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केरल : पिछले पांच वर्षों की उपलब्धियों के साथ चुनाव मैदान में उतरेगा वाम गठबंधन - यूडीएफ चुनावी अभियान

आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) और यूडीएफ चुनावी अभियान के लिए तैयार हैं. दोनों दलों के चुनावी मुद्दे तैयार हैं. पढ़िए इन मुद्दों को लेकर ईटीवी भारत केरल के डिप्टी एडीटर के. प्रवीण कुमार का विश्लेषण...

केरल सरकार
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Published : Feb 3, 2021, 11:04 PM IST

Updated : Feb 4, 2021, 6:46 AM IST

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने राज्य में उच्च शिक्षा परिदृश्य कैसा होना चाहिए, इसके बारे में छात्रों की राय लेने के लिए अपने कैंपस दौरे की शुरुआत की. इस दौरान वह राज्य के प्रमुख विश्वविद्यालयों का दौरा करेंगे और छात्रों के साथ बातचीत करेंगे. उनका उद्देश्य एक उच्च शिक्षा योजना तैयार करना है, जिसे वह आगामी विधानसभा चुनावों के लिए वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) के घोषणापत्र में शामिल कर सकें.

दूसरी ओर, कांग्रेस की अगुवाई वाला मुख्य विपक्षी गठबंधन, यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे को उठा रहा है, जो कि अदालत में विचाराधीन है. यूडीएफ ने माना कि एलडीएफ सरकार के खिलाफ सोने की तस्करी, लाइफ मिशन में भ्रष्टाचार और आईटी विभाग में अनियमितता के आरोप के मुद्दे स्थानीय निकाय चुनावों के दौरान ज्यादा प्रभावशाली नहीं थे जिसके बाद सबरीमाला का मुद्दा चुनाव प्रचार में उठाया जा रहा है.

इसके विपरीत सत्ता में आने के बाद और विपक्ष द्वारा लगाए जा रहे राजनीतिक आरोपों के बाद एलडीएफ मुख्य रूप से अभियान में पिछले पांच वर्षों की उपलब्धियां गिना रही है, साथ ही आने वाले वर्षों में किए जाने वाले कार्यों और उसमें सुधार कैसे किए जाएं इसके बारे में जनता को बता रही है. आगामी विधानसभा चुनाव में एलडीएफ के लिए 'वोट फॉर डेवलपमेंट' मुख्य नारा होगा.

एलडीएफ ने हाल ही में ऐसे ही अभियान के साथ स्थानीय निकाय चुनावों में प्रचंड बहुमत से जीत हासिल की. एलडीएफ ने विपक्ष द्वारा लगाए गए आरोपों को दरकिनार करते हुए अपना ध्यान मतदाताओं पर केंद्रित किया. मतदाता, जो कोविड महामारी के दौरान सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से नि: शुल्क प्रावधान किट और बाढ़ के दौरान विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थी थे, जिन्हें आश्वासन की आवश्यकता नहीं थी.

मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने एक चुनाव से पहले कहा, झूठे और बेबुनियादी आरोप लगाते हुए सरकार के खिलाफ घृणा अभियान चलाया गया है, लेकिन लोगों ने इस पर भरोसा नहीं किया. उन्होंने सरकार द्वारा किए गए कल्याण और विकास कार्यों का समर्थन किया. वे चाहते थे कि सरकार अच्छे कामों को जारी रखे.

यह स्पष्ट है कि एलडीएफ सरकार अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों का स्पष्टिकरण देने के लिए किसी तरह का अभियान नहीं चलाएगी बल्कि पिछले पांच वर्षों में आई आपदाओं के बाद भी किए गए कार्यों का बारे में बताएगी. लोगों ने जब स्थानीय निकाय चुनावों में एलडीएफ को वोट किया, तब विपक्ष (यूडीएफ) को समझ आ गया था कि एलडीएफ पर लगाए गए आरोपों को दौहराकर मतदाताओं का विश्वास जीतना मुश्किल होगा.

जब पिनारयी विजयन ने पिछले महीने अपना अभियान शुरू किया था, तब उन्होंने जनता से कहा था कि 2016 के मैनिफेस्टो में 600 परियोजनाओं और योजनाओं के शुरू होना का वादा किया गया था, इसमें से केवल 30 बाकी है जिन्हें यह कार्यकाल समाप्त होने से पहले पूरा कर लिया जाएगा.

एलडीएफ सरकार के पास कई परियोजनाएं हैं जिनका वे आगामी चुनाव अभियान के दौरान प्रचार कर सकती है. अर्धराम मिशन, जिसने राज्य में सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में क्रांति ला दी, लाइफ मिशन, जिसते तहत इस साल 18 जनवरी तक राज्य में 2,51,046 घर मुहैया कराए गए; जलमार्ग, हरियाली की रक्षा और प्रभावी अपशिष्ट प्रबंधन के लिए हरित केरल मिशन, सार्वजनिक शिक्षा कायाकल्प मिशन जिससे केरल में सार्वजनिक शिक्षा का पुनरुद्धार हुआ, महिला सशक्तीकरण और एलजीबीटी समुदाय के लिए कई कदम उठाए गए, संभवतः केरल पहला राज्य होगा जहां लोक सेवा आयोग के माध्यम से ट्रांसजेंडरों को सरकारी नौकरियां दी गई. साथ ही केरल इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट फंड बोर्ड के माध्यम से कई विकास कार्य किए गए.

केआईआईएफबी, एक कॉर्पोरेट बॉडी, जिसकी कांग्रेस और भाजपा द्वारा विदेशी उधार के लिए आलोचना की जाती है, अब राज्य में अधिकांश बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए धन मुहैया करा रही है. विधानसभा को नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट के खिलाफ एक अभूतपूर्व रुख अपनाना पड़ा, जिसने केआईआईएफबी को असंवैधानिक करार दिया था. विधानसभा ने कैग रिपोर्ट के आपत्तिजनक अंश को हटाते हुए एक प्रस्ताव पारित किया था, जिसका यूडीएफ ने कड़ा विरोध किया था.

पढ़ें :- केरल स्थानीय निकाय चुनाव, पैदा हुआ राजनीतिक संकट

यूडीएफ, जो हितों को लेकर कमजोर है, यहां पूर्व सीएम ओमन चांडी, वर्तमान विपक्षी नेता रमेश चेन्निथला और केपीसीसी के अध्यक्ष रामचंद्रन सीएम पद पर नजर गड़ाए बैठे हैं, आखिरकार सबरीमाला को चुनावी मुद्दे के रूप में उठाने के लिए तैयार हैं. एंटी-इनकंबेंसी एक ऐसा कारक नहीं हो सकता है जिस पर यूडीएफ चुनाव अभियान के लिए आश्रय कर सके. इंडियन युनियन मुस्लिम लीग, जिसे यूडीएफ का विश्वसनीय भागीदार माना जाता है, ने यूडईएफ के अदंर शर्तों को निर्धारित करना शुरू कर दिया है.

पिछले साल संसद चुनाव में सबरीमाला बड़ा मुद्दा था, इसलिए इस बार यह मुद्दा उठाया जा रहा है. हालांकि इसमें कोई संदेह नहीं है कि संसद चुनाव के दौरान सबरीमाला ने सीपीएम के वोट बैंक में सेंध लगाई थी जिससे यूडीएफ ने 20 में से 19 संसद क्षेत्रों में जीत हासिल की थी. मतदाताओं ने केंद्र में भाजपा के विकल्प के रूप में कांग्रेस को चुना था.

सीपीएम सचिवालय ने पहले ही अपने नेताओं को आगाह किया है कि वे बीजेपी और यूडीएफ द्वारा लगाए गए आरोपों से संबंधित सबरीमाला मुद्दे पर जवाब न दें. एलडीएफ गठबंधन में प्रमुख साझेदार सीपीआई के सचिव कानम राजेंद्रन पहले ही सबरीमाला के मुद्दे पर से ध्यान हटा चुके हैं. कनम ने कहा, सबरीमाला एक मुद्दा है जो न्यायालय में है, लोग जानते हैं कि इसे फिर से उठाना एक चुनावी स्टंट है.

अन्य प्रमुख चुनावी राज्यों जैसे पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु की तुलना में, जहां सरकारें सत्ता-विरोधी लहर का सामना कर रही हैं, तो केरल सरकार अपने पिछले पांच वर्षों की उपलब्धियों के साथ चुनाव मैदान में उतरेगी.

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने राज्य में उच्च शिक्षा परिदृश्य कैसा होना चाहिए, इसके बारे में छात्रों की राय लेने के लिए अपने कैंपस दौरे की शुरुआत की. इस दौरान वह राज्य के प्रमुख विश्वविद्यालयों का दौरा करेंगे और छात्रों के साथ बातचीत करेंगे. उनका उद्देश्य एक उच्च शिक्षा योजना तैयार करना है, जिसे वह आगामी विधानसभा चुनावों के लिए वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) के घोषणापत्र में शामिल कर सकें.

दूसरी ओर, कांग्रेस की अगुवाई वाला मुख्य विपक्षी गठबंधन, यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे को उठा रहा है, जो कि अदालत में विचाराधीन है. यूडीएफ ने माना कि एलडीएफ सरकार के खिलाफ सोने की तस्करी, लाइफ मिशन में भ्रष्टाचार और आईटी विभाग में अनियमितता के आरोप के मुद्दे स्थानीय निकाय चुनावों के दौरान ज्यादा प्रभावशाली नहीं थे जिसके बाद सबरीमाला का मुद्दा चुनाव प्रचार में उठाया जा रहा है.

इसके विपरीत सत्ता में आने के बाद और विपक्ष द्वारा लगाए जा रहे राजनीतिक आरोपों के बाद एलडीएफ मुख्य रूप से अभियान में पिछले पांच वर्षों की उपलब्धियां गिना रही है, साथ ही आने वाले वर्षों में किए जाने वाले कार्यों और उसमें सुधार कैसे किए जाएं इसके बारे में जनता को बता रही है. आगामी विधानसभा चुनाव में एलडीएफ के लिए 'वोट फॉर डेवलपमेंट' मुख्य नारा होगा.

एलडीएफ ने हाल ही में ऐसे ही अभियान के साथ स्थानीय निकाय चुनावों में प्रचंड बहुमत से जीत हासिल की. एलडीएफ ने विपक्ष द्वारा लगाए गए आरोपों को दरकिनार करते हुए अपना ध्यान मतदाताओं पर केंद्रित किया. मतदाता, जो कोविड महामारी के दौरान सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से नि: शुल्क प्रावधान किट और बाढ़ के दौरान विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थी थे, जिन्हें आश्वासन की आवश्यकता नहीं थी.

मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने एक चुनाव से पहले कहा, झूठे और बेबुनियादी आरोप लगाते हुए सरकार के खिलाफ घृणा अभियान चलाया गया है, लेकिन लोगों ने इस पर भरोसा नहीं किया. उन्होंने सरकार द्वारा किए गए कल्याण और विकास कार्यों का समर्थन किया. वे चाहते थे कि सरकार अच्छे कामों को जारी रखे.

यह स्पष्ट है कि एलडीएफ सरकार अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों का स्पष्टिकरण देने के लिए किसी तरह का अभियान नहीं चलाएगी बल्कि पिछले पांच वर्षों में आई आपदाओं के बाद भी किए गए कार्यों का बारे में बताएगी. लोगों ने जब स्थानीय निकाय चुनावों में एलडीएफ को वोट किया, तब विपक्ष (यूडीएफ) को समझ आ गया था कि एलडीएफ पर लगाए गए आरोपों को दौहराकर मतदाताओं का विश्वास जीतना मुश्किल होगा.

जब पिनारयी विजयन ने पिछले महीने अपना अभियान शुरू किया था, तब उन्होंने जनता से कहा था कि 2016 के मैनिफेस्टो में 600 परियोजनाओं और योजनाओं के शुरू होना का वादा किया गया था, इसमें से केवल 30 बाकी है जिन्हें यह कार्यकाल समाप्त होने से पहले पूरा कर लिया जाएगा.

एलडीएफ सरकार के पास कई परियोजनाएं हैं जिनका वे आगामी चुनाव अभियान के दौरान प्रचार कर सकती है. अर्धराम मिशन, जिसने राज्य में सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में क्रांति ला दी, लाइफ मिशन, जिसते तहत इस साल 18 जनवरी तक राज्य में 2,51,046 घर मुहैया कराए गए; जलमार्ग, हरियाली की रक्षा और प्रभावी अपशिष्ट प्रबंधन के लिए हरित केरल मिशन, सार्वजनिक शिक्षा कायाकल्प मिशन जिससे केरल में सार्वजनिक शिक्षा का पुनरुद्धार हुआ, महिला सशक्तीकरण और एलजीबीटी समुदाय के लिए कई कदम उठाए गए, संभवतः केरल पहला राज्य होगा जहां लोक सेवा आयोग के माध्यम से ट्रांसजेंडरों को सरकारी नौकरियां दी गई. साथ ही केरल इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट फंड बोर्ड के माध्यम से कई विकास कार्य किए गए.

केआईआईएफबी, एक कॉर्पोरेट बॉडी, जिसकी कांग्रेस और भाजपा द्वारा विदेशी उधार के लिए आलोचना की जाती है, अब राज्य में अधिकांश बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए धन मुहैया करा रही है. विधानसभा को नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट के खिलाफ एक अभूतपूर्व रुख अपनाना पड़ा, जिसने केआईआईएफबी को असंवैधानिक करार दिया था. विधानसभा ने कैग रिपोर्ट के आपत्तिजनक अंश को हटाते हुए एक प्रस्ताव पारित किया था, जिसका यूडीएफ ने कड़ा विरोध किया था.

पढ़ें :- केरल स्थानीय निकाय चुनाव, पैदा हुआ राजनीतिक संकट

यूडीएफ, जो हितों को लेकर कमजोर है, यहां पूर्व सीएम ओमन चांडी, वर्तमान विपक्षी नेता रमेश चेन्निथला और केपीसीसी के अध्यक्ष रामचंद्रन सीएम पद पर नजर गड़ाए बैठे हैं, आखिरकार सबरीमाला को चुनावी मुद्दे के रूप में उठाने के लिए तैयार हैं. एंटी-इनकंबेंसी एक ऐसा कारक नहीं हो सकता है जिस पर यूडीएफ चुनाव अभियान के लिए आश्रय कर सके. इंडियन युनियन मुस्लिम लीग, जिसे यूडीएफ का विश्वसनीय भागीदार माना जाता है, ने यूडईएफ के अदंर शर्तों को निर्धारित करना शुरू कर दिया है.

पिछले साल संसद चुनाव में सबरीमाला बड़ा मुद्दा था, इसलिए इस बार यह मुद्दा उठाया जा रहा है. हालांकि इसमें कोई संदेह नहीं है कि संसद चुनाव के दौरान सबरीमाला ने सीपीएम के वोट बैंक में सेंध लगाई थी जिससे यूडीएफ ने 20 में से 19 संसद क्षेत्रों में जीत हासिल की थी. मतदाताओं ने केंद्र में भाजपा के विकल्प के रूप में कांग्रेस को चुना था.

सीपीएम सचिवालय ने पहले ही अपने नेताओं को आगाह किया है कि वे बीजेपी और यूडीएफ द्वारा लगाए गए आरोपों से संबंधित सबरीमाला मुद्दे पर जवाब न दें. एलडीएफ गठबंधन में प्रमुख साझेदार सीपीआई के सचिव कानम राजेंद्रन पहले ही सबरीमाला के मुद्दे पर से ध्यान हटा चुके हैं. कनम ने कहा, सबरीमाला एक मुद्दा है जो न्यायालय में है, लोग जानते हैं कि इसे फिर से उठाना एक चुनावी स्टंट है.

अन्य प्रमुख चुनावी राज्यों जैसे पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु की तुलना में, जहां सरकारें सत्ता-विरोधी लहर का सामना कर रही हैं, तो केरल सरकार अपने पिछले पांच वर्षों की उपलब्धियों के साथ चुनाव मैदान में उतरेगी.

Last Updated : Feb 4, 2021, 6:46 AM IST
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