बेंगलुरू: कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष (KPCC President) डीके शिवकुमार (DK Shivakumar) ने कर्नाटक विधानसभा में धर्मांतरण विरोधी बिल की कॉपी फाड़ दी. कांग्रेस विधायकों ने इस दौरान सदन में प्रदेश सरकार और धर्मांतरण विरोधी बिल के खिलाफ नारे लगाए और सदन से वॉकआउट किया.
गौरतलब है कि इन दिनों कर्नाटक विधानसभा का शीतकालीन सत्र चल रहा है. 20 दिसंबर को कर्नाटक कैबिनेट ने 20 दिसंबर को धर्मांतरण विरोधी विधेयक को मंजूरी दे दी थी, जिसे आज राज्य के गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने विधानसभा में पेश किया था. इस विधेयक के विरोध में कांग्रेस विधायकों ने हंगामा किया और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने इस धर्मांतरण विरोधी बिल की कॉपी सदन में फाड़ दी. जिसके बाद कांग्रेस विधायकों ने नारे लगाते हुए सदन से वॉकआउट कर दिया.
कर्नाटक विधानसभा के स्पीकर ने कहा है कि उन्होंने ही सदन की कार्यवाही के तहत सरकार को धर्मांतरण बिल पेश करने की इजाजत दी थी और इसपर बुधवार 22 दिसंबर को सदन में चर्चा होगी
कांग्रेस शुरू से ही बिल का विरोध कर रही थी नेता विपक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि हम बिल के विरोध में हैं क्योंकि यह लोगों के मौलिक अधिकारों और संविधान का उल्लंघन करता है. स्पीकर विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी ने कांग्रेस सदस्यों से कहा कि बिल अभी सदन में पेश हुआ है आप इसे देख लें, इस पर कल चर्चा होगी और तभी इसपर अपनी आपत्ति दर्ज करें.
इस बिल के खिलाफ कांग्रेस ने हंगामा शुरु किया और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की. जिसपर भाजपा के कद्दावर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा ने कहा है कि बिल पेश हो चुका है और इस पर चर्चा होने दीजिए.
कांग्रेस के डी के शिवकुमार और सिद्धारमैया ने कहा कि ये विधेयक लुका छिपी के साथ सदन में पेश किया गया है. सिद्धारमैया ने कहा कि मौजूदा बीजेपी सरकार कर्नाटक के इतिहास की सबसे बुरी सरकार है. जिसके बाद सिद्धारमैया ने कहा कि ये सरकार संविधान के खिलाफ काम कर रही है और हम इन्हें नहीं सुनेंगे. हम वॉकआउट कर रहे हैं और कल चर्चा में हिस्सा लेंगे.
इससे पहले कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार ने कहा कि प्रस्तावित धर्मांतरण विरोधी विधेयक राज्य पर काला धब्बा बनने जा रहा है. इससे राज्य में विदेशी निवेश प्रभावित होगा. उन्होंने समझाया, जबरन धर्मांतरण की कोई गुंजाइश नहीं है और वर्तमान में धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दे को मौजूदा कानूनों द्वारा संबोधित किया जा रहा है. इस्कॉन, माता अमृतानंदमयी केंद्रों में आने वाले कई विदेशी नागरिक हिंदू भजन गाते हैं. जब ऐसी स्थिति है, तो यह बिल सभी के लिए असहज माहौल पैदा करने वाला है.
उन्होंने दोहराया, यह एक धर्मनिरपेक्ष देश और शांतिपूर्ण भूमि है. विदेशियों का देश के प्रति बहुत सम्मान है क्योंकि उन्हें लगता है कि सभी धर्मों के लोग यहां सद्भाव से रह रहे हैं. बिल ईसाइयों को निशाना बना रहा है और यह शांति भंग करने की एक चाल है. इस देश पर अतीत में मुगलों, पुर्तगालियोंऔर अंग्रेजों का शासन रहा है। उनकी आबादी नहीं बढ़ी है, तो हिंदू राष्ट्र में धर्मांतरण का सवाल ही कहां है? उन्होंने कहा, "इतने सालों में जबरन धर्मांतरण नहीं हुआ और अचानक उन्होंने धर्म परिवर्तन की खोज कैसे की? देश में अभी भी मुसलमान 11 से 12 फीसदी हैं।" 'लव जिहाद' के बारे में पूछे जाने पर शिवकुमार ने जवाब दिया कि अगर दो व्यक्ति प्यार में हैं और अगर दो दिल एक हो जाते हैं, तो क्या यह 'लव जिहाद' बन जाता है.
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा ने मंगलवार को विपक्षी पार्टियों से आग्रह किया कि उन्हें भारतीय जनता पार्टी की तरफ से विधानसभा में पेश किए जा रहे धर्मातरण विरोधी विधेयक का विरोध नहीं करना चाहिए। श्री येदियुरप्पा ने यहां पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा" इस मामले में छिपाने लायक कुछ भी नहीं हैं और धर्मातरण विरोधी कानून विधानसभा में पेश किया जाएगा। इस तरह का कानून पहले ही अनेक राज्यों में लागू हैं और विपक्षी दलों कांग्रेस तथा जनता दल (सेक्युलर)को इसका विरोध नहीं करना चाहिए।"
वहीं कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा ने मंगलवार को विपक्षी पार्टियों से आग्रह किया कि उन्हें भारतीय जनता पार्टी की तरफ से विधानसभा में पेश किए जा रहे धर्मातरण विरोधी विधेयक का विरोध नहीं करना चाहिए. येदियुरप्पा ने कहा" इस मामले में छिपाने लायक कुछ भी नहीं हैं. इस तरह का कानून पहले ही अनेक राज्यों में लागू हैं और विपक्षी दलों कांग्रेस तथा जनता दल (सेक्युलर)को इसका विरोध नहीं करना चाहिए"
उन्होंने कहा कि यह कानून राज्य के लोगों के हितों के लिए लाया जा रहा है और इसमें कोई भावनात्मक पहलू नहीं है. विपक्षी दलों को इस विधेयक को बिना किसी अवरोध के पारित होने देना चाहिए.
गौरतलब है कि ये बिल धर्म की स्वतंत्रता की रक्षा करने के साथ गैर कानूनी ढंग से धर्मांतरण के खिलाफ लाया गया है. बिल में ऐसे मामलों में तीन से पांच साल की कैद के अलावा 25 हजार रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है. जबकि नाबालिग, महिलाओं और अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों के धर्मांतरण पर तीन से 10 साल की कैद और 50 हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान है. इस बिल में धर्म परिवर्तन कराने वालों को 5 लाख रुपये तक के मुआवजे का भी प्रावधान है जो अभियुक्तों को देना होगा. सामूहिक धर्मांतरण के मामलों में भी 3 से10 साल की सजा और एक लाख रुपये जुर्माने का प्रस्ताव है.
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