कोटा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत बन रहे दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे का दिल्ली से दौसा के बीच उद्घाटन इसी महीने होना है, लेकिन इससे कोटा के किसान खासा परेशान हैं. यहां के किसान अपनी समस्याओं से नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के प्रोजेक्ट डायरेक्टर से लेकर जिला कलेक्टर, संभागीय आयुक्त, एनएचएआई के वरिष्ठ अधिकारी और सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी तक को अवगत करा चुके हैं.
बावजूद इसके, उनकी समस्या अब भी जस की तस बनी हुई है. यही कारण है कि अब किसान दोबारा सड़क पर उतरने का मूड बना चुके हैं. किसानों का कहना है कि इस 8 लेन एक्सप्रेस-वे की वजह से उन्हें उनकी खेतों तक पहुंचने में खासा दिक्कतें पेश आ रही हैं. जबकि ऐसी ही स्थिति में मध्यप्रदेश के तीन जिलों मंदसौर, झाबुआ और रतलाम के किसानों को राहत दी गई है.
कोटा के किसान नाराज : यह एक्सप्रेस-वे राजस्थान के बाद मध्यप्रदेश में प्रवेश कर रहा है, जिसमें रतलाम, मंदसौर और झाबुआ जिले से होकर यह गुजर रहा है. जिले में किसानों की हजारों हेक्टेयर जमीन प्रभावित हो रही है. इन सभी को राहत देने के लिए एक्सप्रेस-वे की ओर से दोनों ही ओर से 10 फीट की डामर की सड़कें बनाई जा रही, ताकि किसानों को अपने खेतों तक पहुंचने में किसी प्रकार की दिक्कत न हो. बताया गया कि ऐसा 244 किलोमीटर हाईवे के दोनों किनारों पर होगा. इसके लिए भूमि अधिग्रहण भी शुरू हो गया है. वहीं, राजस्थान के किसानों का कहना है कि अगर मध्यप्रदेश में ऐसा हो रहा है तो फिर राजस्थान में क्यों नहीं हुआ.
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किसानों ने दी चेतावनी : किसान संघ के प्रांत प्रमुख जगदीश शर्मा कलमंडा का कहना है कि जब से हाईवे बना है, तभी से खेतों में जाने का रास्ता बंद है. उन्होंने कहा कि इस समस्या को लेकर हम डिवीजनल कमिश्नर से लेकर मंत्री नितिन गडकरी तक से बात कर चुके हैं, लेकिन उनकी समस्याओं का किसी ने सुध तक नहीं लिया. कलमंडा ने कहा कि इसी तरह के एक अन्य प्रोजेक्ट चंबल एक्सप्रेस-वे के लिए सर्विस लेन का प्रावधान है, लेकिन भारतमाला प्रोजेक्ट में ऐसा नहीं हुआ. अधिकारी और मंत्री कहते हैं कि इस पॉलिसी में नहीं है. लेकिन हमारी मांग है कि पूरे राजस्थान में भी मध्यप्रदेश की तर्ज पर सर्विस रोड की सुविधा होनी चाहिए. यदि आगे इस पर ध्यान दिया गया तो हम आंदोलन को मजबूर होंगे और इस एक्सप्रेस-वे को चालू नहीं होने देंगे.
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खेतों तक नहीं पहुंच पा रही बाइक : नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के जितने भी पुराने रास्ते हैं, उसे अंडर पास देकर निकाला गया है. लेकिन अंडर पास ऐसी जगहों पर बनाए गए हैं, जहां पानी भरा रहता है. किसानों का कहना है कि इन अंडर पास पर एक्सप्रेस-वे का ही पानी बहकर आता है. कोटा के झोटल्ली ग्राम निवासी किसान घासीलाल ने बताया कि उनके गांव में जाने का एक ही रास्ता है. जिससे आगे के चार गांव श्योपुरा, मंडावरा सहित कई जुड़े हैं. इस रास्ते के ऊपर से एक्सप्रेस-वे गुजरा है और अंडर पास उनके गांव वाले रास्ते में बने होने के कारण पिछले दो सालों से वहां पानी भर जा रहा है. ऐसे में ग्रामीणों को आने-जाने में दिक्कत होती है. आलम यह है कि खेतों तक मोटरसाइकिल, जीप, कार, ट्रैक्टर, ट्रक और हार्वेस्टर के पहुंचने में भी परेशानी हो रही है.
रात की रखवाली भी बंद : किसान लटूरलाल का कहना है कि रात में खेत में पानी चलाने और रखवाली के लिए जाना पड़ता है. पहले तो हम मोटरसाइकिल से चले जाते थे, लेकिन अब पैदल जाने के लिए भी रास्ता नहीं है. मौजूदा स्थिति यह है कि हाईवे क्रॉस करके खेतों तक जाना पड़ रहा है. जिसमें काफी समय लगता है. साथ ही उन्होंने कहा कि ये रास्ता भी आगे चलकर बंद हो जाएगा. दूसरे के खेत से होकर निकलना मुश्किल है, क्योंकि सामने वाले किसान की फसल खराब होने पर लड़ाई झगड़े और पुलिस थाने की नौबत आ जाती है. यही कारण है कि अब रात के समय रखवाली भी बंद हो गई. ऐसे में जानवरों से फसलों को खासा नुकसान हो रहा है.
नहरों के पुराने रास्ते भी किए बंद : कल्याणपुरा डिस्ट्रीब्यूटरी के अध्यक्ष सत्यनारायण गौड़ ने बताया कि पानी निकलने के लिए ड्रेन से रास्ता दे दिया गया है, लेकिन किसान को खेतों में आवाजाही के लिए कोई रास्ता नहीं है. जबकि पहले इन्हीं रास्तों से किसान अपने खेतों में जाते थे. दूसरी तरफ नहरें जहां भी क्रॉस हुई है, वहां टूटी हुई है. पिछले दो सालों में सड़क तो बने हैं, लेकिन नहरी सिस्टम पूरी तरह से बर्बाद करके छोड़ दिया गया है. जिसको अविलंब दुरुस्त करने की जरूरत है. बात करने पर सीएडी व संवेदक एक-दूसरे पर अपनी जिम्मेदारियों को थोपते हैं, लेकिन कोई भी समस्या के निदान की दिशा में काम नहीं कर रहा है.
खेतों के बाहर बन रहे बाउंड्री : सुल्तानपुर निवासी ब्रह्मानंद शर्मा ने बताया कि उनकी जमीन भारतमाला एक्सप्रेस-वे में आ गई. इससे आज उनके जैसे कई किसान परेशान हैं. यहां किसानों को फसल काटने में भी दिक्कत हो रही है. हाईवे निर्माण के साथ ही खेतों के सहारे बाउंड्री बनाई जा रही है. जिसे अगर नहीं रोका गया तो आगे समस्या और अधिक गहरा जाएगी, जिसका सीधा असर फसलों पर पड़ेगा.
अब तो मजदूर भी नहीं मिल रहे : किसानों का कहना है कि पुराने रास्तों पर हाईवे के नीचे अंडर पास बना दिए गए हैं. लेकिन वहां से भी खेतों तक पहुंचना मुश्किल है, क्योंकि ये रास्ते केवल गांव तक जाने के लिए हैं. ऐसे में किसानों को 10 किलोमीटर घूम कर दूसरे गांवों से होकर जाना पड़ रहा है. किसानों का कहना है कि उनकी जमीन अब दो हिस्सों में बंट गई है. एक हिस्सा गांव की तरफ जाता है तो दूसरी तरफ कोई रास्ता ही नहीं है. कई किसान मजदूर लगाकर खेती करते हैं. वहीं, अब खेत भी दो हिस्सों में बंट गए हैं, जिसके कारण अब खेतों में काम करने के लिए मजदूर भी नहीं मिल रहे हैं.
जमीन पर हाईवे निकलने से भी नहीं हुआ फायदा : किसानों की जमीन से नेशनल हाईवे निकल जाने पर उनकी जमीन की कीमत बढ़ जाती है, लेकिन ऐसा कोटा में बिल्कुल नहीं हुआ. यहां हाईवे निकलने से उल्टे किसानों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. अमूमन हाईवे निकलने से किसानों की जमीन की कीमत बढ़ जाती है. उन्हें भारी भरकम मुआवजा मिलता है. साथ ही नए सिरे से व्यापार की संभावनाओं का सृजन होता है, लेकिन दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे को दोनों ओर से कवर कर दिया गया है. ऐसे में यहां सभी संभावनाएं खत्म होती नजर आ रही है.