नई दिल्ली : लोकसभा ने विपक्षी सदस्यों के शोर-शराबे के बीच मंगलवार को 'राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग (संशोधन) विधेयक, 2021 को मंजूरी दे दी .निचले सदन में आयुष मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने कहा कि यह विधेयक देश में होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने के लिये महत्वपूर्ण है.
इस विधेयक के माध्यम से राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग अधिनियम, 2020 की धारा 58 में एक उपधारा अंत:स्थापित कर संशोधन का प्रस्ताव किया गया है. इसके बाद लोकसभा ने विपक्षी सदस्यों के शोर शराबे के बीच ही राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग (संशोधन) विधेयक, 2021 को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी.
विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि होम्योपैथी केंद्रीय परिषद अधिनियम 1973 (निरसन अधिनियम) का संशोधन होम्योपैथी केंद्रीय परिषद संशोधन अधिनियम 2018 (2018 का 23) द्वारा किया गया.
इसके तहत होम्योपैथी केंद्रीय परिषद को अधिकार में लेने और निरस्त किये गए अधिनियम के अधीन एक वर्ष की अवधि के भीतर केंद्रीय परिषद का पुनर्गठन नहीं होने तक केंद्रीय परिषद की शक्तियों का प्रयोग करने के लिये शासी बोर्ड गठित करने के वास्ते केंद्र सरकार को सशक्त करने के लिये संशोधन किया गया.
इसमें कहा गया है कि हालांकि होम्योपैथी केंद्रीय परिषद का पुनर्गठन उक्त अवधि में नहीं हो सका. इसलिये अवधि को समय-समय पर अध्यादेशों के जरिये एक वर्ष से दो वर्ष और दो वर्ष से तीन वर्ष किया गया.
विधेयक के उद्देश्यों में कहा गया है कि चूंकि शासी बोर्ड शैक्षणिक वर्ष 2021-22 के लिये निरीक्षण करने की प्रक्रिया में था, इसके कार्यकाल का अंत 17 मई 2021 को हो रहा था तथा परिषद के पुनर्गठन की अवधि तीन वर्ष से चार वर्ष करना जरूरी था. इसके लिये 16 मई 2021 को अध्यादेश लाया गया.
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राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग का गठन 5 जुलाई 2021 को किया गया.
इसके अलावा लोकसभा ने विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच ही 'राष्ट्रीय भारतीय आयुर्विज्ञान प्रणाली आयोग (संशोधन) विधेयक, 2021 को मंजूरी प्रदान कर दी.
इसके तहत राष्ट्रीय भारतीय आयुर्विज्ञान प्रणाली आयोग अधिनियम 2020 की धारा 58 में एक नई उपधारा (5) अंत:स्थापित करने का प्रस्ताव किया गया है.