उत्तरकाशी(उत्तराखंड): उत्तरकाशी टनल हादसे पर देशभर की नजरें टिकी हैं. उत्तरकाशी सिल्क्यारा टनल हादसे में सात राज्यों के 40 मजदूर फंसे हुए हैं. जिसके बाद मजदूरों को टनल से बाहर निकालने किए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है. इस बीच उत्तरकाशी टनल हादसे को लेकर कई जानकारियां सामने आ रही हैं. इसमें सबसे बड़ी जानकारी ये है कि सिलक्यारा टनल में मलबा गिरने की यह कोई पहली घटना नहीं है. जिस संवेदनशील हिस्से में भूस्खलन के चलते 40 मजदूर सुरंग के अंदर फंसे हुए हैं उस जगह पूर्व में भी कई बार मलबा गिर चुका है. जिसका स्थाई उपचार सुरंग के आर-पार किये जाने के बाद किया जाना था.
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#WATCH | Uttarakhand | On the Uttarkashi Tunnel accident, Ranjeet Kumar Sinha, State Disaster Management Secretary says "...Since there was soft rock, it collapsed due to pressure. Treatment for the same will be done later currently our primary responsibility is to rescue people… pic.twitter.com/BqRlMXmTlA
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) November 13, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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इस संवेदनशील हिस्से का स्थाई उपचार शुरू में ही कर दिया गया होता तो यह घटना नहीं होती. चारधाम सड़क परियोजना के तहत सिलक्यारा से पोलगांव के बीच 4.5 किमी लंबी सुरंग बनाई जा रही है. बीते रविवार को इस सुरंग के सिलक्यारा वाले मुहाने से करीब 230 मीटर अंदर 35 मीटर हिस्सो में भारी भूस्खलन हुआ. जिसका मलबा करीब 60 मीटर दायरे में फैल गया. जिससे सुरंग बंद हो गई. इसके कारण सुरंग की खुदाई में लगे 40 मजदूर अंदर फंस गये.
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Uttarkashi tunnel accident | Water, food, oxygen and electricity are available with the workforce trapped inside the runnel. Small food packets have also been pumped inside the tunnel. All stranded workers are safe: National Highway & Infrastructure Development Corporation… pic.twitter.com/mkGAHJFwG0
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मजदूरों ने बताई हकीकत: पहले दिन निर्माण कार्य से जुड़े मजदूरों से बात की तो उन्होंने बताया जिस जगह भूस्खलन हुआ है, वह सुरंग का काफी संवेदनशील हिस्सा है. जिसमें पहले भी कई बार लैंडस्लाइड हो चुका है. यहां सुरक्षा के लिए इंतजाम किए गए थे. उन्होंने बताया इस संवेदनशील हिस्से का स्थाई उपचार नहीं किया गया. इसके लिए सुरंग आर-पार होने का समय रखा गया. मजदूरों ने बताया अगर इस हिस्से का स्थाई उपचार करते हुए आगे निर्माण किया गया होता तो इस तरह की घटना नहीं होती.
आपदा प्रबंधन सचिव मौके पर पहुंचे: हादसे के बाद सोमवार को पहुंचे आपदा प्रबंधन सचिव डॉ.रंजीत सिन्हा ने कहा इस संवेदनशील हिस्से में रिब्ड डालने के बाद रॉक बोल्टिंग व प्राइमरी लाइनिंग भी की गई, लेकिन मलबे के भारी प्रेशर के कारण सुरंग टूट गई. उन्होंने बताया इस हिस्से का बाद में स्थाई उपचार करवाया जाएगा.
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सीबीआरआई व वाडिया सहित कई संस्थानों की टीमें पहुंची: घटना के बाद सीबीआरआई(सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट) व वाडिया हिमालय भू विज्ञान संस्थान आदि कई संस्थानों की टीमें मौके पर पहुंची हुई हैं. सभी घटना के पीछे के कारणों को जानने का प्रयास कर रही हैं. बताया जा रहा है कि टीमों ने टनल के अंदर आए मलबे के साथ जिस पहाड़ टनल बनाई जा रही है, उसके ऊपरी हिस्से से मिट्टी व चट्टान के सैंपल भी परीक्षण के लिए इकठ्ठा किए हैं.
सिलक्यारा टनल हादसे की टाइम लाइन
- रविवार सुबह 5.30 बजे-टनल में हुआ भूस्खलन
- जिसके बाद टनल में 40 मजदूर फंस गये.
- सुबह 8:45 बजे घटना की सूचना आपदा प्रबंधन विभाग को मिली
- सुबह 10 बजे-एसपी अर्पण यदुवंशी उत्तरकाशी घटनास्थल पहुंचे
- सुबह 10 बजे-वर्टिकल ड्रिलिंग मशीन मंगाई गई
- सुबह 10 बजे सिलक्यारा टनल में रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू हुआ
- सुबह 10:30 बजे एसडीआरएफ, एनडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंची
- 1 बजे-डीएम अभिषेक रूहेला एनएचआईडीसीएल के मुख्य महाप्रबंधक विशाल गुप्ता के साथ मौके पर पहुंचे
- रात 12:30 बजे अंदर फंसे मजदूरों से वॉकी-टॉकी से संपर्क हुआ.
- बातचीत के बाद मजदूरों को खाने के लिए चने व ड्राई फूड भेजे गये
- 13 नवंबर सुबह 11 बजे सीएम पुष्कर सिंह धामी मौके पर पहुंचे.
- 12 बजे आपदा प्रबंधन सचिव डॉ.रंजीत कुमार सिन्हा मौके पर पहुंचे