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पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में चिकित्सा सुविधाओं की हकीकत

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Published : Apr 28, 2021, 11:05 PM IST

Updated : Apr 29, 2021, 5:33 PM IST

कोरोना महामारी से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तमाम दावे कर रहे हैं, लेकिन उनके संसदीय क्षेत्र वाराणसी की ही बात करें तो मरीज और तीमारदारों की शिकायतें कम होने की बजाय बढ़ती दिख रही हैं.

चिकित्सा सुविधाओं की हकीकत
चिकित्सा सुविधाओं की हकीकत

वाराणसी : पीएम मोदी और सीएम योगी, दोनों ही कोरोना से निपटने के लिए तमाम व्यवस्थाओं के दावे रोज कर रहे हैं. सीएम योगी कोरोना से निपटने के लिए नियमित वर्चुअल मीटिंग भी कर रहे हैं. वहीं, प्रदेश सरकार दावे कर रही है कि सूबे में सभी जगह बेड, ऑक्सीजन, वेंटिलेटर इत्यादि चिकित्सकीय सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं. हालांकि, पीएम के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में जमीनी हकीकत की बात करें तो मंजर अलग ही नजर आता है.

ईटीवी भारत की टीम ने यहां के अस्पतालों का निरीक्षण कर लोगों से बातचीत की तो सभी लोग अव्यवस्थाओं का रोना रोते नजर आए. अस्पताल से लेकर श्मशान घाट तक लोग परेशान दिखे.

संसदीय क्षेत्र में चिकित्सा सुविधाओं की हकीकत

दीनदयाल अस्पताल में तीमारदारों की परेशानी
अपने परिजनों का इलाज कराने अस्पताल पहुंच रहे तीमारदारों को चिकित्सकीय सुविधाओं के अभाव में दर-दर भटकना पड़ रहा है. दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में मरीजों के परिजनों का कहना है कि अस्पताल में भर्ती कराने और डॉक्टर को दिखाने में काफी मशक्कत हो रही है. लंबे इंतजार के बाद तो नंबर आ रहा है. उस पर भी डॉक्टर भर्ती करने से मना कर दे रहे हैं. ऐसे में हम अपने मरीज को कहां लेकर जाएं.

अस्पतालों में लगती है लंबी लाइनें
अस्पतालों में लगती है लंबी लाइनें
अभी भी है ऑक्सीजन की किल्लत ऑक्सीजन सिलेंडर लेने आईं डॉक्टर श्रद्धा सिंह ने बताया कि वर्तमान में ऑक्सीजन के बहुत शॉर्टेज है. उन्होंने बताया कि मेरी मां की तबीयत काफी खराब रहती है. मुझे कभी भी इसकी आवश्यकता पड़ सकती है इसलिए मैं एहतियात के तौर पर यहां सिलेंडर भरवाने आई हूं. मुझे यहां ऑक्सीजन नहीं मिल रही है. अभी भी ऑक्सीजन की दिक्कत है, जिसकी वजह से होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीज काफी परेशान हैं.अधिकारी नहीं कर रहे कोई मददसामाजिक कार्यकर्ता अश्वनी त्रिपाठी ने बताया कि 10 दिनों से मैं हर दिन मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराने की प्रक्रिया में रहता हूं. जब वाराणसी में बने कोविड कमांड सेंटर पर फोन करके वेंटिलेटर,ऑक्सीजन के लिए बात करता हूं तो वहां से सिर्फ आश्वासन मिलता है. उसके बाद मरीज की किसी प्रकार से कोई मदद नहीं मिलती. यह एक दिन की बात नहीं है बल्कि हर दिन यही स्थिति है. व्यवस्था सुधारने के लिए भले ही जिला प्रशासन ने हर जगह नोडल व सेक्टर मजिस्ट्रेट की तैनाती कर दी हो लेकिन इसका प्रभाव बिल्कुल उलट पड़ रहा है. सभी अधिकारी अपना फोन बंद करके पड़े हुए हैं. मरीज इधर-उधर भटकने को मजबूर हैं. कोई मदद करने वाला नहीं है.
आमजन की मदद के लिए चलाई जा रही हैं ओपीडी
आमजन की मदद के लिए चलाई जा रही हैं ओपीडी
हर दिन जल रही हैं सैकड़ों लाश, लोग अपनी बारी का कर रहे इंतजारवाराणसी में सरकारी आंकड़े की बात करें तो हर दिन लगभग 10 मौतें होती हैं, लेकिन वही मणिकर्णिका घाट, हरिश्चंद्र घाट पर जलने वाली चिताओं की बात कर लें तो हर दिन सैकड़ों की संख्या में दाह संस्कार किया जा रहा है. आलम यह है कि चिताएं जलते-जलते चिमनिया पिघल गई हैं. दाह संस्कार के लिए लकड़ियों की भी कमी पड़ रही है. अब वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर कोरोना संक्रमित मरीजों का दाह संस्कार नहीं किया जा रहा है, फिर भी शवों की कतार लगी हुई है.
1700 बेड की है व्यवस्था
1700 बेड की है व्यवस्था

वर्तमान में हरिश्चंद्र घाट पर लगने वाले शवों की कतार को रोकने के लिए प्रशासन ने सामने घाट पर अस्थाई शवदाह केंद्र भी बनाया है. यहां पर हर दिन लोगों की भीड़ जुटी रहती है. दाह संस्कार करने आए लोगों का कहना है कि हमें शवदाह करने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है. इसके साथ ही यहां की व्यवस्था के मनमाने पन का शिकार होना पड़ रहा है. यदि कोई कोरोना पेशेंट है तो स्थिति और बदतर है. एक तो दाह संस्कार के लिए मनमानी रकम वसूली जा रही है, दूसरा यदि कंधा देने वाले नहीं हैं तो कंधा देने के लिए भी पैसे की डिमांड की जा रही है.

आमजन की मदद के लिए चलाई जा रही हैं ओपीडी
मंडलीय चिकित्सालय के प्रभारी सीएमएस डॉ. हरिचरण ने बताया कि वर्तमान समय में मरीजों की सहूलियत के लिए अस्पताल में ओपीडी का संचालन किया जा रहा है. हमारे यहां कोरोना टेस्ट कराया जाता है. यदि मरीज संक्रमित आता है तो उसे कोविड अस्पताल में भेजा जाता है. उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में अस्पताल में 125 होल्डिंग एरिया बनाए गए हैं. यहां पर गंभीर मरीजों को रखा जाता है. इसके साथ ही वैक्सीनेशन का काम भी अस्पताल में जोरों पर चल रहा है. इससे लोगों को इस महामारी से सुरक्षित रखा जा सके. यहां ऑक्सीजन की कमी ना हो इसलिए ऑक्सीजन की आपूर्ति भी बढ़ाई गई है. साथ ही आगामी दिनों में अस्पताल परिसर में जल्द ही ऑक्सीजन प्लांट में स्थापित हो जाएगा.

600 वेंटिलेटर बेड की सुविधा.
600 वेंटिलेटर बेड की सुविधा.
47 अस्पताल,1700 बेड की है व्यवस्थाजिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने बताया कि बीते 10 दिनों में 800 बेड से संख्या बढ़ाकर 1700 कर दी गई है. वर्तमान में सभी बेडों पर मरीज हैं. जिले में कुल 46 कोविड अस्पताल संचालित किए जा रहे हैं, जिनमें 39 निजी चिकित्सालय हैं, जबकि 7 सरकारी अस्पताल हैं. उन्होंने बताया कि आगामी दिनों में इन बेडों की संख्या और बढ़ाई जाएगी. इसके साथ ही अगले हफ्ते से वाराणसी के बीएचयू एमपी थिएटर मैदान में अस्थाई अस्पताल भी बनकर तैयार हो जाएगा. यहां 850 बेड होंगे. उन्होंने बताया कि आगामी दिनों में जब ऑक्सीजन का उत्पादन बढ़ेगा तो, अन्य निजी अस्पताल को भी कोविड अस्पताल में तब्दील किया जाएगा, जिससे बेड की संख्या और बढ़ेगी और हमारे पास कुल 2000 बेड हो जाएंगे.लगभग 40 प्रतिशत हो रही है ऑक्सीजन की पूर्ति जिलाधिकारी ने बताया कि 75 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मंगाए गए हैं. इससे लगभग 150 बेड को ऑक्सीजन मुहैया कराई जाएगी. इसके साथ ही प्रशासन ने 600 नए ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदे हैं जो सरकुलेशन में दिए गए हैं. इसके साथ ही मिर्जापुर ऑक्सीजन प्लांट से 200 सिलेंडर लिए गए हैं जिसे पब्लिक में देकर ऑक्सीजन की रोटेशन बढ़ाई जा रही है. उन्होंने बताया कि जनपद में 2-3 ऑक्सीजन प्लांट की शुरुआत होने जा रही है. जिससे ऑक्सीजन से होने वाली बड़ी समस्या का समाधान हो जाएगा और वर्तमान में जो 30 से 40 प्रतिशत ही ऑक्सीजन की पूर्ति मरीजों में की जा रही है. वह आगामी दिनों में 100 प्रतिशत हो जाएगी.600 हैं वेंटिलेटर बेडजिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने बताया कि वाराणसी जनपद में 1700 में से कुल 600 बेड आरक्षित हैं. इनमें वेंटीलेटर के बेड लगभग 150 है और बाकी सभी मिलाकर के 450 हैं. इसके साथ ही ऑक्सीजन के 1100 बेड हैं. जिलाधिकारी ने बताया कि अस्थाई कोविड अस्पताल बनने के बाद 250 बेड त्वरित रूप से बढ़ जाएंगे. इससे मरीजों को सहूलियत होगी क्योंकि वाराणसी में ही नहीं बल्कि आसपास के जनपदों से लोग आते हैं. इनको इन वेंटीलेटर के बेड पर भर्ती किया जाता है. इन बेड को खाली होने में समय लगता है इसलिए मरीजों को थोड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है.9565631 लोगों की हो चुकी है जांचबता दें कि वाराणसी जनपद में अब तक 9565631 लोगों की कोरोना जांच कराई गई है. इसमें 869851 लोग निगेटिव पाए गए हैं. अब जिले में कुल 61424 कोरोना संक्रमित मरीज मिले हैं, जिनमें से 42098 लोग स्वस्थ हो चुके हैं. साथ ही इस महामारी से 519 लोगों की जान जा चुकी है. वर्तमान में जिले में एक्टिव कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 18807 है.

271637 लोगों को लग चुका है टीका
लोगों को महामारी से सुरक्षित रखने के लिए प्रतिदिन जनपद में टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है. इसके तहत हर दिन लगभग 5000 लोगों का टीकाकरण किया जाता है. इसी के तहत अब तक जिले में 2,71,607 लाभार्थियों ने टीकाकरण कराया है. इसमें 40,690 हेल्थ वर्कर,43100 फ्रंट लाइन वर्कर, 1,87,847 45 वर्ष के ऊपर के लाभार्थी शामिल हैं.

वाराणसी : पीएम मोदी और सीएम योगी, दोनों ही कोरोना से निपटने के लिए तमाम व्यवस्थाओं के दावे रोज कर रहे हैं. सीएम योगी कोरोना से निपटने के लिए नियमित वर्चुअल मीटिंग भी कर रहे हैं. वहीं, प्रदेश सरकार दावे कर रही है कि सूबे में सभी जगह बेड, ऑक्सीजन, वेंटिलेटर इत्यादि चिकित्सकीय सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं. हालांकि, पीएम के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में जमीनी हकीकत की बात करें तो मंजर अलग ही नजर आता है.

ईटीवी भारत की टीम ने यहां के अस्पतालों का निरीक्षण कर लोगों से बातचीत की तो सभी लोग अव्यवस्थाओं का रोना रोते नजर आए. अस्पताल से लेकर श्मशान घाट तक लोग परेशान दिखे.

संसदीय क्षेत्र में चिकित्सा सुविधाओं की हकीकत

दीनदयाल अस्पताल में तीमारदारों की परेशानी
अपने परिजनों का इलाज कराने अस्पताल पहुंच रहे तीमारदारों को चिकित्सकीय सुविधाओं के अभाव में दर-दर भटकना पड़ रहा है. दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में मरीजों के परिजनों का कहना है कि अस्पताल में भर्ती कराने और डॉक्टर को दिखाने में काफी मशक्कत हो रही है. लंबे इंतजार के बाद तो नंबर आ रहा है. उस पर भी डॉक्टर भर्ती करने से मना कर दे रहे हैं. ऐसे में हम अपने मरीज को कहां लेकर जाएं.

अस्पतालों में लगती है लंबी लाइनें
अस्पतालों में लगती है लंबी लाइनें
अभी भी है ऑक्सीजन की किल्लत ऑक्सीजन सिलेंडर लेने आईं डॉक्टर श्रद्धा सिंह ने बताया कि वर्तमान में ऑक्सीजन के बहुत शॉर्टेज है. उन्होंने बताया कि मेरी मां की तबीयत काफी खराब रहती है. मुझे कभी भी इसकी आवश्यकता पड़ सकती है इसलिए मैं एहतियात के तौर पर यहां सिलेंडर भरवाने आई हूं. मुझे यहां ऑक्सीजन नहीं मिल रही है. अभी भी ऑक्सीजन की दिक्कत है, जिसकी वजह से होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीज काफी परेशान हैं.अधिकारी नहीं कर रहे कोई मददसामाजिक कार्यकर्ता अश्वनी त्रिपाठी ने बताया कि 10 दिनों से मैं हर दिन मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराने की प्रक्रिया में रहता हूं. जब वाराणसी में बने कोविड कमांड सेंटर पर फोन करके वेंटिलेटर,ऑक्सीजन के लिए बात करता हूं तो वहां से सिर्फ आश्वासन मिलता है. उसके बाद मरीज की किसी प्रकार से कोई मदद नहीं मिलती. यह एक दिन की बात नहीं है बल्कि हर दिन यही स्थिति है. व्यवस्था सुधारने के लिए भले ही जिला प्रशासन ने हर जगह नोडल व सेक्टर मजिस्ट्रेट की तैनाती कर दी हो लेकिन इसका प्रभाव बिल्कुल उलट पड़ रहा है. सभी अधिकारी अपना फोन बंद करके पड़े हुए हैं. मरीज इधर-उधर भटकने को मजबूर हैं. कोई मदद करने वाला नहीं है.
आमजन की मदद के लिए चलाई जा रही हैं ओपीडी
आमजन की मदद के लिए चलाई जा रही हैं ओपीडी
हर दिन जल रही हैं सैकड़ों लाश, लोग अपनी बारी का कर रहे इंतजारवाराणसी में सरकारी आंकड़े की बात करें तो हर दिन लगभग 10 मौतें होती हैं, लेकिन वही मणिकर्णिका घाट, हरिश्चंद्र घाट पर जलने वाली चिताओं की बात कर लें तो हर दिन सैकड़ों की संख्या में दाह संस्कार किया जा रहा है. आलम यह है कि चिताएं जलते-जलते चिमनिया पिघल गई हैं. दाह संस्कार के लिए लकड़ियों की भी कमी पड़ रही है. अब वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर कोरोना संक्रमित मरीजों का दाह संस्कार नहीं किया जा रहा है, फिर भी शवों की कतार लगी हुई है.
1700 बेड की है व्यवस्था
1700 बेड की है व्यवस्था

वर्तमान में हरिश्चंद्र घाट पर लगने वाले शवों की कतार को रोकने के लिए प्रशासन ने सामने घाट पर अस्थाई शवदाह केंद्र भी बनाया है. यहां पर हर दिन लोगों की भीड़ जुटी रहती है. दाह संस्कार करने आए लोगों का कहना है कि हमें शवदाह करने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है. इसके साथ ही यहां की व्यवस्था के मनमाने पन का शिकार होना पड़ रहा है. यदि कोई कोरोना पेशेंट है तो स्थिति और बदतर है. एक तो दाह संस्कार के लिए मनमानी रकम वसूली जा रही है, दूसरा यदि कंधा देने वाले नहीं हैं तो कंधा देने के लिए भी पैसे की डिमांड की जा रही है.

आमजन की मदद के लिए चलाई जा रही हैं ओपीडी
मंडलीय चिकित्सालय के प्रभारी सीएमएस डॉ. हरिचरण ने बताया कि वर्तमान समय में मरीजों की सहूलियत के लिए अस्पताल में ओपीडी का संचालन किया जा रहा है. हमारे यहां कोरोना टेस्ट कराया जाता है. यदि मरीज संक्रमित आता है तो उसे कोविड अस्पताल में भेजा जाता है. उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में अस्पताल में 125 होल्डिंग एरिया बनाए गए हैं. यहां पर गंभीर मरीजों को रखा जाता है. इसके साथ ही वैक्सीनेशन का काम भी अस्पताल में जोरों पर चल रहा है. इससे लोगों को इस महामारी से सुरक्षित रखा जा सके. यहां ऑक्सीजन की कमी ना हो इसलिए ऑक्सीजन की आपूर्ति भी बढ़ाई गई है. साथ ही आगामी दिनों में अस्पताल परिसर में जल्द ही ऑक्सीजन प्लांट में स्थापित हो जाएगा.

600 वेंटिलेटर बेड की सुविधा.
600 वेंटिलेटर बेड की सुविधा.
47 अस्पताल,1700 बेड की है व्यवस्थाजिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने बताया कि बीते 10 दिनों में 800 बेड से संख्या बढ़ाकर 1700 कर दी गई है. वर्तमान में सभी बेडों पर मरीज हैं. जिले में कुल 46 कोविड अस्पताल संचालित किए जा रहे हैं, जिनमें 39 निजी चिकित्सालय हैं, जबकि 7 सरकारी अस्पताल हैं. उन्होंने बताया कि आगामी दिनों में इन बेडों की संख्या और बढ़ाई जाएगी. इसके साथ ही अगले हफ्ते से वाराणसी के बीएचयू एमपी थिएटर मैदान में अस्थाई अस्पताल भी बनकर तैयार हो जाएगा. यहां 850 बेड होंगे. उन्होंने बताया कि आगामी दिनों में जब ऑक्सीजन का उत्पादन बढ़ेगा तो, अन्य निजी अस्पताल को भी कोविड अस्पताल में तब्दील किया जाएगा, जिससे बेड की संख्या और बढ़ेगी और हमारे पास कुल 2000 बेड हो जाएंगे.लगभग 40 प्रतिशत हो रही है ऑक्सीजन की पूर्ति जिलाधिकारी ने बताया कि 75 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मंगाए गए हैं. इससे लगभग 150 बेड को ऑक्सीजन मुहैया कराई जाएगी. इसके साथ ही प्रशासन ने 600 नए ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदे हैं जो सरकुलेशन में दिए गए हैं. इसके साथ ही मिर्जापुर ऑक्सीजन प्लांट से 200 सिलेंडर लिए गए हैं जिसे पब्लिक में देकर ऑक्सीजन की रोटेशन बढ़ाई जा रही है. उन्होंने बताया कि जनपद में 2-3 ऑक्सीजन प्लांट की शुरुआत होने जा रही है. जिससे ऑक्सीजन से होने वाली बड़ी समस्या का समाधान हो जाएगा और वर्तमान में जो 30 से 40 प्रतिशत ही ऑक्सीजन की पूर्ति मरीजों में की जा रही है. वह आगामी दिनों में 100 प्रतिशत हो जाएगी.600 हैं वेंटिलेटर बेडजिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने बताया कि वाराणसी जनपद में 1700 में से कुल 600 बेड आरक्षित हैं. इनमें वेंटीलेटर के बेड लगभग 150 है और बाकी सभी मिलाकर के 450 हैं. इसके साथ ही ऑक्सीजन के 1100 बेड हैं. जिलाधिकारी ने बताया कि अस्थाई कोविड अस्पताल बनने के बाद 250 बेड त्वरित रूप से बढ़ जाएंगे. इससे मरीजों को सहूलियत होगी क्योंकि वाराणसी में ही नहीं बल्कि आसपास के जनपदों से लोग आते हैं. इनको इन वेंटीलेटर के बेड पर भर्ती किया जाता है. इन बेड को खाली होने में समय लगता है इसलिए मरीजों को थोड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है.9565631 लोगों की हो चुकी है जांचबता दें कि वाराणसी जनपद में अब तक 9565631 लोगों की कोरोना जांच कराई गई है. इसमें 869851 लोग निगेटिव पाए गए हैं. अब जिले में कुल 61424 कोरोना संक्रमित मरीज मिले हैं, जिनमें से 42098 लोग स्वस्थ हो चुके हैं. साथ ही इस महामारी से 519 लोगों की जान जा चुकी है. वर्तमान में जिले में एक्टिव कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 18807 है.

271637 लोगों को लग चुका है टीका
लोगों को महामारी से सुरक्षित रखने के लिए प्रतिदिन जनपद में टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है. इसके तहत हर दिन लगभग 5000 लोगों का टीकाकरण किया जाता है. इसी के तहत अब तक जिले में 2,71,607 लाभार्थियों ने टीकाकरण कराया है. इसमें 40,690 हेल्थ वर्कर,43100 फ्रंट लाइन वर्कर, 1,87,847 45 वर्ष के ऊपर के लाभार्थी शामिल हैं.

Last Updated : Apr 29, 2021, 5:33 PM IST
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