नई दिल्ली: तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से 'कैश फॉर क्वेरी' भ्रष्टाचार मामले में लोकसभा से निष्कासन के खिलाफ उनकी याचिका पर तत्काल विचार करने का अनुरोध किया. सीजेआई के समक्ष केस मेंशन किया गया. सीजेआई ने वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी को मेल भेजने को कहा. सिंघवी ने न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष मोइत्रा की याचिका का उल्लेख किया और अदालत से मामले को तत्काल सुनवाई के लिए तय करने का अनुरोध किया.
जस्टिस कौल ने कहा, 'सीजेआई को फैसला लेने दीजिए. मैं इस स्तर पर फैसला नहीं लेना चाहता.' न्यायमूर्ति कौल इस महीने के अंत में सेवानिवृत्त होने वाले हैं. मोइत्रा ने सोमवार को याचिका दायर कर उन्हें निष्कासित करने के फैसले को अन्यायपूर्ण, मनमाना और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ बताया.
लोकसभा की आचार समिति द्वारा व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी के साथ अपने संसदीय पोर्टल की लॉगिन क्रेडेंशियल साझा करके राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने का दोषी पाए जाने के बाद मोइत्रा को संसद से निष्कासित कर दिया गया था. मोइत्रा पर कथित तौर पर एक प्रतिद्वंद्वी व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी के इशारे पर अडाणी समूह की कंपनियों के संबंध में संसद में कई सवाल उठाने का आरोप लगाया गया है.
8 दिसंबर को लोकसभा ने आचार समिति द्वारा मोइत्रा को सांसद के रूप में अयोग्य ठहराने की सिफारिश के मद्देनजर उन्हें संसद से निष्कासित करने का प्रस्ताव पारित किया. समिति ने उनके निष्कासन की सिफारिश हीरानंदानी के हलफनामे के आधार पर की, जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्होंने (मोइत्रा) अडाणी समूह पर निशाना साधने वाले सवाल पूछने के लिए रिश्वत ली.
अपने निष्कासन पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मोइत्रा ने इस कार्रवाई को कंगारू अदालत द्वारा फांसी दिए जाने के बराबर बताया था. उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष को झुकने के लिए मजबूर करने के लिए सरकार द्वारा संसदीय पैनल को हथियार बनाया जा रहा है. महुआ ने संवाददाताओं से कहा था कि उन्हें ऐसी आचार संहिता का उल्लंघन करने का दोषी पाया गया है जो मौजूद नहीं है और उन्हें दिए गए नकदी या उपहार का कोई सबूत नहीं है.