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KSRTC ट्रेडमार्क मुद्दा: केरल के खिलाफ कानूनी विकल्प तलाशेगा कर्नाटक

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Published : Jun 3, 2021, 4:16 PM IST

केरल रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (Kerala Road Transport Corporation) के पक्ष में केंद्रीय रजिस्ट्रार के हाल ही में दिए आदेश को विशेष रूप से केएसआरटीसी के उपयोग को लेकर कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम (Karnataka State Road Transport Corporation) फैसले को चुनौती देगा.

KSRTC ट्रेडमार्क मुद्दा
KSRTC ट्रेडमार्क मुद्दा

बेंगलुरु : कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम (Karnataka State Road Transport Corporation) ने सभी कानूनी विकल्पों का पता लगाने और केरल रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (Kerala Road Transport Corporation) के पक्ष में ट्रेडमार्क के केंद्रीय रजिस्ट्रार के हाल ही में दिए आदेश को विशेष रूप से 'केएसआरटीसी' के उपयोग के लिए चुनौती देने का फैसला किया है.

इस बारे में केरल के परिवहन मंत्री एंटनी राजू ने बुधवार को एक बयान जारी कर कहा कि 'केएसआरटीसी' का संक्षिप्त नाम और हाथी के लोगो को आखिरकार केरल से संबंधित घोषित कर दिया गया. वहीं केरल परिवहन विभाग के सूत्रों ने कहा कि इस संबंध में जल्द ही कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम को नोटिस जारी किया जाएगा.

पढ़ें - ईसीएलजीएस का विस्तार नागरिक उड्डयन, पर्यटन जैसे क्षेत्रों को देगा मजबूती : क्रिसिल

बता दें कि कर्नाटक और केरल दोनों एसआरटीसी अब कई दशकों से केएसआरटीसी के संक्षिप्त नाम का उपयोग कर रहे हैं. हालांकि, कर्नाटक आरटीसी ने पेटेंट, डिजाइन को ट्रेडमार्क महानियंत्रक के यहां पंजीकृत कराया है और केरस आरटीसी को नोटिस जारी कर कहा कि वह किसी संक्षिप्त नाम का उपयोग न करे क्योंकि उन्होंने इसका 2014 में पेटेंट कराया था.

सूत्रों के मुताबिक केरल एसआरटीसी ने इस मामले में जल्द ही रजिस्ट्री ऑफिस से संपर्क किया था और इस मामले में हाल ही में केरल के पक्ष में फैसला आया है.

केरल ने तर्क दिया था कि उनकी सरकार 1965 से KSRTC के संक्षिप्त नाम के तहत बसों को चला रही थी, जबकि कर्नाटक की बस सेवाओं का नाम 1973 में ही रखा गया था. वहीं कर्नाटक RTC को मैसूर सरकार सड़क परिवहन विभाग (MGRTD) कहा जाता था, जिसका गठन 1948 में हुआ था. इसके अलावा 1973 में कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम के रूप में इसका नाम बदला गया. सूत्रों ने कहा कि कर्नाटक एसआरटीसी के संक्षिप्त रूप 'केएसआरटीसी' का उपयोग नहीं कर सकता है.

पढ़ें -राशन न मिलने से खफा आदिवासी महिला ने बाल वीरता पुरस्कार लौटाया

कर्नाटक के परिवहन मंत्री लक्ष्मण सावदी ने कहा कि निजी फर्मों के विपरीत, कंपनी के नाम और लोगो ने निगमों को ज्यादा प्रभावित नहीं किया, क्योंकि कर्नाटक और केरल दोनों आरटीसी सार्वजनिक सेवा उद्यम थे.

वहीं कर्नाटक और केरल आरटीसी ने कभी एक-दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं की भले ही कर्नाटक आरटीसी संक्षिप्त रूप से केएसआरटीसी का उपयोग करना जारी रखे, इससे केरल आरटीसी को कोई नुकसान नहीं होगा. एक संघीय व्यवस्था में, राज्यों को सहयोग करने और मतभेदों को हल करने की आवश्यकता है. परिवहन मंत्री सावदी ने कहा कि किसी भी राज्य को इसे प्रतिष्ठा का मुद्दा नहीं बनाना चाहिए, हालांकि उन्होंने कहा कि कर्नाटक को जोड़ने से आगे की कानूनी लड़ाई के लिए सभी कानूनी विकल्प तलाशे जाएंगे.

बेंगलुरु : कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम (Karnataka State Road Transport Corporation) ने सभी कानूनी विकल्पों का पता लगाने और केरल रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (Kerala Road Transport Corporation) के पक्ष में ट्रेडमार्क के केंद्रीय रजिस्ट्रार के हाल ही में दिए आदेश को विशेष रूप से 'केएसआरटीसी' के उपयोग के लिए चुनौती देने का फैसला किया है.

इस बारे में केरल के परिवहन मंत्री एंटनी राजू ने बुधवार को एक बयान जारी कर कहा कि 'केएसआरटीसी' का संक्षिप्त नाम और हाथी के लोगो को आखिरकार केरल से संबंधित घोषित कर दिया गया. वहीं केरल परिवहन विभाग के सूत्रों ने कहा कि इस संबंध में जल्द ही कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम को नोटिस जारी किया जाएगा.

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बता दें कि कर्नाटक और केरल दोनों एसआरटीसी अब कई दशकों से केएसआरटीसी के संक्षिप्त नाम का उपयोग कर रहे हैं. हालांकि, कर्नाटक आरटीसी ने पेटेंट, डिजाइन को ट्रेडमार्क महानियंत्रक के यहां पंजीकृत कराया है और केरस आरटीसी को नोटिस जारी कर कहा कि वह किसी संक्षिप्त नाम का उपयोग न करे क्योंकि उन्होंने इसका 2014 में पेटेंट कराया था.

सूत्रों के मुताबिक केरल एसआरटीसी ने इस मामले में जल्द ही रजिस्ट्री ऑफिस से संपर्क किया था और इस मामले में हाल ही में केरल के पक्ष में फैसला आया है.

केरल ने तर्क दिया था कि उनकी सरकार 1965 से KSRTC के संक्षिप्त नाम के तहत बसों को चला रही थी, जबकि कर्नाटक की बस सेवाओं का नाम 1973 में ही रखा गया था. वहीं कर्नाटक RTC को मैसूर सरकार सड़क परिवहन विभाग (MGRTD) कहा जाता था, जिसका गठन 1948 में हुआ था. इसके अलावा 1973 में कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम के रूप में इसका नाम बदला गया. सूत्रों ने कहा कि कर्नाटक एसआरटीसी के संक्षिप्त रूप 'केएसआरटीसी' का उपयोग नहीं कर सकता है.

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कर्नाटक के परिवहन मंत्री लक्ष्मण सावदी ने कहा कि निजी फर्मों के विपरीत, कंपनी के नाम और लोगो ने निगमों को ज्यादा प्रभावित नहीं किया, क्योंकि कर्नाटक और केरल दोनों आरटीसी सार्वजनिक सेवा उद्यम थे.

वहीं कर्नाटक और केरल आरटीसी ने कभी एक-दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं की भले ही कर्नाटक आरटीसी संक्षिप्त रूप से केएसआरटीसी का उपयोग करना जारी रखे, इससे केरल आरटीसी को कोई नुकसान नहीं होगा. एक संघीय व्यवस्था में, राज्यों को सहयोग करने और मतभेदों को हल करने की आवश्यकता है. परिवहन मंत्री सावदी ने कहा कि किसी भी राज्य को इसे प्रतिष्ठा का मुद्दा नहीं बनाना चाहिए, हालांकि उन्होंने कहा कि कर्नाटक को जोड़ने से आगे की कानूनी लड़ाई के लिए सभी कानूनी विकल्प तलाशे जाएंगे.

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