीजेपी और जेजेपी दोनों अलग-अलग लड़ते हैं तो इस पर राजेश मोदगिल कहते हैं कि यह परिस्थितियों पर निर्भर करेगा कि उस वक्त हालात कैसे होंगे. वह कहते हैं कि अगर सभी दल अलग-अलग लोकसभा चुनाव लड़े तो ऐसी स्थिति में उम्मीदवारों को जीत के लिए पूरा दम लगाना होगा. नफा नुकसान किसका होगा यह बहुत कुछ उम्मीदवारों पर भी निर्भर करेगा, यानी कैंडिडेट सिलेक्शन भी बहुत बड़ा फैक्टर होगा.
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