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कैप्टन सतीश और पूर्व पीएम राजीव गांधी की दोस्ती का देवभूमि कनेक्शन, जानें खास बातें

कैप्टन सतीश शर्मा के राजनीतिक जीवन और गांधी परिवार से नजदीकी का जिक्र तो अक्सर होता रहता है, लेकिन आज हम आपको उनकी जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें बताने जा रहे हैं.

कैप्टन सतीश शर्मा
कैप्टन सतीश शर्मा
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Published : Feb 21, 2021, 4:52 PM IST

देहरादून : राजीव गांधी ने सियासत की दुनिया में कदम ही रखा था कि साल 1984 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उनके कंधों पर एकाएक बड़ी जिम्मेदारी आ गई. ऐसे में राजीव ने अपने दोस्त सतीश को याद किया और वो अपनी पायलट की नौकरी छोड़ राजीव के साथ सियासत में हाथ बंटाने आ गए. एयरलाइंस कंपनी में कैप्टन रहने के दौरान सतीश शर्मा और राजीव गांधी की दोस्ती हुई थी. राजीव के निधन के बाद भी सतीश ने ये दोस्ती निभाई और अपने अंत समय तक गांधी परिवार का साथ नहीं छोड़ा. कैप्टन सतीश शर्मा के राजनीतिक जीवन और गांधी परिवार से नजदीकी का जिक्र तो अक्सर होता रहता है, लेकिन आज हम आपको उनकी जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें बताने जा रहे हैं...

दरअसल, राजीव गांधी के बेटे राहुल मसूरी के वुडस्टॉक स्कूल में पढ़ा करते थे, जिस वजह से कैप्टन सतीश शर्मा अभिभावक के तौर पर राहुल से मिलने अक्सर यहां आते रहते थे. क्योंकि नेहरू परिवार का भी उत्तराखंड में देहरादून और मसूरी से विशेष लगाव था, इसलिए अक्सर राजीव गांधी के साथ कैप्टन सतीश शर्मा उत्तराखंड आते थे. उन्हें ये स्थान इतना पसंद आया कि बाद में उन्होंने मसूरी स्थित धनौल्टी रोड पर अपना आशियाना बनाया.

कैप्टन सतीश शर्मा और पूर्व पीएम राजीव गांधी की दोस्ती का देवभूमि कनेक्शन.

यही नहीं, पंडित नेहरू की पसंदीदा जगह पर भी सतीश शर्मा का एक सुंदर आशियाना है. कैप्टन शर्मा के बेहद करीबी रहे बॉलीवुड सिंगर जुबिन नौटियाल के पिता रामशरण नौटियाल ने इस कहानी को ईटीवी भारत से साझा किया. उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में अक्सर कैप्टन सतीश शर्मा और राजीव गांधी दौरे पर आया करते थे. उनकी पसंदीदा जगह हर्षिल थी. हर्षिल में भागीरथी नदी के किनारे विल्सन हाउस पंडित नेहरू की पसंदीदा जगह में से एक थी, जिसका जिक्र नेहरू ने अपनी किताब डिस्कवरी ऑफ इंडिया में भी किया है.

पढ़ें: रविदास जैसे संतों का आगमन सदियों में होता है : राष्ट्रपति कोविंद

रामशरण नौटियाल बीते सालों की यादों के पन्ने पलटते हुए बताते हैं कि एक बार इस विल्सन हाउस में आग लग गई थी और सारा सामान जलकर खाक हो गया था. इस घटना के बाद सतीश शर्मा ने उसी के सामने एक सुंदर आशियाना बनाया. यहां कई बार कैप्टन सतीश शर्मा और राजीव गांधी सुकून के पल बिता चुके हैं.

कैप्टन सतीश शर्मा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के सबसे खास दोस्त अब इस दुनिया को अलविदा कह चुके हैं. 73 वर्षीय सतीश शर्मा कैंसर से पीड़ित थे और काफी वक्त से बीमार थे. बीती 17 फरवरी को गोवा में उनका निधन हो गया. उनका अंतिम संस्कार दिल्ली में हुआ. अपने पिता के खास दोस्त के प्रति सम्मान प्रकट करते हुए पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने नंगे पैर सतीश शर्मा के पार्थिव शरीर को कंधा दिया. हरिद्वार हरकी पैड़ी पर उनके बेटे समीर ने पूरे विधि विधान से उनकी अस्थियों को गंगा में विसर्जित किया.

देहरादून : राजीव गांधी ने सियासत की दुनिया में कदम ही रखा था कि साल 1984 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उनके कंधों पर एकाएक बड़ी जिम्मेदारी आ गई. ऐसे में राजीव ने अपने दोस्त सतीश को याद किया और वो अपनी पायलट की नौकरी छोड़ राजीव के साथ सियासत में हाथ बंटाने आ गए. एयरलाइंस कंपनी में कैप्टन रहने के दौरान सतीश शर्मा और राजीव गांधी की दोस्ती हुई थी. राजीव के निधन के बाद भी सतीश ने ये दोस्ती निभाई और अपने अंत समय तक गांधी परिवार का साथ नहीं छोड़ा. कैप्टन सतीश शर्मा के राजनीतिक जीवन और गांधी परिवार से नजदीकी का जिक्र तो अक्सर होता रहता है, लेकिन आज हम आपको उनकी जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें बताने जा रहे हैं...

दरअसल, राजीव गांधी के बेटे राहुल मसूरी के वुडस्टॉक स्कूल में पढ़ा करते थे, जिस वजह से कैप्टन सतीश शर्मा अभिभावक के तौर पर राहुल से मिलने अक्सर यहां आते रहते थे. क्योंकि नेहरू परिवार का भी उत्तराखंड में देहरादून और मसूरी से विशेष लगाव था, इसलिए अक्सर राजीव गांधी के साथ कैप्टन सतीश शर्मा उत्तराखंड आते थे. उन्हें ये स्थान इतना पसंद आया कि बाद में उन्होंने मसूरी स्थित धनौल्टी रोड पर अपना आशियाना बनाया.

कैप्टन सतीश शर्मा और पूर्व पीएम राजीव गांधी की दोस्ती का देवभूमि कनेक्शन.

यही नहीं, पंडित नेहरू की पसंदीदा जगह पर भी सतीश शर्मा का एक सुंदर आशियाना है. कैप्टन शर्मा के बेहद करीबी रहे बॉलीवुड सिंगर जुबिन नौटियाल के पिता रामशरण नौटियाल ने इस कहानी को ईटीवी भारत से साझा किया. उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में अक्सर कैप्टन सतीश शर्मा और राजीव गांधी दौरे पर आया करते थे. उनकी पसंदीदा जगह हर्षिल थी. हर्षिल में भागीरथी नदी के किनारे विल्सन हाउस पंडित नेहरू की पसंदीदा जगह में से एक थी, जिसका जिक्र नेहरू ने अपनी किताब डिस्कवरी ऑफ इंडिया में भी किया है.

पढ़ें: रविदास जैसे संतों का आगमन सदियों में होता है : राष्ट्रपति कोविंद

रामशरण नौटियाल बीते सालों की यादों के पन्ने पलटते हुए बताते हैं कि एक बार इस विल्सन हाउस में आग लग गई थी और सारा सामान जलकर खाक हो गया था. इस घटना के बाद सतीश शर्मा ने उसी के सामने एक सुंदर आशियाना बनाया. यहां कई बार कैप्टन सतीश शर्मा और राजीव गांधी सुकून के पल बिता चुके हैं.

कैप्टन सतीश शर्मा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के सबसे खास दोस्त अब इस दुनिया को अलविदा कह चुके हैं. 73 वर्षीय सतीश शर्मा कैंसर से पीड़ित थे और काफी वक्त से बीमार थे. बीती 17 फरवरी को गोवा में उनका निधन हो गया. उनका अंतिम संस्कार दिल्ली में हुआ. अपने पिता के खास दोस्त के प्रति सम्मान प्रकट करते हुए पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने नंगे पैर सतीश शर्मा के पार्थिव शरीर को कंधा दिया. हरिद्वार हरकी पैड़ी पर उनके बेटे समीर ने पूरे विधि विधान से उनकी अस्थियों को गंगा में विसर्जित किया.

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