नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल में अगले साल अप्रैल-मई में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा के सक्रिय दृष्टिकोण के बीच, सीपीआई के महासचिव डी राजा ने कहा कि बंगाल में लेफ्ट और कांग्रेस एक विकल्प हो सकते हैं. ईटीवी भारत से बात करते हुए उन्होंने कहा कि वाम मोर्चा और कांग्रेस का एक संयुक्त अभियान होना चाहिए, जो बंगाल के लोगों में विश्वास पैदा करेगा.
उन्होंने कहा कि हम कांग्रेस के साथ सहयोग करने के लिए तैयार हैं. इतना ही नहीं जितिन प्रसाद को बंगाल के लिए कांग्रेस प्रभारी के रूप में नियुक्त किया गया है, राज्य में जल्द ही वामपंथी नेताओं के साथ बात करने की संभावना है. सीपीआई नेता ने आगे कहा कि हालांकि कांग्रेस पार्टी को भी आत्मनिरीक्षण की जरूरत है.
डी राजा का बयान ऐसे समय में आया है, जब कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने विभिन्न मुद्दों पर पार्टी के फैसले के खिलाफ आपत्तियां उठाई हैं. इतना ही नहीं कई नेताओं ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया है.
भाजपा की पश्चिम बंगाल रणनीति के बारे में पूछे जाने पर राजा ने कहा कि पार्टी बंगाल की राजनीति को भाजपा बनाम टीएमसी में बदलने के लिए बेताब है. उन्होंने कहा कि भाजपा सभी संसाधनों का उपयोग कर रही है. यहां तक कि राज्यपाल और केंद्रीय एजेंसियों का भी उपयोग किया जा रहा है. भाजपा की कोशिश है कि बंगाल में कानून-व्यवस्था ध्वस्त हो जाए.
उन्होंने आगे कहा कि हम जानते हैं कि ममता बनर्जी सरकार कई ऐसे काम कर रही है, जो बंगाल और उसके लोगों के हित में नहीं है. हालांकि भाजपा ऐसी स्थिति बनाने की कोशिश कर रही है, जिसमें वह मौजूदा सरकार को बदल सके, जबकि हम मौजूदा सरकार को बंगाल के लोगों द्वारा पारंपरिक रूप से बदलना चाहते हैं.
केरल स्थानीय निकाय चुनाव के परिणाम का उल्लेख करते हुए, राजा ने कहा कि हैदराबाद के स्थानीय निकाय चुनावों के बाद भाजपा दक्षिण भारत में एंट्री करना चाहती थी, लेकिन केरल के लोगों ने उन्हें एक उचित जवाब दिया है.
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राजा ने दावा किया कि केरल में भाजपा के दावे पूरी तरह से विफल हो गए और यह आगामी विधानसभा चुनावों में भी होने जा रहा है, चाहे वह केरल में हो, तमिलनाडु हो, या फिर पश्चिम बंगाल और असम में हो. हर जगह ऐसा होने जा रहा है.
उन्होंने कहा कि भाजपा की ध्रुवीकरण की राजनीति लंबे समय तक कायम नहीं रहेगी, भाजपा को उचित प्रतिक्रिया मिलेगी.
टीएमसी नेताओं के भाजपा में शामिल होने पर राजा ने कहा कि यह दर्शाता है कि टीएमसी गंभीर आंतरिक समस्या का सामना कर रही है. हालांकि, भाजपा बंगाली संस्कृति, रवींद्र नाथ टैगोर आदि को बढ़ावा देकर बंगाल में सत्ता पर कब्जा नहीं कर सकती है.
दिलचस्प बात यह है कि टीएमसी के वरिष्ठ नेता शुभेंदु अधिकारी ने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है. वह जल्द ही भाजपा में शामिल हो सकते हैं.