हैदराबाद: 'एक ओलंपिक मेडल की कीमत आप क्या जानें' सुनने में डायलॉग फिल्मी लगेगा लेकिन ये सच है. वैसे तो ओलंपिक पदक की कोई कीमत नहीं है, उसे जीतने वाले इंसान इस धरती पर गिने-चुने हैं. लेकिन स्वर्ण, रजत और कांस्य के बने इन पदकों में जो धातु लगी है उनकी कीमत तो होती ही है. लेकिन उस कीमत से पहले ये पता होना चाहिए कि वो मेडल किस-किस धातु के बने हैं और उनकी मात्रा मेडल में कितनी है.
जैसे कई बार लोगों के मन में सवाल आता है कि क्या ओलंपिक का गोल्ड मेडल सच में सोने का होता है ? या गोल्ड मेडल का वजन कितना होता है ? ऐसे हर सवाल का जवाब आपको ईटीवी भारत देगा, वो भी सरल और आसान भाषा में. टोक्यो ओलंपिक के पद कई मायनों में खास हैं और उससे भी खास है इस ओलंपिक के मेडल. जिनके बनने की कहानी आपको रोमांचित कर देगी, आइये जानते हैं टोक्यो ओलंपिक के पदकों से जुड़ी खास और रोचक बातें.
-
Retweet these Olympic medals for luck! #YourTeam #Tokyo2020 #Olympics pic.twitter.com/LAzjTumPid
— Olympics (@Olympics) July 24, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
">Retweet these Olympic medals for luck! #YourTeam #Tokyo2020 #Olympics pic.twitter.com/LAzjTumPid
— Olympics (@Olympics) July 24, 2021Retweet these Olympic medals for luck! #YourTeam #Tokyo2020 #Olympics pic.twitter.com/LAzjTumPid
— Olympics (@Olympics) July 24, 2021
पुराने इलेक्ट्रॉनिक सामान और फोन से बने हैं मेडल
जापान को तकनीक का देश कहा जाता है. टोक्यो ओलंपिक के पदकों में भी इसकी झलक देखने को मिलती है. टोक्यो ओलंपिक में विजेता खिलाड़ियों को जो पदक दिए जा रहे हैं वो पुराने इलेक्ट्रॉनिक सामानों और फोन से बनाए गए हैं. खास बात ये है कि इन पदकों को बनाने में जापान ने अपने देशवासियों की मदद ली.
इसके लिए बकायदा साल 2017 में जापान की सरकार ने 'टोक्यो 2020 मेडल प्रोजेक्ट' (Tokyo 2020 Medal Project) की शुरुआत की. जिसके तहत लोगों से पुराना इलेक्ट्रॉनिक सामान और फोन दान करने की अपील की गई. वैसे साल 2010 में कनाडा के वैंकूवर शहर में आयोजित ओलंपिक में भी इलेक्ट्रॉनिक सामान से पदक तैयार किए गए थे.
टोक्यो ओलंपिक के पदक बनाने के लिए दो साल तक अभियान चला. इस दौरान करीब 78 हजार टन गैजेट प्राप्त हुए. जिनमें करीब 62 लाख मोबाइल फोन थे. इन सबमें से 32 किलो सोना, 3500 किलो चांदी और 2200 किलो कांसा निकाला गया. जिनका इस्तेमाल इन पदकों को बनाने में हुआ. साथ ही जिस रिबन से ये मेडल बंधे होते हैं उन्हें रीसाइकल किए पॉलीस्टर फाइबर से बनाया गया है.
गोल्ड मेडल में कितना सोना ?
कई लोग सोचते हैं कि ओलंपिक में मिलने वाला स्वर्ण पदक सोने का होता है. लेकिन ये सच नहीं है, साल 1912 में हुए स्टॉकहोम ओलंपिक गेम्स तक गोल्ड मेडल पूरी तरह से सोने का ही होता था लेकिन उसके बाद अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) ने मेडल बनाने के नियम तय कर दिए.
IOC के नियमों के मुताबिक गोल्ड मेडल में कम से कम 6 ग्राम सोना होना चाहिए, स्वर्ण पदक में बाकी हिस्सा चांदी से ही बना होता है. नियम के मुताबिक मेडल का व्यास 60 मिमी और मोटाई 3 मिमि होनी चाहिए. मेडल में एक तरफ ओलंपिक गेम्स का ऑफिशियल लोगो (5 रिंग), पथानाइकोस स्टेडियम, जहां 1896 में पहले ओलंपिक खेलों का आयोजन हुआ था और ग्रीक देवी नाइकी की तस्वीर होनी चाहिए.
टोक्यो ओलंपिक के मेडल
टोक्यो ओलंपिक में 33 खेलों की 339 प्रतियोगिताएं होनी हैं और टॉप-3 खिलाड़ियों को गोल्ड, सिल्वर और ब्राॉन्ज मेडल दिए जाने हैं. टोक्यो ओलंपिक के पदकों का व्यास (diameter) 85 मिलीमीटर है. मेडल का सबसे पतला हिस्सा 7.7 मिमी. और सबसे मोटा हिस्सा 12.1 मिमी. का है.
गोल्ड मेडल- टोक्यो ओलंपिक के गोल्ड मेडल का वजन 556 ग्राम है. जिसमें 6 ग्राम से अधिक सोने की मात्रा है और बाकी हिस्सा शुद्ध चांदी से बना है.
सिल्वर मेडल- सिल्वर मेडल का वजन 550 ग्राम है, जो शुद्ध चांदी से बना हुआ है. ये सोने के मेडल से उतना ही कम है जितना कि गोल्ड मेडल में सोना है.
ब्रॉन्ज मेंडल- कांस्य पदक का वजन 450 ग्राम है. जो 95 फीसदी तांबा (copper) और 5 % जस्ता (zinc) से बना है.
मेडल का रिबन भी खास
ओलंपिक पदक जिस रिबन के साथ होता है वो भी बहुत खास है. ये रिबन रीसाइकल किए पॉलीस्टर फाइबर से बनाया गया है. रिबन में खास जापानी ट्रेडिशनल डिजाइन नजर आता है. रिबन की सतह पर सिलिकॉन कॉन्वेक्स लाइन का इस्तेमाल किया गया है. जिसे छूने भर से पता चल जाता है कि मेडल गोल्ड है, सिल्वर या फिर ब्राॉन्ज.
मेडल को डिजाइन करने के लिए भी हुई थी प्रतियोगिता
टोक्यो ओलंपिक के पदक कैसे होने चाहिए, इसके लिए भी बकायदा एक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था. जिसमें देश की जनता से मेडल के डिजाइन का आइडिया मांगा गया था. इस प्रतियोगिता में 400 से ज्यादा पेशेवर डिजाइनर्स ने अपने डिजाइन भेजे थे लेकिन ये प्रतियोगिता जुनिची कवानिशी ने जीती. टोक्यो ओलंपिक में जो मेडल दिए जा रहे हैं उन्हें जुनिची कवानिशी द्वारा डिजाइन किया गया है.
पदक के इस हिस्से पर टोक्यो ओलंपिक का लोगो है जबकि दूसरी तरफ एक स्टेडियम के सामने विजय की प्रतीक माने जाने वाली ग्रीक देवी नाइक (nike) को दर्शाया गया है.
क्या आप जानते हैं ?
इन दिनों दुनियाभर की नजरें जापान की राजधानी टोक्यो पर टिकी हुई हैं. पिछले साल कोरोना की वजह से जो ओलंपिक खेल नहीं हो पाए थे वो इन दिनों टोक्यों में हो रहे हैं. जहां 200 से ज्यादा देशों के खिलाड़ियों में सिर्फ एक ही होड़ लगी है. एक-दूसरे को पछाड़कर मेडल जीतने की होड़, इस होड़ में हर बार 3 ही खिलाड़ी पदक तक पहुंच पाते हैं. जिन्हें गोल्ड, सिल्वर और ब्रान्ज मेडल दिया जाता है.
1896 में एथेंस से ओलंपिक गेम्स की शुरुआत हुई. शुरुआत में पदक वितरण ओलंपिक के समापन समारोह के दौरान ही होता था. 1928 के ओलंपिक तक यही परंपरा चलती रही. 1932 में अमेरिका के शहर लॉस एंजलिस से हुए ओलंपिक गेम्स से हर प्रतियोगिता के बाद पदक देना शुरू हुआ, जैसा कि अब भी होता है.
ये भी पढ़ें: Income tax Raid: जानिये कब, क्यों और कैसे होती है इनकम टैक्स विभाग की छापेमारी