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उत्तराखंड में 'लैंड जिहाद' बीजेपी की जीत का 'फॉर्मूला'! 'डेमोग्राफी चेंज' साबित होगा बड़ा 'हथियार'

लोकसभा चुनाव में 'लैंड जिहाद' उत्तराखंड बीजेपी की जीत का 'फॉर्मूला' साबित हो सकता है. सीएम धामी, उनके मंत्री और बीजेपी संगठन जोर-शोर से इस मुद्दे को उठा रहे हैं. इसी कड़ी में 'डेमोग्राफी चेंज' की बात भी हो रही है. ये दोनों ही मुद्दे हिंदूवादी मुद्दे हैं जिससे लोकसभा के चुनावी गणित को साधा जा सकता है.

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उत्तराखंड में 'लैंड जिहाद' बीजेपी की जीत का 'फॉर्मूला'!
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Published : May 19, 2023, 7:47 PM IST

Updated : May 19, 2023, 10:25 PM IST

उत्तराखंड में 'लैंड जिहाद' बीजेपी की जीत का 'फॉर्मूला'!

देहरादून (उत्तराखंड): सही को छेड़ेंगे नहीं, गलत को छोड़ेंगे नहीं...इस टैगलाइन के साथ भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनाव की तैयारियों में अभी से जुट गई है. उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी पांचों लोकसभा सीटों पर अपना खंभ गड़ाए रखने की कोशिश कर रही है. जिसके लिए उत्तराखंड बीजेपी संगठन लगातार लैंड जिहाद, यूनिफॉर्म सिविल कोड, धर्मांतरण कानून को लेकर जनता के बीच जा रही है. सीएम पुष्कर सिंह धामी ने खुद लैंड जिहाद को लेकर मोर्चा खोला हुआ है. सरकार के मंत्री से लेकर संगठन के नेता जोर-शोर से इन मुद्दों को जनता के बीच उठा रहे हैं. ऐसे में साफ तौर पर समझा जा सकता है कि इन सभी मुद्दों को बीजेपी लोकसभा चुनाव में अपनी जीत के 'फार्मूला' के तौर पर इस्तेमाल कर रही है.

तेजी से चल रहा एक्शन: उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य में राजाजी और कॉर्बेट नेशनल पार्क में अतिक्रमणकारियों ने धार्मिक स्थल के नाम पर जमीन कब्जाने का काम किया. यहां बड़ी तेजी से निर्माण कार्य किए गये. जिसके बाद सीएम धामी की सख्ती के बाद तेजी से इस पर काम शुरू किया गया. अभी हालात ये हैं कि अधिकारी सुबह होते ही बुलडोजर लेकर अवैध धार्मिक स्थलों और अतिक्रमण को हटाने पहुंच जाते हैं. ये एक्शन इतना तेज है कि सुबह अतिक्रमण रिमूवल की संख्या 200 होती है तो शाम होते ही ये संख्या पूरे राज्य में 300 या 400 पहुंच जाती है.

पढे़ं- देहरादून जमीन फर्जीवाड़ा मामला: अपनों पर लगे 'दाग' पर कांग्रेस की सफाई, 'सही को छेड़ेंगे नहीं, गलत को छोड़ेंगे नहीं'

बड़ी संख्या में मिल रहे अवैध निर्माण: वहीं, नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश के बाद जब उत्तराखंड सरकार ने वन विभाग से एक सर्वे करवाया तो यह मालूम हुआ कि राजाजी और कॉर्बेट नेशनल पार्क में लगभग 350 से अधिक अवैध धार्मिक स्थल बनाए गए हैं. जैसे ही इनको ध्वस्त करने का कार्य शुरू हुआ तो यह संख्या 500 से अधिक पहुंच गई है. जिसके बाद प्रदेशभर में इस ड्राइव को लंबा चलाने की बात की जा रही है. खास बात यह है कि राज्य की बीजेपी सरकार हो या संगठन, दोनों ही इस पूरे मुद्दे को भुनाने और जनता को ये बताने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं. सीएम धामी अपने हर कार्यक्रम में इसका जिक्र कर रहे हैं.

सबसे ऊपर लैंड जिहाद का मुद्दा: भारतीय निर्वाचन आयोग से मिली जानकारी के अनुसार, उत्तराखंड में 82.97% हिंदुओं की आबादी है जो बीजेपी का सीधा टारगेट भी हैं. सरकार के इस अवैध अतिक्रमण हटाने के कार्य को सोशल मीडिया और तमाम प्लेटफॉर्म पर बड़े स्तर पर प्रमोट भी किया जा रहा है, जिससे सरकार को हिंदूवादी संगठनों की सराहना भी मिल रही. बीजेपी अपने हर कार्यक्रम में लैंड जिहाद का जिक्र कर रही है. बीजेपी सरकार यह बताने का काम कर रही है कि यह तमाम अतिक्रमण पूर्व की सरकारों के संरक्षण में हुए हैं, जिसको बीजेपी शासन काल में हटाया जा रहा है. बकायदा अधिकारी भी इस पर रोजाना शाम को ब्रीफिंग कर यह बता रहे हैं कि आज कितने अवैध धार्मिक स्थल हटाए गए हैं. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कुमाऊं और गढ़वाल के सभी कार्यक्रमों में लैंड जिहाद और डेमोग्राफी चेंज का मुद्दा उठा रहे हैं.

पढे़ं- उत्तराखंड में इस तरह होगी जैविक खेती, जर्मन एक्सपर्ट्स की राय जानिए

दरअसल, बीजेपी जानती है कि यह मुद्दा हिंदूवादी है. उत्तराखंड गठन के बाद एक समुदाय की जनसंख्या 1.5% थी. 23 साल बाद यह जनसंख्या लगभग 18% हो गई है. यही वो संख्या है जिससे बीजेपी लोकसभा चुनावों में जनता के बीच जाकर बता सकती है कि कैसे उत्तराखंड में डेमोग्राफिक चेंज हो रहा है. इसके लिए जोर-शोर से डेमोग्राफी चेंज के मुद्दे को उठाया जा रहा है.

मंत्रियों ने भी मिलाया सुर से सुर: ऐसा नहीं है कि केवल सीएम धामी इस मुद्दे को उठा रहे हैं. उनकी सरकार के मंत्री भी उनके सुर से सुर मिला रहे हैं. कैबिनेट मंत्रियों के बयान में भी आने वाले लोकसभा चुनाव के लिए इन मुद्दों की झलक देखी जा सकती है. कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी बार-बार इस बात पर बल दे रहे हैं कि सरकार अतिक्रमणकारियों और लैंड जिहाद करने वालों को बख्शेगी नहीं. गणेश जोशी ने कहा कि, सरकार ने स्पष्ट कर दिया है 'सही को छेड़ेंगे नहीं, गलत को छोड़ेंगे नहीं'. बता दें उत्तराखंड में लगभग दो महीने में 500 से अधिक अवैध धार्मिक स्थलों सहित अवैध अतिक्रमण को हटाया जा चुका है.

कांग्रेस बोली- हर समय चुनाव मोड में रहती है बीजेपी: उधर कांग्रेस भी इस बात को बखूबी समझ रही है. कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी संगठन और सरकार इस पूरे अतिक्रमण मामले को लैंड जिहाद और हिंदूवादी मुद्दे से जोड़ रही है जो सही नहीं है. कांग्रेस प्रवक्ता शीशपाल का कहना है, बीजेपी इस मामले में बड़ी चालाकी से अवैध अतिक्रमण को धार्मिक मान्यताओं से जोड़ रही है. बीजेपी को यह भी बताना चाहिए कि लंबे समय से राज्य में बीजेपी की सरकार है, यह अतिक्रमण किस सरकार के समय में हुआ है? अगर अतिक्रमण हुआ है तो उसे हटाया जाए, लेकिन मौजूदा बीजेपी सरकार अतिक्रमण हटाने से ज्यादा यह हल्ला कर रही है की उनकी सरकार एक विशेष समुदाय के अवैध धार्मिक स्थलों को हटा रही है बल्कि हकीकत ये है कि राज्य में बीजेपी शासनकाल में अवैध अतिक्रमण हुआ है. अब उसी अतिक्रमण को हटाया जा रहा है.

पढे़ं- '2024 में प्रियंका गांधी हो पीएम कैंडिडेट', आचार्य प्रमोद कृष्णम ने विपक्ष को दिया 'एकजुटता' का संदेश

मामले को शांत नहीं होने देना चाहती बीजेपी: कांग्रेस का कहना है कि, त्रिवेंद्र सरकार में शुरुआती दिनों में नेशनल हाईवे का मुद्दा बना. तमाम छोटे-बड़े चुनावों में उसका जिक्र हुआ. इसके बाद धामी सरकार में तमाम तरह के एक्ट और कानून बनाए गए, जिसमें यूनिफॉर्म सिविल कोड सबसे बड़ा चुनावी पैंतरा भी इसे बताया गया. मौजूदा समय में न तो यूनिफॉर्म सिविल कोड का हल्ला है और ना ही किसी दूसरे एक्ट का. ऐसे में बीजेपी सरकार और संगठन ने लोकसभा चुनाव के लिए लैंड जिहाद के मुद्दे को जीत का फॉर्मूला बनाया है, जिसके कारण बीजेपी इस मुद्दे को बिल्कुल भी शांत नहीं पड़ने देना चाहती है.

उत्तराखंड में 'लैंड जिहाद' बीजेपी की जीत का 'फॉर्मूला'!

देहरादून (उत्तराखंड): सही को छेड़ेंगे नहीं, गलत को छोड़ेंगे नहीं...इस टैगलाइन के साथ भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनाव की तैयारियों में अभी से जुट गई है. उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी पांचों लोकसभा सीटों पर अपना खंभ गड़ाए रखने की कोशिश कर रही है. जिसके लिए उत्तराखंड बीजेपी संगठन लगातार लैंड जिहाद, यूनिफॉर्म सिविल कोड, धर्मांतरण कानून को लेकर जनता के बीच जा रही है. सीएम पुष्कर सिंह धामी ने खुद लैंड जिहाद को लेकर मोर्चा खोला हुआ है. सरकार के मंत्री से लेकर संगठन के नेता जोर-शोर से इन मुद्दों को जनता के बीच उठा रहे हैं. ऐसे में साफ तौर पर समझा जा सकता है कि इन सभी मुद्दों को बीजेपी लोकसभा चुनाव में अपनी जीत के 'फार्मूला' के तौर पर इस्तेमाल कर रही है.

तेजी से चल रहा एक्शन: उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य में राजाजी और कॉर्बेट नेशनल पार्क में अतिक्रमणकारियों ने धार्मिक स्थल के नाम पर जमीन कब्जाने का काम किया. यहां बड़ी तेजी से निर्माण कार्य किए गये. जिसके बाद सीएम धामी की सख्ती के बाद तेजी से इस पर काम शुरू किया गया. अभी हालात ये हैं कि अधिकारी सुबह होते ही बुलडोजर लेकर अवैध धार्मिक स्थलों और अतिक्रमण को हटाने पहुंच जाते हैं. ये एक्शन इतना तेज है कि सुबह अतिक्रमण रिमूवल की संख्या 200 होती है तो शाम होते ही ये संख्या पूरे राज्य में 300 या 400 पहुंच जाती है.

पढे़ं- देहरादून जमीन फर्जीवाड़ा मामला: अपनों पर लगे 'दाग' पर कांग्रेस की सफाई, 'सही को छेड़ेंगे नहीं, गलत को छोड़ेंगे नहीं'

बड़ी संख्या में मिल रहे अवैध निर्माण: वहीं, नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश के बाद जब उत्तराखंड सरकार ने वन विभाग से एक सर्वे करवाया तो यह मालूम हुआ कि राजाजी और कॉर्बेट नेशनल पार्क में लगभग 350 से अधिक अवैध धार्मिक स्थल बनाए गए हैं. जैसे ही इनको ध्वस्त करने का कार्य शुरू हुआ तो यह संख्या 500 से अधिक पहुंच गई है. जिसके बाद प्रदेशभर में इस ड्राइव को लंबा चलाने की बात की जा रही है. खास बात यह है कि राज्य की बीजेपी सरकार हो या संगठन, दोनों ही इस पूरे मुद्दे को भुनाने और जनता को ये बताने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं. सीएम धामी अपने हर कार्यक्रम में इसका जिक्र कर रहे हैं.

सबसे ऊपर लैंड जिहाद का मुद्दा: भारतीय निर्वाचन आयोग से मिली जानकारी के अनुसार, उत्तराखंड में 82.97% हिंदुओं की आबादी है जो बीजेपी का सीधा टारगेट भी हैं. सरकार के इस अवैध अतिक्रमण हटाने के कार्य को सोशल मीडिया और तमाम प्लेटफॉर्म पर बड़े स्तर पर प्रमोट भी किया जा रहा है, जिससे सरकार को हिंदूवादी संगठनों की सराहना भी मिल रही. बीजेपी अपने हर कार्यक्रम में लैंड जिहाद का जिक्र कर रही है. बीजेपी सरकार यह बताने का काम कर रही है कि यह तमाम अतिक्रमण पूर्व की सरकारों के संरक्षण में हुए हैं, जिसको बीजेपी शासन काल में हटाया जा रहा है. बकायदा अधिकारी भी इस पर रोजाना शाम को ब्रीफिंग कर यह बता रहे हैं कि आज कितने अवैध धार्मिक स्थल हटाए गए हैं. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कुमाऊं और गढ़वाल के सभी कार्यक्रमों में लैंड जिहाद और डेमोग्राफी चेंज का मुद्दा उठा रहे हैं.

पढे़ं- उत्तराखंड में इस तरह होगी जैविक खेती, जर्मन एक्सपर्ट्स की राय जानिए

दरअसल, बीजेपी जानती है कि यह मुद्दा हिंदूवादी है. उत्तराखंड गठन के बाद एक समुदाय की जनसंख्या 1.5% थी. 23 साल बाद यह जनसंख्या लगभग 18% हो गई है. यही वो संख्या है जिससे बीजेपी लोकसभा चुनावों में जनता के बीच जाकर बता सकती है कि कैसे उत्तराखंड में डेमोग्राफिक चेंज हो रहा है. इसके लिए जोर-शोर से डेमोग्राफी चेंज के मुद्दे को उठाया जा रहा है.

मंत्रियों ने भी मिलाया सुर से सुर: ऐसा नहीं है कि केवल सीएम धामी इस मुद्दे को उठा रहे हैं. उनकी सरकार के मंत्री भी उनके सुर से सुर मिला रहे हैं. कैबिनेट मंत्रियों के बयान में भी आने वाले लोकसभा चुनाव के लिए इन मुद्दों की झलक देखी जा सकती है. कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी बार-बार इस बात पर बल दे रहे हैं कि सरकार अतिक्रमणकारियों और लैंड जिहाद करने वालों को बख्शेगी नहीं. गणेश जोशी ने कहा कि, सरकार ने स्पष्ट कर दिया है 'सही को छेड़ेंगे नहीं, गलत को छोड़ेंगे नहीं'. बता दें उत्तराखंड में लगभग दो महीने में 500 से अधिक अवैध धार्मिक स्थलों सहित अवैध अतिक्रमण को हटाया जा चुका है.

कांग्रेस बोली- हर समय चुनाव मोड में रहती है बीजेपी: उधर कांग्रेस भी इस बात को बखूबी समझ रही है. कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी संगठन और सरकार इस पूरे अतिक्रमण मामले को लैंड जिहाद और हिंदूवादी मुद्दे से जोड़ रही है जो सही नहीं है. कांग्रेस प्रवक्ता शीशपाल का कहना है, बीजेपी इस मामले में बड़ी चालाकी से अवैध अतिक्रमण को धार्मिक मान्यताओं से जोड़ रही है. बीजेपी को यह भी बताना चाहिए कि लंबे समय से राज्य में बीजेपी की सरकार है, यह अतिक्रमण किस सरकार के समय में हुआ है? अगर अतिक्रमण हुआ है तो उसे हटाया जाए, लेकिन मौजूदा बीजेपी सरकार अतिक्रमण हटाने से ज्यादा यह हल्ला कर रही है की उनकी सरकार एक विशेष समुदाय के अवैध धार्मिक स्थलों को हटा रही है बल्कि हकीकत ये है कि राज्य में बीजेपी शासनकाल में अवैध अतिक्रमण हुआ है. अब उसी अतिक्रमण को हटाया जा रहा है.

पढे़ं- '2024 में प्रियंका गांधी हो पीएम कैंडिडेट', आचार्य प्रमोद कृष्णम ने विपक्ष को दिया 'एकजुटता' का संदेश

मामले को शांत नहीं होने देना चाहती बीजेपी: कांग्रेस का कहना है कि, त्रिवेंद्र सरकार में शुरुआती दिनों में नेशनल हाईवे का मुद्दा बना. तमाम छोटे-बड़े चुनावों में उसका जिक्र हुआ. इसके बाद धामी सरकार में तमाम तरह के एक्ट और कानून बनाए गए, जिसमें यूनिफॉर्म सिविल कोड सबसे बड़ा चुनावी पैंतरा भी इसे बताया गया. मौजूदा समय में न तो यूनिफॉर्म सिविल कोड का हल्ला है और ना ही किसी दूसरे एक्ट का. ऐसे में बीजेपी सरकार और संगठन ने लोकसभा चुनाव के लिए लैंड जिहाद के मुद्दे को जीत का फॉर्मूला बनाया है, जिसके कारण बीजेपी इस मुद्दे को बिल्कुल भी शांत नहीं पड़ने देना चाहती है.

Last Updated : May 19, 2023, 10:25 PM IST
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