नई दिल्ली: मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपराज्यपाल (एलजी) विनय सक्सेना के बीच अभी भी सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. शनिवार को एलजी वीके सक्सेना ने कार्रवाई करते हुए आम अदमी पार्टी के दो नेताओं जैस्मीन शाह और नवीन एनडी गुप्ता को बिजली बोर्ड डिस्कॉम से हटाने के आदेश जारी कर दिए. एलजी कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक उपराज्यपाल ने डिस्कॉम में सरकार द्वारा मनोनीत सदस्यों की जगह बिजली मामलों के जानकार, विशेषज्ञ को आयोग में सदस्य बनाने की बात कही है.
डिस्कॉम में आम आदमी पार्टी की सदस्यों की नियुक्ति शुरू से ही विवादों में रही है. विधानसभा में नेता विपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी, विधायक विजेंद्र गुप्ता ने आम आदमी पार्टी द्वारा नियुक्त सदस्य जैस्मीन शाह और आप सांसद के बेटे नवीन गुप्ता की नियुक्ति को लेकर सवाल उठाते हुए उपराज्यपाल से शिकायत की थी. दिसंबर में भी एक अन्य शिकायत उपराज्यपाल कार्यालय को मिली थी. अब उपराज्यपाल ने दोनों सदस्यों को हटाने का आदेश दिया है.
एलजी कार्रवाई के बाद आप की प्रतिक्रिया: आम आदमी पार्टी ने कहा जैसमीन शाह और नवीन गुप्ता को DISCOMs के बोर्ड से हटाने का एलजी का आदेश अवैध और असंवैधानिक है. एलजी के पास ऐसे आदेश जारी करने का अधिकार नहीं हैं, केवल निर्वाचित सरकार के पास बिजली के विषय पर आदेश जारी करने की शक्तियां हैं. एलजी ने सुप्रीम कोर्ट के सभी आदेशों और संविधान का पूरी तरह मजाक उड़ाया है, वह खुलेआम कह रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश उन पर बाध्यकारी नहीं हैं.
क्या है पूरा मामला: बता दें कि बिजली दरें और बिजली वितरण कंपनियों पर नियंत्रण रखने के लिए सरकार द्वारा गठित इस आयोग में जैस्मिन शाह और नवीन गुप्ता को बतौर सदस्य केरीवाल सरकार ने नियुक्त किया था. ज्ञात हो कि उपराज्यपाल ने ही जैस्मिन शाह को गत वर्ष दिल्ली सरकार द्वारा गठित दिल्ली डायलॉग कमीशन के उपाध्यक्ष पद से हटाने के आदेश दिए थे और इनके ऑफिस तक को सील कर दिया गया था. वहीं, डिस्कॉम से हटाए गए दूसरे सदस्य नवीन गुप्ता हैं, जो आम आदमी पार्टी के सांसद एनडी गुप्ता के बेटे हैं.
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डिस्कॉम में पहले भी बिजली विशेषज्ञों की सदस्य के तौर पर नियुक्ति होती रही है, लेकिन आम आदमी पार्टी के सत्ता में आने के बाद इसमें पार्टी सदस्यों को नियुक्ति किया गया था. उपराज्यपाल का कहना है कि डिस्कॉम के बोर्ड में इन व्यक्तियों का नामांकन स्पष्ट रूप से अवैध था, क्योंकि कानून की उचित प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया. उपराज्यपाल ने पहले भी मुख्यमंत्री को इस बारे में अवगत कराने और कार्रवाई करने को कहा था.
इससे पहले भी आम आदमी पार्टी सरकार द्वारा की गई नियुक्ति को लेकर तत्कालीन उपराज्यपाल नजीब जंग और अनिल बैजल ने सवाल उठाए थे. उनके द्वारा फाइल पर दर्ज आपत्तियों के बावजूद 2019 में बोर्ड में सरकारी मनोनयन के तौर पर आम लोगों की नियुक्ति की गयी थी. बता दें कि दिल्ली विद्युत अधिनियम 2003 के तहत आयोग का अध्यक्ष और सदस्य 5 साल की अवधि के लिए या 65 वर्ष की आयु तक पद पर रह सकता है. आयोग में अध्यक्ष सहित तीन सदस्य होते हैं.
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