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गौहत्या निषेध अधिनियम के कारण कर्नाटक के चिड़ियाघर में जीवों के सामने संकट - Lack of food for Zoo animals

गौहत्या निषेध अधिनियम के प्रभाव के कारण कर्नाटक के चिड़ियाघरों में जानवरों को भोजन नहीं मिल रहा है. राज्य सरकार द्वारा गौहत्या निषेध अधिनियम लागू होने के बाद मांसाहार पर निर्भर जीव प्रभावित हुए हैं.

गौहत्या निषेध अधिनियम
गौहत्या निषेध अधिनियम
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Published : Jan 27, 2021, 11:05 PM IST

मैसूरु : मैसूर चिड़ियाघर में शेर, तेंदुआ, बाघ, मगरमच्छ, लकड़बग्घा, अफ्रीकी चीता सहित कई मांसाहारी जानवर हैं. शुरुआती समय से ही उन्हें बीफ की पेशकश की जाती रही है. हालांकि, येदियुरप्पा सरकार द्वारा गौहत्या निषेध अधिनियम लागू किए जाने के कारण इन जानवरों के सामने संकट खड़ा हो गया है.

जानकारी के मुताबिक बीफ गौहत्या पर प्रतिबंध के बाद, बीफ के बजाय मुर्गी का मांस पेश किया जा रहा है. हालांकि, यह मुर्गी मांसाहारी के शिकार नहीं होती है.

मैसूरु : मैसूर चिड़ियाघर में शेर, तेंदुआ, बाघ, मगरमच्छ, लकड़बग्घा, अफ्रीकी चीता सहित कई मांसाहारी जानवर हैं. शुरुआती समय से ही उन्हें बीफ की पेशकश की जाती रही है. हालांकि, येदियुरप्पा सरकार द्वारा गौहत्या निषेध अधिनियम लागू किए जाने के कारण इन जानवरों के सामने संकट खड़ा हो गया है.

जानकारी के मुताबिक बीफ गौहत्या पर प्रतिबंध के बाद, बीफ के बजाय मुर्गी का मांस पेश किया जा रहा है. हालांकि, यह मुर्गी मांसाहारी के शिकार नहीं होती है.

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