ETV Bharat / bharat

लखीमपुर खीरी हिंसा : मंत्री के बेटे की जमानत को मारे गए किसानों के परिवारों ने SC में दी चुनौती

लखीमपुर खीरी हिंसा (Lakhimpur kheri violence) मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को जमानत मिल चुकी है. हिंसा में मारे गए किसानों के परिवारों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है.

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट
author img

By

Published : Feb 21, 2022, 4:08 PM IST

Updated : Feb 21, 2022, 7:38 PM IST

नई दिल्ली : लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद अजय कुमार मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा ( Ashish Mishra) को मिली जमानत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court ) में याचिका दायर की गई है. लखीमपुर खीरी हिंसा के दौरान पिछले साल 3 अक्टूबर को चार किसानों सहित आठ लोगों की मौत हो गई थी.

हिंसा में मारे गए किसानों के परिवार के तीन सदस्यों ने उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के 10 फरवरी के जमानत आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध करते हुए कहा कि यह फैसला कानून की नजर में टिकने लायक नहीं है क्योंकि इस मामले में राज्य द्वारा अदालत को कोई सार्थक और प्रभावी सहायता नहीं दी गई.

जगजीत सिंह, पवन कश्यप और सुखविंदर सिंह ने अधिवक्ता प्रशांत भूषण के माध्यम से दायर की गई याचिका में कहा, 'जमानत देने के लिए तय सिद्धांतों के संबंध में उच्च न्यायालय के आदेश में राज्य द्वारा ठोस दलीलों की कमी रही और आरोपी राज्य सरकार पर पर्याप्त प्रभाव रखता है क्योंकि उसके पिता उसी राजनीतिक दल से केंद्रीय मंत्री हैं, जो राज्य की सत्ता में है.'

याचिका में कहा गया, 'उक्त आदेश कानून की नजर में टिकने योग्य नहीं है क्योंकि सीआरपीसी, 1973 की धारा 439 के पहले प्रावधान के उद्देश्य के विपरीत मामले में राज्य द्वारा अदालत को कोई सार्थक और प्रभावी सहायता नहीं मिली, जिसके तहत गंभीर अपराध से जुड़ी जमानत अर्जी के संबंध में आम तौर पर लोक अभियोजक को नोटिस दिया जाना चाहिए.'

इसमें कहा गया है कि उच्च न्यायालय द्वारा इस मामले में स्थापित कानूनी मानदंडों के विपरीत एक 'अनुचित और मनमाना' निर्णय दिया गया, जिसने अपराध की जघन्य प्रकृति पर विचार किए बिना जमानत प्रदान की.

आरोपी के जमानत आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध करते हुए याचिका में सबूतों का क्रमिक उल्लेख किया गया.

याचिका में कहा गया, 'आरोपी के निर्देश पर शांतिपूर्वक लौट रहे किसानों को जानबूझकर वाहन से कुचलने का कृत्य लापरवाही नहीं बल्कि एक पूर्व नियोजित साजिश थी क्योंकि आरोपी उसके बाद खेतों से होते हुए शाम लगभग चार बजे दंगल कार्यक्रम वाली जगह पर वापस आ गया और ऐसे पेश आया, जैसे कुछ हुआ ही नहीं था.'

याचिका में कहा गया है कि उच्च न्यायालय ने जमानत देते समय आरोपी के खिलाफ पुख्ता साक्ष्यों, पीड़ितों और गवाहों के संदर्भ में आरोपी की हैसियत, न्याय के दायरे से भागने और अपराध को दोहराने की संभावना पर विचार नहीं किया.

उनका तर्क है कि मिश्रा की स्थिति को देखते हुए, यह संभावना है कि वह गवाह और सबूतों के साथ छेड़छाड़ करेगा जिससे न्याय मिलने में बाधा आएगी.

पिछले हफ्ते अधिवक्ता सीएस पांडा और शिव कुमार त्रिपाठी ने मिश्रा की जमानत को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ द्वारा जमानत दिए जाने के बाद आशीष मिश्रा को जेल से रिहा किया गया था.

गौरतलब है कि पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा जांच की निगरानी के लिए पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश, न्यायमूर्ति राकेश कुमार जैन को नियुक्त किया था. शीर्ष अदालत ने घटना की जांच कर रही एसआईटी का पुनर्गठन भी किया और आईपीएस अधिकारी एस. बी. शिराडकर को इसका प्रमुख बनाया गया था.

पढ़ें- Lakhimpur Kheri Violence : केंद्रीय मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा को मिली बेल

3 अक्टूबर, 2021 को लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया थाना क्षेत्र में किसान आंदोलन के दौरान भड़की हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी. एसयूवी कार से कुचलने के कारण किसानों की मौत के मामले में आशीष मिश्रा और उनके सहयोगियों को आरोपी बनाया गया था.

पढ़ें: लखीमपुर खीरी कांड का हुआ सीन रिक्रिएशन, घटनास्थल पर मौजूद जांच एजेंसियां

नई दिल्ली : लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद अजय कुमार मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा ( Ashish Mishra) को मिली जमानत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court ) में याचिका दायर की गई है. लखीमपुर खीरी हिंसा के दौरान पिछले साल 3 अक्टूबर को चार किसानों सहित आठ लोगों की मौत हो गई थी.

हिंसा में मारे गए किसानों के परिवार के तीन सदस्यों ने उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के 10 फरवरी के जमानत आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध करते हुए कहा कि यह फैसला कानून की नजर में टिकने लायक नहीं है क्योंकि इस मामले में राज्य द्वारा अदालत को कोई सार्थक और प्रभावी सहायता नहीं दी गई.

जगजीत सिंह, पवन कश्यप और सुखविंदर सिंह ने अधिवक्ता प्रशांत भूषण के माध्यम से दायर की गई याचिका में कहा, 'जमानत देने के लिए तय सिद्धांतों के संबंध में उच्च न्यायालय के आदेश में राज्य द्वारा ठोस दलीलों की कमी रही और आरोपी राज्य सरकार पर पर्याप्त प्रभाव रखता है क्योंकि उसके पिता उसी राजनीतिक दल से केंद्रीय मंत्री हैं, जो राज्य की सत्ता में है.'

याचिका में कहा गया, 'उक्त आदेश कानून की नजर में टिकने योग्य नहीं है क्योंकि सीआरपीसी, 1973 की धारा 439 के पहले प्रावधान के उद्देश्य के विपरीत मामले में राज्य द्वारा अदालत को कोई सार्थक और प्रभावी सहायता नहीं मिली, जिसके तहत गंभीर अपराध से जुड़ी जमानत अर्जी के संबंध में आम तौर पर लोक अभियोजक को नोटिस दिया जाना चाहिए.'

इसमें कहा गया है कि उच्च न्यायालय द्वारा इस मामले में स्थापित कानूनी मानदंडों के विपरीत एक 'अनुचित और मनमाना' निर्णय दिया गया, जिसने अपराध की जघन्य प्रकृति पर विचार किए बिना जमानत प्रदान की.

आरोपी के जमानत आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध करते हुए याचिका में सबूतों का क्रमिक उल्लेख किया गया.

याचिका में कहा गया, 'आरोपी के निर्देश पर शांतिपूर्वक लौट रहे किसानों को जानबूझकर वाहन से कुचलने का कृत्य लापरवाही नहीं बल्कि एक पूर्व नियोजित साजिश थी क्योंकि आरोपी उसके बाद खेतों से होते हुए शाम लगभग चार बजे दंगल कार्यक्रम वाली जगह पर वापस आ गया और ऐसे पेश आया, जैसे कुछ हुआ ही नहीं था.'

याचिका में कहा गया है कि उच्च न्यायालय ने जमानत देते समय आरोपी के खिलाफ पुख्ता साक्ष्यों, पीड़ितों और गवाहों के संदर्भ में आरोपी की हैसियत, न्याय के दायरे से भागने और अपराध को दोहराने की संभावना पर विचार नहीं किया.

उनका तर्क है कि मिश्रा की स्थिति को देखते हुए, यह संभावना है कि वह गवाह और सबूतों के साथ छेड़छाड़ करेगा जिससे न्याय मिलने में बाधा आएगी.

पिछले हफ्ते अधिवक्ता सीएस पांडा और शिव कुमार त्रिपाठी ने मिश्रा की जमानत को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ द्वारा जमानत दिए जाने के बाद आशीष मिश्रा को जेल से रिहा किया गया था.

गौरतलब है कि पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा जांच की निगरानी के लिए पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश, न्यायमूर्ति राकेश कुमार जैन को नियुक्त किया था. शीर्ष अदालत ने घटना की जांच कर रही एसआईटी का पुनर्गठन भी किया और आईपीएस अधिकारी एस. बी. शिराडकर को इसका प्रमुख बनाया गया था.

पढ़ें- Lakhimpur Kheri Violence : केंद्रीय मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा को मिली बेल

3 अक्टूबर, 2021 को लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया थाना क्षेत्र में किसान आंदोलन के दौरान भड़की हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी. एसयूवी कार से कुचलने के कारण किसानों की मौत के मामले में आशीष मिश्रा और उनके सहयोगियों को आरोपी बनाया गया था.

पढ़ें: लखीमपुर खीरी कांड का हुआ सीन रिक्रिएशन, घटनास्थल पर मौजूद जांच एजेंसियां

Last Updated : Feb 21, 2022, 7:38 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.