हैदराबाद: कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर के डर के बीच एक और वायरस ने खतरे की घंटी बजा रहा है. केरल में निपाह वायरस से 12 साल के बच्चे की मौत के बाद राज्य के स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया. आखिर क्या है ये निपाह वायरस ? कोरोना काल में क्यों इसे बड़ा खतरा माना जा रहा है ? पहली बार कहां मिला था वायरस और क्या हैं इसके लक्षण ? निपाह वायरस से जुड़े हर सवाल का जवाब आपको मिलेगा ईटीवी भारत एक्सप्लेनर में (etv bharat explainer)
केरल में निपाह वायरस का अपडेट
बीते रविवार को के कोझीकोड में एक 12 साल के बच्चे की मौत हो गई, जिसमें निपाह वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई थी. बच्चे के संपर्क में आए जिन 8 लोगों को हाई रिस्क में माना जा रहा था उनकी रिपोर्ट मंगलवार को नेगेटिव आई है. ये सभी लोग मृत बच्चे के परिजन और इलाज में शामिल स्वास्थ्यकर्मी थे. बच्चे के संपर्क में आने वाले सभी लोगों को क्वारंटीन किया गया था.
कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग के दौरान पाया गया कि कुल 251 लोग बच्चे के संपर्क में आए थे, जिनमें से 129 स्वास्थ्यकर्मी थे. जिनमें लक्षण नजर आए उनकी हालत फिलहाल स्थिर है. राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने कहा कि ये राहत की बात है.
सबसे पहले कहां मिला था ये वायरस ?
निपाह वायरस यानी NiV सबसे पहले साल 1998 में मलेशिया में मिला था. यहां जिस कम्पंग सुंगाई निपाह से ये वायरस मिला था, वही से इस वायरस का नाम निपाह रखा गया. उस वक्त इसका वाहक सूअर बनते थे लेकिन जैसे-जैसे इसके मामले आने वाले सालों में सामने आते रहे कन्फ्यूजन और बढ़ती रही.
कैसे फैलता है निपाह वायरस (NiV) ?
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक निपाह वायरस तेजी से फैलने वाला वायरस है जो जानवरों और इंसानों में गंभीर बीमारी को जन्म दे सकता है. मलेशिया में भले इसके वाहक सूअर रहे हों लेकिन इसके बाद ये वायरस जहां भी मिला, इसके वाहक यानि माध्यम या जरिये का पता नहीं चला. साल 2004 में बांग्लादेश में कुछ लोग इस वायरस की चपेट में आए. पता चला कि इन लोगों ने खजूर के पेड़ से निकलने वाला तरल पिया था, जांच में पता चला कि वायरस को खजूर तक ले जाने वाले एक खास किस्म के चमगादड़ थे. जिन्हें फ्रूट बैट यानि फल खाने वाले चमगादड़ कहा जाता है.
इससे पहले साल 2001 में पश्चिम बंगाल के सिलिगुड़ी और नादिया जिले में भी इसके मरीजों की पुष्टि हुई थी. सिलिगुड़ी में 45 और नादिया में 5 लोगों की मौत हुई थी. कुल मिलाकर भारत में अब तक इस वायरस से 68 लोगों की मौत बीते 20 सालों में हो चुकी है.
क्यों डरा रहा है निपाह ?
दरअसल निपाह वायरस से होने वाले संक्रमण का अब तक कोई इलाज मौजूद नहीं है. इसके अलावा एक इंसान से दूसरे इंसान के संक्रमित होने की बात इसे और भी खतरनाक बनाती है. केरल में निपाह वायरस नया नहीं है और ना ही वहां इस वायरस से पहली मौत हुई है. साल 2018 में भी केरल में निपाह वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई थी, तब राज्य में इस वायरस ने 17 लोगों की जान ली थी.
2017 में आए इन मामलों के बाद केरल के साथ देशभर में डर का माहौल था. इस बार भी 12 साल के बच्चे की मौत के बाद निपाह वायरस डरा रहा है. साल 2019 में भी निपाह वायरस का मामला कोच्चि से सामने आया था. साल 1998-99 में जब ये बीमारी पहली बार मलेशिया में फैली थी तो इस वायरस की चपेट में 265 लोग आए थे. अस्पताल में भर्ती हुए इनमें से क़रीब 40% मरीज़ों की मौत हो गई थी. दवा और वैक्सीन ना होने के कारण मृत्युदर अधिक है.
निपाह वायरस के लक्षण
विशेषज्ञों के मुताबिक निपाह वायरस से संक्रमित व्यक्ति को तेज बुखार, सिरदर्द, पेट दर्द, खांसी, थकान, उल्टी, दस्त, सांस लेने में तकलीफ, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द, गंभीर कमजोरी से लेकर बेहोशी और एंसेफलाइटिस यानि दिमागी बुखार से लेकर कोमा तक पहुंचने के हालात तक पैदा हो सकते हैं.
इंसानों में NiV इंफ़ेक्शन से सांस लेने से जुड़ी गंभीर बीमारी हो सकती है या फिर जानलेवा इंसेफ़्लाइटिस भी अपनी चपेट में ले सकता है. सेंटर फ़ॉर डिसीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के मुताबिक निपाह वायरस का इंफ़ेक्शन एंसेफ़्लाइटिस से जुड़ा है, जिसमें दिमाग़ को नुक़सान होता है. 5 से 14 दिन तक इसकी चपेट में आने के बाद ये वायरस तीन से 14 दिन तक तेज़ बुख़ार और सिरदर्द की वजह बन सकता है. ये लक्षण 24-48 घंटों में मरीज़ को कोमा में पहुंचा सकते हैं. इंफ़ेक्शन के शुरुआती दौर में सांस लेने में समस्या होती है जबकि आधे मरीज़ों में न्यूरोलॉजिकल दिक्कतें भी होती हैं.
सावधानी ही बचाव है
विशेषज्ञों के मुताबिक निपाह वायरस की ना कोई दवा है और ना ही वैक्सीन ऐसे में सावधानी ही बचाव है. इसलिये आस-पास अगर चमगादड़ और सुअर हों तो सावधानी बरतने की जरूरत है. फलों को खाने से पहले अच्छी तरह धोएं, अगर उसपर पक्षी या जानवर के खाने के निशान हैं तो ऐसे फल ना खाएं. ताड़ी और खजूर के पेड़ों पर लगे खुले बर्तनों से दूरी बनाए रखें, बीमार के संपर्क में आने पर अच्छे से हाथ धोएं, डबल मास्क का इस्तेमाल करें और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करें. हल्के लक्षण नजर आने पर तुरंत डॉक्टर का संपर्क करें.
कोरोना, निपाह और कन्फ्यूज़न
अब तक जहां भी निपाह वायरस से संक्रमित मरीज मिले हैं वहां सुअर और चमगादड़ों की उपस्थिति रही है. हालांकि कुछ विशेषज्ञ अन्य मवेशियों से भी दूरी बनाने की सलाह देते हैं. मलेशिया और सिंगापुर में इसके सूअरों के ज़रिए फैलने की जानकारी मिली थी जबकि भारत और बांग्लादेश में इंसान से इंसान का संपर्क होने पर इसकी चपेट में आने का ख़तरा ज़्यादा रहता है. जो सबसे ज्यादा डरने वाली बात है. कोरोना वायरस की ही तरह ये वायरस इंसान से इंसान में फैल सकता है. दोनों वायरस के लक्षण भी काफी हद तक मिलते जुलते हैं ऐसे में कन्फ्यूजन की स्थिति होना लाजमी है. हालांकि लक्षण के साथ-साथ इससे बचाव के तरीके भी लगभग एक जैसे हैं इसलिए सावधानी बरतना ही सबसे बड़ा बचाव है.
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