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झारखंडी भाषा में श्रीमद्भागवत गीता, लोहरदगा के लेखक ने नागपुरी में किया अनुवाद

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Published : Aug 8, 2023, 11:18 AM IST

श्रीमद्भागवत गीता हिंदी, संस्कृत, अंग्रेजी समेत कई क्षेत्रीय भाषा में मौजूद है. लेकिन झारखंड की भाषा में श्रीमद्भागवत गीता का अनुवाद पहली बार किया गया है. लोहरदगा के लेखक ने यहां के आम लोगों के लिए नागपुरी में गीता का अनुवाद किया है.

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लोहरदगा: श्रीमद्भागवत गीता को हम सब ने पढ़ा होगा या फिर हम सब उसके बारे में जानते जरूर हैं. भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था. भगवान श्रीकृष्ण ने जीवन का सत्य गीता के रूप में बताया है. श्रीमद्भागवत गीता को लोहरदगा के लेखक लाल राजेंद्र प्रताप देव ने नागपुरी भाषा में अनुवाद किया है. नागपुरी में अनुवादित श्रीमद्भागवत गीता लाल राजेंद्र प्रताप देव की मेहनत से गीता महात्मय के नाम से जल्द ही प्रकाशित होकर बाजार में उपलब्ध होगी.

अनुवाद करने में लगा तीन महीने का समयः लाल राजेंद्र प्रताप देव लोहरदगा के सेन्हा प्रखंड के आराहंसा गांव के रहने वाले हैं. 88 साल के लाल राजेंद्र प्रताप देव प्रारंभ से ही धार्मिक प्रवृत्ति के रहे हैं. गायत्री परिवार के साथ जुड़े रहे लाल राजेंद्र प्रताप देव का जीवन संत महात्माओं के साथ भी काफी समय तक गुजरा है. लाल राजेंद्र प्रताप देव का कहना है कि संत महात्माओं के संपर्क में रहने के दौरान ही उन्हें यह अहसास हुआ कि गीता काफी कठिन ग्रंथ है. इसे सरल रूप से आम लोगों के बीच लाने के लिए विशेष तौर पर दक्षिणी छोटानागपुर क्षेत्र में लोगों को गीता का महत्व बताने के लिए इसका नागपुरी अनुवाद करना चाहिए. कई साल यह सोचने में ही गुजर गए.

इसी बीच जनवरी 2023 में इसे प्रारंभ किया. इस दौरान उन्होंने कई बार नागपुरी में लिखा लेकिन उनकी समझ में नहीं आ रहा था कि इसे कैसे पूरा किया जाए. रात में भी उठ कर इसे लिखना शुरू कर देते थे. धीरे-धीरे 3 महीने में गीता के 18 अध्याय का नागपुरी अनुवाद 128 पन्नों में पूरा किया. अब नागपुरी में गीता का अनुवाद प्रकाशित हो रहा है, जो आगामी दिनों में आम लोगों के बीच उपलब्ध हो जाएगा. उन्होंने इसके अलावे भारत दर्शन, ठाकुर जगन्नाथ शाहदेव सहित कई पुस्तकें लिखी हैं. आगे भी वह इस तरह की पुस्तक लिखना चाहते हैं. लाल राजेंद्र प्रताप देव के इस पहल की सराहना हो रही है. पुस्तक के प्रकाशन में उन्हें लगभग एक लाख रुपये का खर्च हुआ है. इसकी दो हजार प्रतियां प्रकाशित हो रही हैं. प्रकाशन का कार्य अंतिम चरण में है.

दक्षिणी छोटानागपुर में आमतौर पर नागपुरी भाषा बोली जाती है. यह भाषा यहां के लोगों के रग-रग में बसी हुई है. नागपुरी भाषा में गीता को अनुवाद करने का काम लोहरदगा के लाल राजेंद्र प्रताप देव ने किया है. गायत्री परिवार और धार्मिक जीवन से जुड़े रहे लाल राजेंद्र प्रताप देव के इस पहल की सराहना की जा रही है. जल्द ही अनुवादित गीता बाजार में उपलब्ध होगी.

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लोहरदगा: श्रीमद्भागवत गीता को हम सब ने पढ़ा होगा या फिर हम सब उसके बारे में जानते जरूर हैं. भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था. भगवान श्रीकृष्ण ने जीवन का सत्य गीता के रूप में बताया है. श्रीमद्भागवत गीता को लोहरदगा के लेखक लाल राजेंद्र प्रताप देव ने नागपुरी भाषा में अनुवाद किया है. नागपुरी में अनुवादित श्रीमद्भागवत गीता लाल राजेंद्र प्रताप देव की मेहनत से गीता महात्मय के नाम से जल्द ही प्रकाशित होकर बाजार में उपलब्ध होगी.

अनुवाद करने में लगा तीन महीने का समयः लाल राजेंद्र प्रताप देव लोहरदगा के सेन्हा प्रखंड के आराहंसा गांव के रहने वाले हैं. 88 साल के लाल राजेंद्र प्रताप देव प्रारंभ से ही धार्मिक प्रवृत्ति के रहे हैं. गायत्री परिवार के साथ जुड़े रहे लाल राजेंद्र प्रताप देव का जीवन संत महात्माओं के साथ भी काफी समय तक गुजरा है. लाल राजेंद्र प्रताप देव का कहना है कि संत महात्माओं के संपर्क में रहने के दौरान ही उन्हें यह अहसास हुआ कि गीता काफी कठिन ग्रंथ है. इसे सरल रूप से आम लोगों के बीच लाने के लिए विशेष तौर पर दक्षिणी छोटानागपुर क्षेत्र में लोगों को गीता का महत्व बताने के लिए इसका नागपुरी अनुवाद करना चाहिए. कई साल यह सोचने में ही गुजर गए.

इसी बीच जनवरी 2023 में इसे प्रारंभ किया. इस दौरान उन्होंने कई बार नागपुरी में लिखा लेकिन उनकी समझ में नहीं आ रहा था कि इसे कैसे पूरा किया जाए. रात में भी उठ कर इसे लिखना शुरू कर देते थे. धीरे-धीरे 3 महीने में गीता के 18 अध्याय का नागपुरी अनुवाद 128 पन्नों में पूरा किया. अब नागपुरी में गीता का अनुवाद प्रकाशित हो रहा है, जो आगामी दिनों में आम लोगों के बीच उपलब्ध हो जाएगा. उन्होंने इसके अलावे भारत दर्शन, ठाकुर जगन्नाथ शाहदेव सहित कई पुस्तकें लिखी हैं. आगे भी वह इस तरह की पुस्तक लिखना चाहते हैं. लाल राजेंद्र प्रताप देव के इस पहल की सराहना हो रही है. पुस्तक के प्रकाशन में उन्हें लगभग एक लाख रुपये का खर्च हुआ है. इसकी दो हजार प्रतियां प्रकाशित हो रही हैं. प्रकाशन का कार्य अंतिम चरण में है.

दक्षिणी छोटानागपुर में आमतौर पर नागपुरी भाषा बोली जाती है. यह भाषा यहां के लोगों के रग-रग में बसी हुई है. नागपुरी भाषा में गीता को अनुवाद करने का काम लोहरदगा के लाल राजेंद्र प्रताप देव ने किया है. गायत्री परिवार और धार्मिक जीवन से जुड़े रहे लाल राजेंद्र प्रताप देव के इस पहल की सराहना की जा रही है. जल्द ही अनुवादित गीता बाजार में उपलब्ध होगी.

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