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Menstrual Leave PIL : महिलाओं की इस मांग पर देशभर की नजर, जानें क्या हो सकता है दूरगामी परिणाम - menstrual leave to women

महिलाएं हर महीने पीरियड्स की समस्या से जूझती है. इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट (SC) में पीरियड्स लीव के लिए एक याचिका दाखिल की गई है. पर सवाल है कि महिलाओं को पीरियड्स लीव की जरुरत क्यों है और अगर महिलाओं को पीरियड्स लीव मिल जाएगा तो इसके दूरगामी परिणाम क्या हो सकते हैं. आइए इन सब सवालों का जवाब जानते हैं इस रिपोर्ट में.....

WOMEN PEROIDS
महिलाओं का पिरियड्स
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Published : Jan 13, 2023, 4:47 PM IST

Updated : Jan 13, 2023, 6:07 PM IST

नई दिल्ली: महिलाओं को हर माह पिरियड्स (मासिक धर्म) के समय काम से छुट्टी मिलें, इस मांग के साथ वकील शैलेंद्र मणि त्रिपाठी ने Supreme Court (SC) में पीआईएल दाखिल की है. अपनी याचिका में उन्होंने पिरियड्स के समय महिलाओं को एक शख्स को दिल का दौरा पड़ने जितना दर्द होने की बात कही है. याचिका में उन्होंने आगे कहा है कि भारत में कुछ कंपनियां है जो पीरियड्स लीव देती हैं. वहीं कुछ राज्य सरकारें भी मासिक धर्म में महिलाओं को छुट्टी देती हैं लेकिन उनकी मांग है कि भारत की हर महिला को पीरियड्स लीव मिले.

क्यों है पीरियड्स लीव की मांग
दरअसल पीरियड के दौरान, महिला का शरीर हार्मोन उत्पादित करता है जिससे गर्भाशय में संकुचन होता है. इससे गर्भाशय की परत को बाहर निकलने में मदद मिलती है. यही संकुचन महिलाओं को मेंस्ट्रुअल क्रैम्प के तौर पर महसूस होता है. पीरियड्स में सामान्य पेट दर्द के अलावा, इसमें कई बार पैर दर्द और पीठ दर्द भी हो सकता है. इससे महिलाओं के कार्य क्षमता पर असर पड़ता है.

menstruation in women
महिलाओं में मासिक धर्म

इससे पहले भी उठा है मासिक धर्म का मुद्दा
इस पीआईएल से पहले भी महिलाओं की मासिक धर्म से जुड़े मुद्दे उठ चुके हैं. साल 2018 में शशि थरूर ने संसद में वूमेन्स सेक्सुअल रिप्रोडक्टिव एंड मेंस्ट्रूअल राइट्स बिल पेश किया था. इसमें कहा गया था कि महिलाओं को पब्लिक अथॉरिटी फ्री में सिनेटरी पैड उपलब्ध कराएं. इस बिल के अलावा साल 2022 में बजट सेशन के पहले दिन मासिक धर्म लाभ विधेयक, 2017 को पेश किया गया था. लेकिन विधानसभा (Legislative Assembly) ने इसे 'अनक्लिन' टॉपिक के रुप में नजरअंदाज कर दिया. लोकसभा में केंद्रीय मंत्री ने लिखित जवाब में कहा था कि सेंट्रल सिविल सर्विसेज लीव रूल्स 1972 में मेंस्ट्रूअल लीव के लिए कोई प्रावधान नहीं है. दायर याचिका के अनुसार, यह 'पीरियड्स लीव' के बारे में विधायी इच्छाशक्ति की कमी को दर्शाता है.

menstruation in women
पिरियड्स में होने वाला दर्द

किन- किन देशों में मिलता है 'पीरियड्स लीव'
दायर याचिका में बताया गया कि चीन, जापान, ताइवान, यूके, वेल्स, इंडोनेशिया, साउथ कोरिया, स्पेन और जांबिया जैसे देशों में माहवारी के समय छुट्टी दी जाती है. इसी आधार पर हमारे देश में भी इसकी मांग की जा रही है और इसके पीछे तरह- तरह की दलीलें भी दी जा रही हैं. बिहार भारत का एकमात्र ऐसा राज्य है जो 1992 से अपने मानव संसाधन दिशानिर्देशों के माध्यम से महिलाओं को दो दिन का विशेष मासिक धर्म अवकाश दे रहा है.

भारत की इन कंपनियों में मिलता है पीरियड्स लीव
भारत में भी महिलाओं की समस्या को समझते हुए इन कम्पनियों ने अवकाश देने की परंपरा शुरू कर दी है.

iVIPANAN Zomato Byju's Swiggy Mathrubhumi
Magzter IndustryARC FlyMyBiz Gozoop

पीरियड्स लीव का क्या होगा दूरगामी परिणाम
अगर आप देश की पुरानी परंपराओं के देखते, समझते होंगे तो पता होगा कि मासिक धर्म के समय ग्रामीण परिवेशों में महिलाओं के लिए कई तरह के कामकाज वर्जित थे. जिसके पीछे दलील चाहे जो रही हो, लेकिन मंशा महिला को ऐसी स्थिति में आराम देने की ही रही है. अब से लगभग दो से तीन दशक पहले तक वह इस दौरान रसोई के कामकाज नहीं करती थी. मंदिरों व अन्य धार्मिक कार्यों में शामिल नहीं हो सकती थी. लेकिन बदलते परिवेश व महिलाओं के कामकाजी होने के कारण इस तरह की चीजें धीरे- धीरे खत्म हो गईं, लेकिन उससे महिलाओं को नयी तरह की परेशानियां शुरू हुई. इसलिए एक बार फिर से यह मांग उठी है और उसके दूरगामी परिणाम आ सकते हैं.

menstruation in women
महिलाओं का पिरियड्स

संभावित नुकसान
अगर ऐसा कानून बन जाता है और महिलाओं को हर महीने मासिक धर्म की छुट्टी देना अनिवार्य होता है तो इसके दूरगामी परिणाम भी हो सकते हैं. सरकारी संस्थाएं भले ही आसानी से इसे लागू कर लें, लेकिन निजी संस्थानों में महिलाओं के लिए नौकरी के अवसर घट सकते हैं.

पढ़ें: अरुणाचल प्रदेश में विधायकों ने मासिक धर्म को कहा 'गंदी चीज', नहीं होने दी चर्चा

नई दिल्ली: महिलाओं को हर माह पिरियड्स (मासिक धर्म) के समय काम से छुट्टी मिलें, इस मांग के साथ वकील शैलेंद्र मणि त्रिपाठी ने Supreme Court (SC) में पीआईएल दाखिल की है. अपनी याचिका में उन्होंने पिरियड्स के समय महिलाओं को एक शख्स को दिल का दौरा पड़ने जितना दर्द होने की बात कही है. याचिका में उन्होंने आगे कहा है कि भारत में कुछ कंपनियां है जो पीरियड्स लीव देती हैं. वहीं कुछ राज्य सरकारें भी मासिक धर्म में महिलाओं को छुट्टी देती हैं लेकिन उनकी मांग है कि भारत की हर महिला को पीरियड्स लीव मिले.

क्यों है पीरियड्स लीव की मांग
दरअसल पीरियड के दौरान, महिला का शरीर हार्मोन उत्पादित करता है जिससे गर्भाशय में संकुचन होता है. इससे गर्भाशय की परत को बाहर निकलने में मदद मिलती है. यही संकुचन महिलाओं को मेंस्ट्रुअल क्रैम्प के तौर पर महसूस होता है. पीरियड्स में सामान्य पेट दर्द के अलावा, इसमें कई बार पैर दर्द और पीठ दर्द भी हो सकता है. इससे महिलाओं के कार्य क्षमता पर असर पड़ता है.

menstruation in women
महिलाओं में मासिक धर्म

इससे पहले भी उठा है मासिक धर्म का मुद्दा
इस पीआईएल से पहले भी महिलाओं की मासिक धर्म से जुड़े मुद्दे उठ चुके हैं. साल 2018 में शशि थरूर ने संसद में वूमेन्स सेक्सुअल रिप्रोडक्टिव एंड मेंस्ट्रूअल राइट्स बिल पेश किया था. इसमें कहा गया था कि महिलाओं को पब्लिक अथॉरिटी फ्री में सिनेटरी पैड उपलब्ध कराएं. इस बिल के अलावा साल 2022 में बजट सेशन के पहले दिन मासिक धर्म लाभ विधेयक, 2017 को पेश किया गया था. लेकिन विधानसभा (Legislative Assembly) ने इसे 'अनक्लिन' टॉपिक के रुप में नजरअंदाज कर दिया. लोकसभा में केंद्रीय मंत्री ने लिखित जवाब में कहा था कि सेंट्रल सिविल सर्विसेज लीव रूल्स 1972 में मेंस्ट्रूअल लीव के लिए कोई प्रावधान नहीं है. दायर याचिका के अनुसार, यह 'पीरियड्स लीव' के बारे में विधायी इच्छाशक्ति की कमी को दर्शाता है.

menstruation in women
पिरियड्स में होने वाला दर्द

किन- किन देशों में मिलता है 'पीरियड्स लीव'
दायर याचिका में बताया गया कि चीन, जापान, ताइवान, यूके, वेल्स, इंडोनेशिया, साउथ कोरिया, स्पेन और जांबिया जैसे देशों में माहवारी के समय छुट्टी दी जाती है. इसी आधार पर हमारे देश में भी इसकी मांग की जा रही है और इसके पीछे तरह- तरह की दलीलें भी दी जा रही हैं. बिहार भारत का एकमात्र ऐसा राज्य है जो 1992 से अपने मानव संसाधन दिशानिर्देशों के माध्यम से महिलाओं को दो दिन का विशेष मासिक धर्म अवकाश दे रहा है.

भारत की इन कंपनियों में मिलता है पीरियड्स लीव
भारत में भी महिलाओं की समस्या को समझते हुए इन कम्पनियों ने अवकाश देने की परंपरा शुरू कर दी है.

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पीरियड्स लीव का क्या होगा दूरगामी परिणाम
अगर आप देश की पुरानी परंपराओं के देखते, समझते होंगे तो पता होगा कि मासिक धर्म के समय ग्रामीण परिवेशों में महिलाओं के लिए कई तरह के कामकाज वर्जित थे. जिसके पीछे दलील चाहे जो रही हो, लेकिन मंशा महिला को ऐसी स्थिति में आराम देने की ही रही है. अब से लगभग दो से तीन दशक पहले तक वह इस दौरान रसोई के कामकाज नहीं करती थी. मंदिरों व अन्य धार्मिक कार्यों में शामिल नहीं हो सकती थी. लेकिन बदलते परिवेश व महिलाओं के कामकाजी होने के कारण इस तरह की चीजें धीरे- धीरे खत्म हो गईं, लेकिन उससे महिलाओं को नयी तरह की परेशानियां शुरू हुई. इसलिए एक बार फिर से यह मांग उठी है और उसके दूरगामी परिणाम आ सकते हैं.

menstruation in women
महिलाओं का पिरियड्स

संभावित नुकसान
अगर ऐसा कानून बन जाता है और महिलाओं को हर महीने मासिक धर्म की छुट्टी देना अनिवार्य होता है तो इसके दूरगामी परिणाम भी हो सकते हैं. सरकारी संस्थाएं भले ही आसानी से इसे लागू कर लें, लेकिन निजी संस्थानों में महिलाओं के लिए नौकरी के अवसर घट सकते हैं.

पढ़ें: अरुणाचल प्रदेश में विधायकों ने मासिक धर्म को कहा 'गंदी चीज', नहीं होने दी चर्चा

Last Updated : Jan 13, 2023, 6:07 PM IST
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