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Krishna Janambhoomi Case : सुप्रीम कोर्ट में याचिका, मथुरा में शाही ईदगाह का वैज्ञानिक सर्वेक्षण कराने की अपील - Shahi Idgah site

श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट ने मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण की अपील करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है.

Krishna Janambhoomi Case
सुप्रीम कोर्ट में याचिका
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Published : Aug 14, 2023, 8:18 PM IST

Updated : Aug 14, 2023, 10:20 PM IST

नई दिल्ली : कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट द्वारा शाही ईदगाह स्थल के ज्ञानवापी परिसर जैसे वैज्ञानिक सर्वेक्षण की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. याचिका में तर्क दिया गया कि शाही मस्जिद ईदगाह प्रबंधन समिति और यूपी सुन्नी सेंट्रल के खिलाफ सिविल जज सीनियर डिवीजन मथुरा के समक्ष एक सिविल मुकदमा दायर किया था और कथित मस्जिद ईदगाह पर हिंदू समुदाय के अधिकार का दावा करते हुए घोषणा और निषेधाज्ञा से राहत मांगी थी.

याचिका में कहा गया है कि इस तरह का निर्माण मस्जिद नहीं हो सकता है और यह भी दावा किया गया है कि 12 अक्टूबर, 1968 का कथित समझौता, जिसके आधार पर डिक्री पारित की गई थी, दिखावा और धोखाधड़ी थी.समझौता और डिक्री अमान्य थी. इसके साथ ही श्री कृष्ण जन्मस्थान स्थल पर पूजा करने का अधिकार मांगा.

वकील हिमाशु शेखर त्रिपाठी के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है, 'विवादित भूमि के संबंध में दावे की विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए गहन वैज्ञानिक सर्वेक्षण करना जरूरी है. यह सर्वेक्षण अनुभवजन्य डेटा पेश करेगा और उनके बयानों की सटीकता को प्रमाणित करेगा, किसी भी निष्कर्ष या निर्णय के लिए एक विश्वसनीय आधार प्रदान करेगा.

याचिका में तर्क दिया गया कि विवादित भूमि के संबंध में धार्मिक इतिहास और धार्मिक संदर्भ में स्थल के महत्व को पूरी तरह से समझने के लिए, उचित वैज्ञानिक सर्वेक्षण के माध्यम से इसके अतीत की व्यापक जांच और अध्ययन आवश्यक है.

याचिका में दावा किया गया कि शाही मस्जिद ईदगाह प्रबंधन समिति ने न केवल अतीत में अधिकतम क्षेत्र में व्यापक विनाश किया है, बल्कि निरंतर विनाश में भी लगा है, जो वर्तमान समय तक जारी है. इसमें कहा गया है कि उनके कार्यों के परिणामस्वरूप विवादग्रस्त क्षेत्र का लगातार क्षरण हो रहा है.

याचिका में कहा गया है, 'उचित संपत्ति सीमांकन की कमी और पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 की धारा 4 द्वारा परिभाषित मंदिर की स्थिति की आधिकारिक पुष्टि करने के लिए संबंधित प्राधिकारी द्वारा किए गए वैज्ञानिक सर्वेक्षण की अनुपस्थिति के कारण गंभीर चिंताएं पैदा हुईं.'

जुलाई में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने विपरीत पक्ष: मस्जिद की प्रबंधन समिति और उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्डट्रस्ट की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें अदालत से अनुरोध किया गया था कि मुकदमे के खिलाफ उठाई गई आपत्तियों पर निर्णय लेने से पहले मथुरा के सिविल जज को कृष्ण जन्मभूमि-शाही मस्जिद ईदगाह परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण के लिए उसके आवेदन पर निर्णय लेने का निर्देश दिया जाए.

ये भी पढ़ें-

High court news: कृष्ण जन्मभूमि केस मथुरा की अदालत से स्थानांतरित करने पर फैसला सुरक्षित

नई दिल्ली : कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट द्वारा शाही ईदगाह स्थल के ज्ञानवापी परिसर जैसे वैज्ञानिक सर्वेक्षण की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. याचिका में तर्क दिया गया कि शाही मस्जिद ईदगाह प्रबंधन समिति और यूपी सुन्नी सेंट्रल के खिलाफ सिविल जज सीनियर डिवीजन मथुरा के समक्ष एक सिविल मुकदमा दायर किया था और कथित मस्जिद ईदगाह पर हिंदू समुदाय के अधिकार का दावा करते हुए घोषणा और निषेधाज्ञा से राहत मांगी थी.

याचिका में कहा गया है कि इस तरह का निर्माण मस्जिद नहीं हो सकता है और यह भी दावा किया गया है कि 12 अक्टूबर, 1968 का कथित समझौता, जिसके आधार पर डिक्री पारित की गई थी, दिखावा और धोखाधड़ी थी.समझौता और डिक्री अमान्य थी. इसके साथ ही श्री कृष्ण जन्मस्थान स्थल पर पूजा करने का अधिकार मांगा.

वकील हिमाशु शेखर त्रिपाठी के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है, 'विवादित भूमि के संबंध में दावे की विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए गहन वैज्ञानिक सर्वेक्षण करना जरूरी है. यह सर्वेक्षण अनुभवजन्य डेटा पेश करेगा और उनके बयानों की सटीकता को प्रमाणित करेगा, किसी भी निष्कर्ष या निर्णय के लिए एक विश्वसनीय आधार प्रदान करेगा.

याचिका में तर्क दिया गया कि विवादित भूमि के संबंध में धार्मिक इतिहास और धार्मिक संदर्भ में स्थल के महत्व को पूरी तरह से समझने के लिए, उचित वैज्ञानिक सर्वेक्षण के माध्यम से इसके अतीत की व्यापक जांच और अध्ययन आवश्यक है.

याचिका में दावा किया गया कि शाही मस्जिद ईदगाह प्रबंधन समिति ने न केवल अतीत में अधिकतम क्षेत्र में व्यापक विनाश किया है, बल्कि निरंतर विनाश में भी लगा है, जो वर्तमान समय तक जारी है. इसमें कहा गया है कि उनके कार्यों के परिणामस्वरूप विवादग्रस्त क्षेत्र का लगातार क्षरण हो रहा है.

याचिका में कहा गया है, 'उचित संपत्ति सीमांकन की कमी और पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 की धारा 4 द्वारा परिभाषित मंदिर की स्थिति की आधिकारिक पुष्टि करने के लिए संबंधित प्राधिकारी द्वारा किए गए वैज्ञानिक सर्वेक्षण की अनुपस्थिति के कारण गंभीर चिंताएं पैदा हुईं.'

जुलाई में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने विपरीत पक्ष: मस्जिद की प्रबंधन समिति और उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्डट्रस्ट की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें अदालत से अनुरोध किया गया था कि मुकदमे के खिलाफ उठाई गई आपत्तियों पर निर्णय लेने से पहले मथुरा के सिविल जज को कृष्ण जन्मभूमि-शाही मस्जिद ईदगाह परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण के लिए उसके आवेदन पर निर्णय लेने का निर्देश दिया जाए.

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Last Updated : Aug 14, 2023, 10:20 PM IST
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