बेंगलुरु : कर्नाटक लोक सेवा आयोग (केपीएससी) ने शनिवार को प्रश्न पत्र लीक होने के बाद फर्स्ट डिवीजन असिस्टेंट (एफडीए) के चयन के लिए रविवार को होने वाली परीक्षा रद्द कर दी.
विभिन्न सरकारी विभागों की 1,114 रिक्तियों को भरने के लिए 2.8 लाख से अधिक उम्मीदवार परीक्षा देने वाले थे. इस मामले में केंद्रीय अपराध शाखा ने 14 लोगों को गिरफ्तार किया है. इसमें शामिल एक व्यक्ति ने खुद को वाणिज्य कर निरीक्षक होने का दावा किया था. कार्रवाई में 35 लाख रुपये नकद, इलेक्ट्रॉनिक गैजेट और तीन वाहन जब्त किए गए.
परीक्षा के लिए रिकॉर्ड 3.7 लाख आवेदन आए थे, जिनमें से 2.8 लाख ने प्रवेश पत्र डाउनलोड किया.
केपीएससी ने अपनी एक विज्ञप्ति में कहा है कि, परीक्षा को स्थगित कर दिया गया है क्यों कि परीक्षा से पहले ही प्रश्नपत्र अपराधियों तक पहुंच गए थे. परीक्षा की तिथि बाद में घोषित की जाएगी.
पुलिस ने आरोपी की पहचान राचप्पा और चंद्रप्पा के अलावा उनके सहयोगी महेश, संतोष, श्रीनिवास और निकिथ के रूप में की. पुलिस ने कहा कि कुछ को ज्ञानभर्ती के समीप उल्लाल से गिरफ्तार किया गया, जबकि अन्य को शहर के अलग-अलग हिस्सों से गिरफ्तार किया गया.
पूछताछ के दौरान, चंद्रप्पा ने गांधीनगर में वाणिज्य कर विभाग में एक निरीक्षक होने का दावा किया. पुलिस ने कहा कि आरोपियों ने दो महीने पहले प्रश्नपत्र हासिल करने की साजिश रची थी.
सूत्रों ने कहा, कि हमें जहां से पेपर लीक हुआ था, उसका हमें यकीन ही नहीं है. लेकिन पेपर की कॉपी और पीडीएफ को बेंगलुरु सहित राज्य के अन्य हिस्सों में पहुंचा दिया गया था. ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर (अपराध) संदीप पाटिल ने कहा कि प्रश्न पत्र के लीक होने के स्रोत का पता लगाने के लिए जांच जारी है.
केपीएससी के सचिव जी सत्यवती ने एक प्रेस बयान में इसकी पुष्टि की कि प्रश्न पत्र परीक्षा से पहले कुछ लोगों के पास पहुंच गए थे. इस वजह से कन्नड़ और अंग्रेजी दोनों के पेपर रद्द कर दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि हमने लीक हुए प्रश्न पत्र को परीक्षा नियंत्रक दिव्य प्रभु के पास चेक किया. लीक पेपर बिल्कुल वास्तविक प्रश्न पत्र की तरह था.
इसमें पुलिस पता लगा रही है कि इसके पीछे कोई नया गिरोह है या फिर शिवकुमारैया गिरोह के सदस्य हैं. क्योंकि वह नवंबर 2018 में कांस्टेबुलरी परीक्षा और 2016 में पीयू पेपर लीक मामले का मुख्य आरोपी है.