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राजस्थान के कोटा में नया नियम, पालतू जानवर के लिए लेना होगा लाइसेंस - पशु पालने के लिए लाइसेंस

कोटा दक्षिण नगर निगम क्षेत्र में पेट डॉग बिना लाइसेंस के लोग नहीं पाल सकेंगे. इसके अलावा गाय, भैंस, बकरी, भेड़, सूअर, घोड़ा और ऊंट के लिए भी लाइसेंस लेना होगा. हालांकि, मध्य प्रदेश के इंदौर, हरियाणा के गुड़गांव सहित उत्तर प्रदेश के कई शहरों में इस तरह का नियम पहले से है. लेकिन कोटा राजस्थान का पहला शहर होगा, जहां इस तरह का यह नियम लाया जा रहा है. देखें ये खास रिपोर्ट...

पालतू जानवर के लिए लाइसेंस
पालतू जानवर के लिए लाइसेंस
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Published : Mar 6, 2021, 9:04 PM IST

कोटा : राजस्थान के कोटा में अब पशु पालने के लिए लाइसेंस लेना अनिवार्य हो जाएगा. कोटा दक्षिण नगर निगम इसके लिए नियम तैयार कर रहा है. नगर निगम ने इसको लेकर नोटिफिकेशन भी जारी किया है. नोटिफिकेशन के अनुसार, पेट डॉग को भी बिना लाइसेंस के लोग नहीं पाल सकेंगे. इसके अलावा गाय, भैंस, बकरी, भेड़, सूअर, घोड़ा और ऊंट के लिए भी लाइसेंस लेना होगा.

मध्य प्रदेश के इंदौर, हरियाणा के गुड़गांव समेत उत्तर प्रदेश के कई शहरों में इस तरह का नियम पहले से है. लेकिन, राजस्थान में ऐसा पहली बार होगा, जब कोटा में इस तरह का नियम लागू होगा.

कोटा में पालतू जानवरों के लिए लाइसेंस जरूरी.

आवारा पशु नियंत्रण 2021 के नाम से एक ड्राफ्ट तैयार किया गया है. इसको लेकर नगर निगम ने नोटिफिकेशन भी प्रकाशित कर दिया है. नगर निगम कोटा दक्षिण की आयुक्त कीर्ति राठौड़ का कहना है कि इसको लेकर बाइलॉज तैयार की जा रही है, जिसके लिए आम जनता से सुझाव मांगे गए हैं और आपत्तियां भी ली जा रही हैं. यह आपत्तियां आने के बाद इस बायलॉज को बजट की बैठक में रखा जाएगा और वहां से पारित करवाने के बाद ही नियम बनेगा.

जुर्माने का भी प्रावधान
लाइसेंस लेने के लिए भी कई मापदंड तय किए गए हैं. लोगों को कई शपथ पत्र देने होंगे कि वह पशु बाड़े को ठीक से बना कर रखेंगे. पशुओं के स्वास्थ्य से संबंधित सर्टिफिकेट भी देने होंगे. जानवरों के काटने से लोगों को होने वाली बीमारियों से बचाव की व्यवस्था भी इस लाइसेंस के जरिए की जाएगी.

पालतू जानवरों के टीके लगाने की जानकारी भी मांगी जाएगी, ताकि लोगों को उनसे कोई खतरा नहीं हो. पशुओं की संख्या के अनुसार ही उन्हें रखने के बाड़े की साइज होगी, उसी के अनुसार लाइसेंस मिलेगा. इसके अलावा सड़क पर पशु छोड़ने पर भी पेनल्टी का प्रावधान है, जो 500 रुपये से लेकर 5,000 रुपये तक है.

पालतू जानवर के लिए देना होगा 200 रुपये शुल्क
नियम के अनुसार, पशुओं को घर पर रखने के लिए प्रतिवर्ष शुल्क भी देना होगा. इसमें पालतू पशुओं को रखने के लिए 200 रुपये प्रति वर्ष शुल्क चुकाना पड़ेगा. वहीं, व्यवसायिक पशु जैसे कि भैंस, गाय, घोड़ा, ऊंट के लिए 500 रुपये प्रति वर्ष देना होगा. इसके अलावा दूध और दूध से बने उत्पाद बनाने के लिए भी एक हजार रुपये का शुल्क चुकाना पड़ेगा.

पशुओं के लिए करनी होगी ये व्यवस्था
कोटा दक्षिण नगर निगम आयुक्त कीर्ति राठौड़ ने बताया कि पालतू जानवरों को रखने के लिए पूरी व्यवस्था और जगह रखनी पड़ेगी. इसके अलावा व्यावसायिक जानवरों के लिए भी बाड़े बनाने होंगे. यह बाड़े पशुओं के शरीर और संख्या के आधार पर बनेंगे. इनमें हवादार रोशनी की व्यवस्था भी करनी होगी. सफाई और पशुओं से होने वाली गंदगी के प्रबंधन की व्यवस्था करनी होगी.

पेट डॉग के लिए लाइसेंस अनिवार्य
पेट डॉग के लिए लाइसेंस अनिवार्य

उन्होंने कहा कि पशु बाड़े के बाहर किसी भी तरह का कोई कचरा नहीं डाला जाएगा. निगम के अधिकारी भी इसको लेकर लगातार निरीक्षण करेंगे. पशु बाड़े की जगह पर पक्का निर्माण नहीं करवाया जाएगा.

शहर में 50,000 से ज्यादा पशु
नगर निगम के आंकड़ों के अनुसार, कोटा शहर में पशुओं की गणना नहीं की गई है. हालांकि पुराने रिकॉर्ड के अनुसार करीब 30,000 गाय और भैंस शहर में पाले जा रहे हैं. करीब 10,000 से ज्यादा लोग अपने घरों में पेट डॉग को रखते हैं. इसके साथ ही, करीब 8000 सुअर भी कोटा शहर में पाले जा रहे हैं, जो कि गंदगी और सड़कों पर ही विचरण करते हैं.

वहीं, भेड़ और बकरियों की बात की जाए तो इनकी संख्या भी 4000 के आसपास है. इसके साथ ही करीब 100 घोड़े और 50 के आसपास ऊंट भी पाले जा रहे हैं.

नियमों का पालन नहीं करने पर कार्रवाई
लाइसेंस लेने के बाद पशुपालकों को नियमों का पालन भी करना होगा. साथ ही, लाइसेंस का रिन्यूअल भी समय-समय पर करवाना होगा, जो लोग लाइसेंस का रिन्यूअल नहीं कराएंगे, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी होगी. इसके जरिए यह भी मॉनिटरिंग हो जाएगी कि पेट डॉग का एंटी रेबीज वैक्सीनेशन हो रहा है या नहीं, क्योंकि उनके स्वास्थ्य संबंधी जानकारी का सर्टिफिकेट भी लाइसेंस के साथ मांगा जाएगा.

कोटा : राजस्थान के कोटा में अब पशु पालने के लिए लाइसेंस लेना अनिवार्य हो जाएगा. कोटा दक्षिण नगर निगम इसके लिए नियम तैयार कर रहा है. नगर निगम ने इसको लेकर नोटिफिकेशन भी जारी किया है. नोटिफिकेशन के अनुसार, पेट डॉग को भी बिना लाइसेंस के लोग नहीं पाल सकेंगे. इसके अलावा गाय, भैंस, बकरी, भेड़, सूअर, घोड़ा और ऊंट के लिए भी लाइसेंस लेना होगा.

मध्य प्रदेश के इंदौर, हरियाणा के गुड़गांव समेत उत्तर प्रदेश के कई शहरों में इस तरह का नियम पहले से है. लेकिन, राजस्थान में ऐसा पहली बार होगा, जब कोटा में इस तरह का नियम लागू होगा.

कोटा में पालतू जानवरों के लिए लाइसेंस जरूरी.

आवारा पशु नियंत्रण 2021 के नाम से एक ड्राफ्ट तैयार किया गया है. इसको लेकर नगर निगम ने नोटिफिकेशन भी प्रकाशित कर दिया है. नगर निगम कोटा दक्षिण की आयुक्त कीर्ति राठौड़ का कहना है कि इसको लेकर बाइलॉज तैयार की जा रही है, जिसके लिए आम जनता से सुझाव मांगे गए हैं और आपत्तियां भी ली जा रही हैं. यह आपत्तियां आने के बाद इस बायलॉज को बजट की बैठक में रखा जाएगा और वहां से पारित करवाने के बाद ही नियम बनेगा.

जुर्माने का भी प्रावधान
लाइसेंस लेने के लिए भी कई मापदंड तय किए गए हैं. लोगों को कई शपथ पत्र देने होंगे कि वह पशु बाड़े को ठीक से बना कर रखेंगे. पशुओं के स्वास्थ्य से संबंधित सर्टिफिकेट भी देने होंगे. जानवरों के काटने से लोगों को होने वाली बीमारियों से बचाव की व्यवस्था भी इस लाइसेंस के जरिए की जाएगी.

पालतू जानवरों के टीके लगाने की जानकारी भी मांगी जाएगी, ताकि लोगों को उनसे कोई खतरा नहीं हो. पशुओं की संख्या के अनुसार ही उन्हें रखने के बाड़े की साइज होगी, उसी के अनुसार लाइसेंस मिलेगा. इसके अलावा सड़क पर पशु छोड़ने पर भी पेनल्टी का प्रावधान है, जो 500 रुपये से लेकर 5,000 रुपये तक है.

पालतू जानवर के लिए देना होगा 200 रुपये शुल्क
नियम के अनुसार, पशुओं को घर पर रखने के लिए प्रतिवर्ष शुल्क भी देना होगा. इसमें पालतू पशुओं को रखने के लिए 200 रुपये प्रति वर्ष शुल्क चुकाना पड़ेगा. वहीं, व्यवसायिक पशु जैसे कि भैंस, गाय, घोड़ा, ऊंट के लिए 500 रुपये प्रति वर्ष देना होगा. इसके अलावा दूध और दूध से बने उत्पाद बनाने के लिए भी एक हजार रुपये का शुल्क चुकाना पड़ेगा.

पशुओं के लिए करनी होगी ये व्यवस्था
कोटा दक्षिण नगर निगम आयुक्त कीर्ति राठौड़ ने बताया कि पालतू जानवरों को रखने के लिए पूरी व्यवस्था और जगह रखनी पड़ेगी. इसके अलावा व्यावसायिक जानवरों के लिए भी बाड़े बनाने होंगे. यह बाड़े पशुओं के शरीर और संख्या के आधार पर बनेंगे. इनमें हवादार रोशनी की व्यवस्था भी करनी होगी. सफाई और पशुओं से होने वाली गंदगी के प्रबंधन की व्यवस्था करनी होगी.

पेट डॉग के लिए लाइसेंस अनिवार्य
पेट डॉग के लिए लाइसेंस अनिवार्य

उन्होंने कहा कि पशु बाड़े के बाहर किसी भी तरह का कोई कचरा नहीं डाला जाएगा. निगम के अधिकारी भी इसको लेकर लगातार निरीक्षण करेंगे. पशु बाड़े की जगह पर पक्का निर्माण नहीं करवाया जाएगा.

शहर में 50,000 से ज्यादा पशु
नगर निगम के आंकड़ों के अनुसार, कोटा शहर में पशुओं की गणना नहीं की गई है. हालांकि पुराने रिकॉर्ड के अनुसार करीब 30,000 गाय और भैंस शहर में पाले जा रहे हैं. करीब 10,000 से ज्यादा लोग अपने घरों में पेट डॉग को रखते हैं. इसके साथ ही, करीब 8000 सुअर भी कोटा शहर में पाले जा रहे हैं, जो कि गंदगी और सड़कों पर ही विचरण करते हैं.

वहीं, भेड़ और बकरियों की बात की जाए तो इनकी संख्या भी 4000 के आसपास है. इसके साथ ही करीब 100 घोड़े और 50 के आसपास ऊंट भी पाले जा रहे हैं.

नियमों का पालन नहीं करने पर कार्रवाई
लाइसेंस लेने के बाद पशुपालकों को नियमों का पालन भी करना होगा. साथ ही, लाइसेंस का रिन्यूअल भी समय-समय पर करवाना होगा, जो लोग लाइसेंस का रिन्यूअल नहीं कराएंगे, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी होगी. इसके जरिए यह भी मॉनिटरिंग हो जाएगी कि पेट डॉग का एंटी रेबीज वैक्सीनेशन हो रहा है या नहीं, क्योंकि उनके स्वास्थ्य संबंधी जानकारी का सर्टिफिकेट भी लाइसेंस के साथ मांगा जाएगा.

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