ETV Bharat / bharat

Lakhimpur Kheri violence case: आशीष मिश्रा की जमानत पर SC ने यूपी सरकार से मांगा जवाब - The Supreme Court

लखीमपुर हिंसा मामले (Lakhimpur Kheri violence case) में सुप्रीम कोर्ट (The Supreme Court) के मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमना और न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की अध्यक्षता वाली पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार के वकील से सवाल किया कि निगरानी न्यायाधीश की रिपोर्ट से ऐसा लगता है कि उन्होंने जमानत रद्द करने की सिफारिश की थी. आपका क्या रुख है?'

Lakhimpur Kheri violence case
आशीष मिश्रा की जमानत
author img

By

Published : Mar 30, 2022, 4:04 PM IST

नई दिल्ली : यूपी के चर्चित लखीमपुर खीरी कांड के आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत रद्द हो सकती है. सुप्रीम कोर्ट (The Supreme Court) ने बुधवार को उत्तर प्रदेश सरकार (Uttar Pradesh Government) को बताया कि लखीमपुर हिंसा मामले (Lakhimpur Kheri violence case) की जांच की निगरानी कर रहे न्यायाधीश ने आशीष मिश्रा को दी गई जमानत को रद्द करने की सिफारिश की है. साथ ही इस मामले में जवाब मांगा है. उच्चतम न्यायालय ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की विशेष जांच दल (Special Investigation Team) द्वारा की जा रही जांच की निगरानी कर रहे एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की दो रिपोर्ट पर चार अप्रैल तक जवाब देने का उत्तर प्रदेश सरकार को बुधवार को निर्देश दिया. रिपोर्ट में केन्द्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे एवं मामले में आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने की मांग की गई है. प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की एक पीठ ने कहा कि जांच की निगरानी कर रहे सेवानिवृत्त न्यायाधीश ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा मामले में अजय मिश्रा को दी गई जमानत को रद्द करने के लिए राज्य सरकार को पत्र लिखा है.

पढ़ेंः आशीष मिश्रा की जमानत के खिलाफ अपील करने का निर्णय विचार के लिए लंबित : यूपी सरकार

पीठ ने कहा कि एसआईटी ने उत्तर प्रदेश सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) को जांच की निगरानी कर रहे न्यायाधीश के दो पत्र भेजे हैं, जिन्होंने मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने के वास्ते राज्य सरकार को उच्चतम न्यायालय में अपील दायर करने के लिए भी पत्र लिखा है. राज्य सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने शीर्ष अदालत को बताया किया कि अतिरिक्त गृह सचिव ने हमें बताया है कि उन्हें पत्र अभी मिले नहीं हैं. पीठ ने उनसे एसआईटी की रिपोर्ट पर गौर करने और चार अप्रैल तक अपना रुख स्पष्ट करने का निर्देश दिया.

पढ़ेंः Lakhimpur Kheri case: एसआईटी ने दाखिल किया जवाबी हलफनामा, आशीष मिश्रा की ओर से मांगा गया समय

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने उच्च न्यायालय में जमानत का विरोध किया था. उन्होंने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में जमानत रद्द कर दी जाए, क्योंकि उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाते समय आवश्यक कानूनी पहलुओं पर ध्यान नहीं दिया. शीर्ष अदालत ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश राकेश कुमार जैन को लखीमपुर खीरी हिंसा की उत्तर प्रदेश एसआईटी की नियमित जांच की निगरानी के लिए नियुक्त किया था. गौरतलब है कि किसानों का एक समूह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता केशव प्रसाद मौर्य के दौरे के खिलाफ पिछले साल तीन अक्टूबर को प्रदर्शन कर रहा था. तभी लखीमपुर खीरी में एक एसयूवी (कार) ने चार किसानों को कुचल दिया था. इससे गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने भाजपा के दो कार्यकर्ताओं और एक चालक को पीट-पीट कर मार डाला. जबकि हिंसा में एक स्थानीय पत्रकार की भी मौत हो गई थी. किसान नेताओं ने दावा किया है कि उस वाहन में आशीष मिश्रा थे, जिसने प्रदर्शनकारियों को कुचला. हालांकि, मिश्रा ने आरोपों को खारिज किया है.

नई दिल्ली : यूपी के चर्चित लखीमपुर खीरी कांड के आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत रद्द हो सकती है. सुप्रीम कोर्ट (The Supreme Court) ने बुधवार को उत्तर प्रदेश सरकार (Uttar Pradesh Government) को बताया कि लखीमपुर हिंसा मामले (Lakhimpur Kheri violence case) की जांच की निगरानी कर रहे न्यायाधीश ने आशीष मिश्रा को दी गई जमानत को रद्द करने की सिफारिश की है. साथ ही इस मामले में जवाब मांगा है. उच्चतम न्यायालय ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की विशेष जांच दल (Special Investigation Team) द्वारा की जा रही जांच की निगरानी कर रहे एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की दो रिपोर्ट पर चार अप्रैल तक जवाब देने का उत्तर प्रदेश सरकार को बुधवार को निर्देश दिया. रिपोर्ट में केन्द्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे एवं मामले में आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने की मांग की गई है. प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की एक पीठ ने कहा कि जांच की निगरानी कर रहे सेवानिवृत्त न्यायाधीश ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा मामले में अजय मिश्रा को दी गई जमानत को रद्द करने के लिए राज्य सरकार को पत्र लिखा है.

पढ़ेंः आशीष मिश्रा की जमानत के खिलाफ अपील करने का निर्णय विचार के लिए लंबित : यूपी सरकार

पीठ ने कहा कि एसआईटी ने उत्तर प्रदेश सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) को जांच की निगरानी कर रहे न्यायाधीश के दो पत्र भेजे हैं, जिन्होंने मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने के वास्ते राज्य सरकार को उच्चतम न्यायालय में अपील दायर करने के लिए भी पत्र लिखा है. राज्य सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने शीर्ष अदालत को बताया किया कि अतिरिक्त गृह सचिव ने हमें बताया है कि उन्हें पत्र अभी मिले नहीं हैं. पीठ ने उनसे एसआईटी की रिपोर्ट पर गौर करने और चार अप्रैल तक अपना रुख स्पष्ट करने का निर्देश दिया.

पढ़ेंः Lakhimpur Kheri case: एसआईटी ने दाखिल किया जवाबी हलफनामा, आशीष मिश्रा की ओर से मांगा गया समय

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने उच्च न्यायालय में जमानत का विरोध किया था. उन्होंने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में जमानत रद्द कर दी जाए, क्योंकि उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाते समय आवश्यक कानूनी पहलुओं पर ध्यान नहीं दिया. शीर्ष अदालत ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश राकेश कुमार जैन को लखीमपुर खीरी हिंसा की उत्तर प्रदेश एसआईटी की नियमित जांच की निगरानी के लिए नियुक्त किया था. गौरतलब है कि किसानों का एक समूह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता केशव प्रसाद मौर्य के दौरे के खिलाफ पिछले साल तीन अक्टूबर को प्रदर्शन कर रहा था. तभी लखीमपुर खीरी में एक एसयूवी (कार) ने चार किसानों को कुचल दिया था. इससे गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने भाजपा के दो कार्यकर्ताओं और एक चालक को पीट-पीट कर मार डाला. जबकि हिंसा में एक स्थानीय पत्रकार की भी मौत हो गई थी. किसान नेताओं ने दावा किया है कि उस वाहन में आशीष मिश्रा थे, जिसने प्रदर्शनकारियों को कुचला. हालांकि, मिश्रा ने आरोपों को खारिज किया है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.