नई दिल्ली : केंद्र ने मंगलवार को दोहराया कि वामपंथी हिंसा में महत्वपूर्ण कमी दर्ज की गई. 2010 में 96 जिलों के 465 पुलिस स्टेशनों की तुलना में 2022 में 45 जिलों के केवल 176 पुलिस स्टेशनों ने वामपंथी हिंसा की सूचना दी. लोकसभा में गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने यह जानकारी दी. उन्होंने लोकसभा में कहा कि कुछ दक्षिणी राज्यों सहित देश के कई हिस्सों ने पिछले दशकों में वामपंथी हिंसा से प्रभावित रहा.
उन्होंने कहा कि सरकार ने 2015 में वामपंथी हिंसा से निपटने के लिए 'राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना को मंजूरी दी'. उन्होंने कहा कि नीति ने सुरक्षा से संबंधित उपायों, विकास के हस्तक्षेप, स्थानीय समुदायों के अधिकारों और अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए एक बहु-आयामी रणनीति अपनाई गई है. राय ने कहा कि देश में वामपंथी हिंसा की घटनाओं की संख्या 2010 की तुलना में 2022 में 77 प्रतिशत कम हो गई. इस तरह की हिंसा में सुरक्षा बलों और नागरिकों की मौतों की संख्या 2010 के मुकाबले 2022 में 90 प्रतिशत कम हो गई है.
उन्होंने कहा कि हिंसा का भौगोलिक प्रसार भी काफी कम हो गया है. राय ने कहा कि दक्षिणी क्षेत्र से रिपोर्ट की गई वामपंथ हिंसा की घटनाओं में 2010 की तुलना में 87 प्रतिशत की गिरावट आई है. उन्होंने बताया कि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में 2022 में सिर्फ 13 घटनाएं हुई हैं. उन्होंने बताया कि 2019 से 2022 तक एक बड़े माओवादी सहित 435 कैडरों ने आत्मसमर्पण किया.
लोकसभा में राय ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPFs), असम राइफल (AR) और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) में अधिकांश हत्या की घटनाओं में का प्रमुख कारण व्यक्तिगत और घरेलू समस्या, अवसाद और काम से संबंधित रहे. उन्होंने कहा कि घटनाओं में वृद्धि की कोई प्रवृत्ति नहीं है, राय ने बताया कि 2018-2022 के बीच 29 हत्या की घटनाओं की जानकारी मिली. राय ने कहा कि 2022 में, तीन घटनाओं की जानकारी मिली है.