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AAP विधायक अखिलेश पति त्रिपाठी के खिलाफ चलेगा रिश्वत मांगने का मामला, एलजी ने दी मंजूरी - delhi latest news

AAP mla akhilesh pati tripathi bribery case: AAP विधायक अखिलेश पति त्रिपाठी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. MCD चुनाव में टिकट के बदले पैसा मांगने के आरोप पर मुकदमा चलाने की मंजूरी मंगलवार को LG ने दे दी. अब मामला विधानसभा अध्यक्ष के पास गया है.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 22, 2023, 5:12 PM IST

Updated : Aug 22, 2023, 9:03 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मंगलवार को मॉडल टाउन से आम आदमी पार्टी के विधायक अखिलेश पति त्रिपाठी के खिलाफ रिश्वत मांगने के मामले में मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी. साथ ही सतर्कता विभाग के अनुरोध को दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष के पास भेज दिया. AAP विधायक पर एमसीडी चुनाव के दौरान एक महिला उम्मीदवार को AAP का टिकट दिलाने के बदले 90 लाख रुपये की रिश्वत मांगने का आरोप है.

यह है मामला: पिछले साल के एमसीडी चुनाव में कमला नगर वार्ड नंबर 69 सीट से पार्षद का चुनाव लड़ने के लिए आप का टिकट दिलाने के एवज में रिश्वत मांगने का महिला के पति ने शिकायत दर्ज कराई थी. शिकायत के बाद एंटी करफ्शन ब्रांच (एसीबी) ने मामला दर्ज कर लिया था. जांच में सतर्कता विभाग के अधिकारियों को जो तथ्य व सबूत मिले हैं, वह बताते हैं कि इस मामले में विधायक और अन्य व्यक्तियों की संलिप्तता है. एसीबी ने आप विधायक अखिलेश पति त्रिपाठी के खिलाफ एक केस तैयार किया है, जिसमें रंगेहाथों पैसे की जब्ती और अन्य आरोपियों के दिए गए बयान शामिल है.

जांच एजेंसी के पास, 12 नवंबर 2022 की रात करीब 1.30 बजे का वजीरपुर से आम आदमी पार्टी के विधायक राजेश गुप्ता के घर का सीसीटीवी फुटेज भी है. इसमें फरियादी को वहां से जाते हुए देखा गया है. सीसीटीवी फुटेज में मॉडल टाउन से विधायक अखिलेश पति त्रिपाठी के वजीरपुर विधायक के आवास पर पहुंचने और कुछ देर रुकने के भी संकेत मिले हैं. अखिलेश पति त्रिपाठी के बहनोई ओम सिंह, शिव शंकर पांडे उर्फ विशाल पांडे (त्रिपाठी के पीए) और प्रिंस रघुवंशी सहित तीन लोगों को गत वर्ष 16 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था.

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ऐसे पकड़ में आया था विधायक का पीए: विधायक अखिलेश पति त्रिपाठी के पीए शिवशंकर पांडे को शिकायतकर्ता के आवास से गिरफ्तार किया गया था, जहां यह शिकायतकर्ता की पत्नी को पार्टी का टिकट नहीं दिए जाने के बाद रिश्वत की रकम वापस करने गया था. पांडे के पास दिल्ली विधानसभा द्वारा जारी किया गया एक पहचान पत्र भी मिला था. वहीं त्रिपाठी के बहनोई के पास उनका आधार कार्ड था, जिस पर विधायक कार्यालय का पता था. इस आधार पर मुकदमा दर्ज किया गया और इनकी गिरफ्तारी की गई थी.

जांच में सहयोग नहीं कर रहे विधायक: एसीबी ने दावा किया कि आप विधायक जांच में सहयोग नहीं कर रहे थे और उन्होंने पूछे गए सवालों का ठीक से जवाब नहीं दिया. वजीरपुर से आप विधायक राजेश गुप्ता का नाम भी सामने आया. आरोप था कि अखिलेश पति त्रिपाठी के कहने पर राजेश गुप्ता को 20 लाख रुपये का भुगतान किया गया था. चुनावी वार्ड 69, कमला नगर, दिल्ली, जिसके लिए कथित रिश्वत राशि का भुगतान किया गया था, यह वार्ड आप विधायक अखिलेश पति त्रिपाठी के विधानसभा क्षेत्र में स्थित है और पार्षद टिकट की उम्मीदवारी के लिए उनकी सिफारिश महत्वपूर्ण थी.

यह भी पढ़ें-Persistence of DWC: पीड़िता से मिलने पर अड़ीं स्वाति मालीवाल, अस्पताल में रातभर धरने पर बैठी रहीं

बता दें, किसी भी विधायक के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए विधानसभा अध्यक्ष से मुकदमा चलाने की अनुमति लेनी होती है. उपराज्यपाल ने इस मामले को दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष को भेजते हुए कहा है कि 'स्पीकर' वर्तमान मामले में अभियोजन मंजूरी देने के लिए सक्षम प्राधिकारी थे, क्योंकि आरोपी एक मौजूदा विधायक है. उन्होंने पीवी नरसिम्हा राव बनाम सीबीआई (1998) मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले में यह भी माना कि पीओसी अधिनियम के तहत किए गए अपराधों के लिए सांसदों और विधायकों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए अध्यक्ष की मंजूरी की आवश्यकता है क्योंकि वे पीओसी अधिनियम के उद्देश्य के लिए लोक सेवक हैं.

यह भी पढ़ें-भाजपा सांसद का स्वाति मालीवाल पर हमला, कहा- जो अपने पिता की नहीं हुई, वह किसी को क्या न्याय दिलाएंगी

नई दिल्ली: दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मंगलवार को मॉडल टाउन से आम आदमी पार्टी के विधायक अखिलेश पति त्रिपाठी के खिलाफ रिश्वत मांगने के मामले में मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी. साथ ही सतर्कता विभाग के अनुरोध को दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष के पास भेज दिया. AAP विधायक पर एमसीडी चुनाव के दौरान एक महिला उम्मीदवार को AAP का टिकट दिलाने के बदले 90 लाख रुपये की रिश्वत मांगने का आरोप है.

यह है मामला: पिछले साल के एमसीडी चुनाव में कमला नगर वार्ड नंबर 69 सीट से पार्षद का चुनाव लड़ने के लिए आप का टिकट दिलाने के एवज में रिश्वत मांगने का महिला के पति ने शिकायत दर्ज कराई थी. शिकायत के बाद एंटी करफ्शन ब्रांच (एसीबी) ने मामला दर्ज कर लिया था. जांच में सतर्कता विभाग के अधिकारियों को जो तथ्य व सबूत मिले हैं, वह बताते हैं कि इस मामले में विधायक और अन्य व्यक्तियों की संलिप्तता है. एसीबी ने आप विधायक अखिलेश पति त्रिपाठी के खिलाफ एक केस तैयार किया है, जिसमें रंगेहाथों पैसे की जब्ती और अन्य आरोपियों के दिए गए बयान शामिल है.

जांच एजेंसी के पास, 12 नवंबर 2022 की रात करीब 1.30 बजे का वजीरपुर से आम आदमी पार्टी के विधायक राजेश गुप्ता के घर का सीसीटीवी फुटेज भी है. इसमें फरियादी को वहां से जाते हुए देखा गया है. सीसीटीवी फुटेज में मॉडल टाउन से विधायक अखिलेश पति त्रिपाठी के वजीरपुर विधायक के आवास पर पहुंचने और कुछ देर रुकने के भी संकेत मिले हैं. अखिलेश पति त्रिपाठी के बहनोई ओम सिंह, शिव शंकर पांडे उर्फ विशाल पांडे (त्रिपाठी के पीए) और प्रिंस रघुवंशी सहित तीन लोगों को गत वर्ष 16 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था.

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ऐसे पकड़ में आया था विधायक का पीए: विधायक अखिलेश पति त्रिपाठी के पीए शिवशंकर पांडे को शिकायतकर्ता के आवास से गिरफ्तार किया गया था, जहां यह शिकायतकर्ता की पत्नी को पार्टी का टिकट नहीं दिए जाने के बाद रिश्वत की रकम वापस करने गया था. पांडे के पास दिल्ली विधानसभा द्वारा जारी किया गया एक पहचान पत्र भी मिला था. वहीं त्रिपाठी के बहनोई के पास उनका आधार कार्ड था, जिस पर विधायक कार्यालय का पता था. इस आधार पर मुकदमा दर्ज किया गया और इनकी गिरफ्तारी की गई थी.

जांच में सहयोग नहीं कर रहे विधायक: एसीबी ने दावा किया कि आप विधायक जांच में सहयोग नहीं कर रहे थे और उन्होंने पूछे गए सवालों का ठीक से जवाब नहीं दिया. वजीरपुर से आप विधायक राजेश गुप्ता का नाम भी सामने आया. आरोप था कि अखिलेश पति त्रिपाठी के कहने पर राजेश गुप्ता को 20 लाख रुपये का भुगतान किया गया था. चुनावी वार्ड 69, कमला नगर, दिल्ली, जिसके लिए कथित रिश्वत राशि का भुगतान किया गया था, यह वार्ड आप विधायक अखिलेश पति त्रिपाठी के विधानसभा क्षेत्र में स्थित है और पार्षद टिकट की उम्मीदवारी के लिए उनकी सिफारिश महत्वपूर्ण थी.

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बता दें, किसी भी विधायक के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए विधानसभा अध्यक्ष से मुकदमा चलाने की अनुमति लेनी होती है. उपराज्यपाल ने इस मामले को दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष को भेजते हुए कहा है कि 'स्पीकर' वर्तमान मामले में अभियोजन मंजूरी देने के लिए सक्षम प्राधिकारी थे, क्योंकि आरोपी एक मौजूदा विधायक है. उन्होंने पीवी नरसिम्हा राव बनाम सीबीआई (1998) मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले में यह भी माना कि पीओसी अधिनियम के तहत किए गए अपराधों के लिए सांसदों और विधायकों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए अध्यक्ष की मंजूरी की आवश्यकता है क्योंकि वे पीओसी अधिनियम के उद्देश्य के लिए लोक सेवक हैं.

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Last Updated : Aug 22, 2023, 9:03 PM IST
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