असम: असम सरकार पर कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है. मुख्यमंत्री हिमंत बिसवा सरमा की सरकार हर माह नए लोन ले रही है, जिसके चलते राज्य के नागरिक कर्ज तले दबते चले जा रहे हैं. ताजा आंकड़ों के अनुसार असम के नागरिकों पर प्रति व्यक्ति ऋण 40,000 रुपये से भी ज्यादा है. ताजा जानकारी के अनुसार राज्य सरकार ने 4 जुलाई को रिजर्व बैंक के जरिए 1,000 करोड़ रुपये का कर्ज लिया.
राज्य सरकार ने इस कर्ज को दस साल के लिए लिया गया है, जिसके लिए सरकार को 7.45 फीसदी ब्याज देना होगा. चालू वित्तीय वर्ष के पहले चार महीनों में ही राज्य सरकार 6,000 करोड़ रुपये का कर्ज ले चुकी है. आंकड़ों के मुताबिक, सरकार ने 11 अप्रैल को 1,000 करोड़ रुपये, 23 मई को 1,000 करोड़ रुपये, 16 मई को 1,000 करोड़ रुपये, 9 मई को 1,000 करोड़ रुपये और 6 जून को 1,000 करोड़ रुपये का कर्ज लिया है.
इसे मिलाकर राज्य सरकार पर अब तक का कर्ज 1,38,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. गौरतलब है कि राज्य सरकार कर्मचारियों को वेतन देने के लिए हर महीने 3,000 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च करती है. इसके अलावा सरकार द्वारा लागू की गई 'ओरुनोदोई योजना' के लिए हर महीने करीब 300 करोड़ रुपये खर्च किए जाते हैं. इसके अलावा जानकारी सामने आई है कि बिहू को गिनीज बुक में दर्ज कराने के लिए भी सरकार ने भारी रकम खर्च की.
जानकारी के मुताबिक, डॉ. हिमंत बिसवा सरमा के मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके दो साल और चार महीने के कार्यकाल में लिया गया कर्ज 48,000 करोड़ रुपये हो गया है. इसके विपरीत आजादी के बाद से तरुण गोगोई की सरकार के आखिरी साल तक असम का कर्ज 41,964 करोड़ रुपये था. वहीं सर्बानंद सोनोवाल सरकार ने पांच साल में 48,801 करोड़ रुपये लिये. प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य सरकार ने चालू वित्त वर्ष यानी 2023-24 में 25,000 करोड़ रुपये उधार लेने का लक्ष्य रखा है.