शिमला: चुनावी सीजन में हिमाचल के राजनेता भी धार्मिक डेरों की तरफ ताकना (Ashrams in Himachal) शुरू कर देते हैं. ऐन चुनाव के समय राजनीतिक दल धार्मिक डेरों के गुरुजनों के दरबार में हाजिरी भरना शुरू करते हैं. हिमाचल के पड़ोसी राज्यों पंजाब और हरियाणा की राजनीति में तो डेरों की भूमिका किसी से छिपी नहीं है. राजनेता इन डेरों में जाकर न केवल शीश नवाते हैं, बल्कि प्रवचन भी सुनते हैं. इसी साल फरवरी महीने में भाजपा के कद्दावर नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) ने डेरा बाबा जैमल सिंह यानी राधास्वामी सत्संग ब्यास के मुखी बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों से मिले थे. तब पंजाब के चुनाव सिर पर थे. उससे पहले पीएम नरेंद्र मोदी भी डेरा मुखी से मिले थे.
नवंबर 2017 की बात है. हिमाचल भाजपा के तत्कालीन मुखिया सतपाल सिंह सत्ती (Former Himachal BJP President Satpal Singh Satti) अपनी पार्टी के प्रमुख नेताओं के साथ डेरा ब्यास पहुंचे. वहां उन्होंने सत्संग प्रवचन सुने और डेरा ब्यास के आध्यात्मिक आंदोलन की तारीफ की. सांसद अनुराग ठाकुर भी डेरा ब्यास गए थे. नवंबर की सात तारीख को सतपाल सिंह सत्ती के साथ वीरेंद्र कंवर भी थे. वर्ष 2017 में ही तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने भी सोलन में डेरा ब्यास के गुरुजी के समक्ष हाजिरी भरी थी. सभी नेता डेरा ब्यास के सामाजिक कार्यों की भी प्रशंसा करते हैं. कोरोना संकट के समय भी डेरा ब्यास ने अपने सत्संग घरों को कोविड केयर सेंटर के लिए दे दिया था.
![Himachal politicians in religious camps](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/16581623_sat_politics1.jpg)
हिमाचल में डेरों की संख्या: पंजाब व हरियाणा में राधास्वामी डेरा ब्यास और डेरा सच्चा सौदा सिरसा सहित निरंकारी मिशन का प्रभाव है. इसके अलावा अन्य डेरों का भी असर है, लेकिन ये तीन प्रमुख हैं. इसी तरह हिमाचल में भी इन्हीं डेरों के अनुयायी भारी संख्या में हैं. राधास्वामी सत्संग ब्यास के अनुयायियों की संख्या सबसे अधिक है. आजादी से पहले भी ब्यास डेरा के गुरुजन हिमाचल की यात्राएं करते रहे हैं. यहां कांगड़ा जिले के परौर, सोलन के रबौण, शिमला के यूएस क्लब, हमीरपुर के भोटा में डेरा ब्यास के विशालकाय सत्संग भवन हैं. इसी तरह डेरा सच्चा सौदा के पालमपुर के चचियां में बड़ा डेरा है. निरंकारी मिशन के भी शिमला, मंडी आदि में सत्संग घर हैं. यहां नियमित अंतराल पर लाखों की संख्या में अनुयायी प्रवचन सुनने के लिए आते हैं. (Leaders in religious camps in himachal)
क्या कहते हैं राजनीतिक विशेषज्ञ: वरिष्ठ मीडिया कर्मी धनंजय शर्मा का कहना है कि धर्म और राजनीति के बीच के संबंध बड़े ही जटिल हैं. इन संबंधों की व्याख्या के लिए सभी के अपने तर्क हैं. राजनीति में सबसे ताकतवर चीज वोट होती है. जहां वोट, वहां राजनेता. जाहिर है, डेरों के माध्यम से राजनेता गुरुजनों के अनुयायियों की सहानुभूति बटोरना चाहते हैं. धनंजय शर्मा का मानना है कि बेशक हिमाचल के लोग धार्मिक डेरों के प्रति श्रद्धा रखते हैं, लेकिन वे वोट देते समय अपने विवेक पर अधिक निर्भर करते हैं. हिमाचल के मतदाता जागरूक हैं. यहां की राजनीतिक चेतना का विस्तार प्रशंसनीय है. ये सही है कि लोगों की भावना आध्यत्मिक डेरों के साथ जुड़ी है, लेकिन कोई भी डेरा प्रमुख पार्टी विशेष को वोट डालने के लिए निर्देशित नहीं करते. अलबत्ता पंजाब व हरियाणा में चुनाव इसका अपवाद हैं. (religious camps in Himachal)
![Himachal politicians in religious camps](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/16581623_sat_politics.jpg)
हिमाचल में राधास्वामी सत्संग ब्यास के सबसे अधिक अनुयायी: यदि हिमाचल में डेरों के प्रभाव की बात करें तो यहां सबसे अधिक अनुयायी राधास्वामी सत्संग ब्यास के हैं. प्रदेश के हर जिले में उनके सत्संग घर हैं. यही नहीं, डेरे के पास हिमाचल में दान से मिली करीब पांच हजार बीघा जमीन है. इसी तरह डेरा सच्चा सौदा व निरंकारी मिशन के पास भी सैकड़ों बीघा जमीन है. स्थानीय तौर पर देखें तो राजनेता ऊना जिले के बाबा लाल आश्रम, डेरा बाबा रुद्रानंद की मान्यता है. यहां भी राजनेता चुनाव में जीत का आशीष लेने आते हैं. बाबा लाल आश्रम में तो मुकेश अगिनहोत्री, वीरेंद्र कंवर, सतपाल सिंह सत्ती सहित सीएम जयराम ठाकुर भी अकसर शीश नवाने आते हैं.
चुनावी साल में इसलिए डेरों की राह पकड़ते हैं राजनेता: हालांकि इन डेरों से भी कभी अपने अनुयायियों को पार्टी विशेष के पक्ष में मतदान की अपील व निर्देश नहीं दिए गए, लेकिन हिमाचल के राजनेता इस बात को समझते हैं कि इन डेरों के अनुयायियों का भावुक समर्थन हासिल करने के लिए उनके गुरुजनों के आगे नतमस्तक होना जरूरी है. एक बार फिर से चुनाव का सीजन (Himachal Assembly Elections 2022) आया है. हाल ही में सीएम जयराम ठाकुर, सतपाल सिंह सत्ती और वीरेंद्र कंवर ऊना में बाबा लाल आश्रम में माथा टेकने गए थे. मुकेश अग्निहोत्री भी समय-समय पर वहां जाते रहते हैं. पर्दे के पीछे राजनेता डेरों के गुरुजनों से क्या गुहार लगाते हैं, ये तो वही जानते हैं, लेकिन हिमाचल के मतदाता धार्मिक होने के साथ-साथ विवेकवान भी हैं. लिहाजा पंजाब व हरियाणा जैसा प्रभाव यहां न के बराबर देखने को मिलता है. (Religious Camps in Himachal)
ये भी पढ़ें: क्या कांग्रेस में घुट रहा है नेताओं का दम, भाजपा में आश्रय को मजबूर क्यों हिमाचल के कांग्रेसी