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H3N2 Virus influenza: कोरोना ने प्रतिरोधक क्षमता को किया कमजोर, हावी हो रहा H3N2 वायरस

कोरोना के बाद अब H3N2 वायरस कहर बरपा रहा है. H3N2 वैरीएंट के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है. हालांकि यह वायरस कोरोना जितना खतरनाक नहीं है और कुछ सावधानियों से इसका बचाव संभव है.

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Published : Mar 13, 2023, 4:34 PM IST

ब्रिटिश मेडिकल काउंसिल के पूर्व वैज्ञानिक डॉ राम एस उपाध्याय.

नई दिल्ली: दिल्ली समेत देशभर में अभी एवियन इनफ्लुएंजा वायरस H3N2 से लोग संक्रमित हैं. तकरीबन हर घर में इस वायरस से संक्रमित लोग हैं. ऐसे में एक्सपर्ट बताते हैं कि जिस तरीके से हम लोगों ने कोरोना महामारी लड़ा और खुद का बचाव किया. ठीक वैसे ही कुछ समय तक इनफ्लुएंजा वायरस से भी बचने के लिए वही एहतियात बरतनी होगी. भारत में H3N2 वायरस की चपेट में आने से अब तक 2 लोगों की मौत हुई है.

आईसीएमआर ने पिछले दिनों 98 नमूनों की जांच की. इस दौरान 90 H3N2 के संक्रमित मिले, जबकि 8 मरीज H1N1 वायरस से संक्रमित पाए गए. आमतौर पर जब मौसम में बदलाव होता है, जैसे सर्दी से गर्मी या फिर गर्मी से सर्दी की शुरुआत होती है, तो उस दौरान वायरस की चपेट में आने से मौसमी बीमारियां होना आम बात है. लेकिन इस बार H3N2 कुछ अधिक ही तबाही मचाए हुए हैं. जानकारी के अनुसार इस तरह के हालात वर्ष 1968 में सबसे अधिक सामने आए थे.

कोरोना ने कमजोर किया प्रतिरोधक क्षमताः ब्रिटिश मेडिकल काउंसिल के पूर्व वैज्ञानिक डॉ राम एस उपाध्याय बताते हैं कि इनफ्लुएंजा वायरस का यह म्यूटेशन है. जिसे H3N2 नाम दिया गया है. अमेरिका में H5N1 वायरस से लोग त्रस्त है. इस वायरस से संक्रमित लोगों को जो बीमारियां हो रही है, उसका असर लंबे समय तक रह रहा है. बुजुर्गों और कोरोना से गुजर चुके लोगों के लिए यह कई दफा गंभीर रूप ले रहा है. डॉ उपाध्याय ने बताया कि इसके दो कारण हैं. पहला कोरोना आने के बाद उससे जो लोग संक्रमित हुए, उनके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को कोरोना ने छिन्न-भिन्न कर दिया. H3N2 वायरस एक तरह से सीजनल फ्लू है, लेकिन शरीर में प्रतिरोधक क्षमता कम होने से यह सीजनल फ्लू प्रकोप के रूप में दिख रहा है. H3N2 में कुछ ऐसे म्यूटेशन हुए हैं, जिससे इसकी क्षमता बढ़ गई है.

सरकार को खास ध्यान देने की जरूरतः दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार इस वायरस का असर सामान्य वायरस से 3 से 4 गुना अधिक है. अभी तक जितने लोगों को संक्रमित हुए हैं, उनमें से 7 फीसद लोगों को हॉस्पिटल में भर्ती होने की आवश्यकता पड़ी है. जो हॉस्पिटल गए हैं उनमें अधिकांश आईसीयू में ही भर्ती हो रहे हैं. अचानक वायरल इनफेक्शन की तीव्रता बढ़ गई है, इसका कारण यह है कि कोरोना ने हमारी प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित किया है. यह वायरस हमारे श्वसन तंत्र को प्रभावित कर रहा है. कफ़ नहीं निकल रहा है. सांस लेने में समस्या आ रही है. लोगों को बुखार हो रहा है. थकान अधिक हो रही है, कई मामलों में डायरिया के होने की भी शिकायत आई है. इसलिए सरकार को टेस्ट पर अधिक ध्यान देना चाहिए. उसके मुताबिक चिकित्सीय उपचार की शुरुआत कर देनी चाहिए.

ये भी पढ़ें: H3N2 वायरस के लक्षणों को लेकर बरतें ये सावधानी, डॉक्टर पीयूष रंजन ने दिए टिप्स

स्क्रीनिंग शुरू कर दी गई हैः दिल्ली के लोक नायक जयप्रकाश अस्पताल के निदेशक डॉ सुरेश कुमार ने बताया कि इससे संक्रमित लोगों को ठीक करने में एंटीबायोटिक का कोई रोल नहीं है. इसके खिलाफ एंटीवायरल दवा है, जो अस्पताल में उपलब्ध है. डब्ल्यूएचओ ने भी इसकी सलाह दी है एंटीबायोटिक के इस्तेमाल से नुकसान हो सकता है. लोगों को इससे बचने की जरूरत है. उन्होंने बताया कि अभी तक अस्पताल में H3N2 का कोई मरीज नहीं है, लेकिन स्क्रीनिंग शुरू कर दी गई है. अगर खांसी और निमोनिया वाले लक्षण के मरीज आते हैं तो उसके सैंपल जांच के लिए भेजे जा रहे हैं.

डॉक्टर बताते हैं, एवियन इन्फ्लूएंजा से अगर किसी को संक्रमण होता है, तो ज्यादातर मरीज पहले 10 दिनों में ठीक हो जाते थे. लेकिन इस बार 20 दिन से 1 महीने तक समय लग रहा है. उन्होंने बताया कोरोना के दौरान जिस तरह से हमने खुद का और दूसरों का बचाव किया. ठीक वैसे ही खुद का बचाव करना होगा. इससे वायरस की चपेट में आने की संभावना कम हो जाएगी.

ये भी पढ़ें: H3N2 वायरस के लक्षणों को लेकर बरतें ये सावधानी, डॉक्टर पीयूष रंजन ने दिए टिप्स

ब्रिटिश मेडिकल काउंसिल के पूर्व वैज्ञानिक डॉ राम एस उपाध्याय.

नई दिल्ली: दिल्ली समेत देशभर में अभी एवियन इनफ्लुएंजा वायरस H3N2 से लोग संक्रमित हैं. तकरीबन हर घर में इस वायरस से संक्रमित लोग हैं. ऐसे में एक्सपर्ट बताते हैं कि जिस तरीके से हम लोगों ने कोरोना महामारी लड़ा और खुद का बचाव किया. ठीक वैसे ही कुछ समय तक इनफ्लुएंजा वायरस से भी बचने के लिए वही एहतियात बरतनी होगी. भारत में H3N2 वायरस की चपेट में आने से अब तक 2 लोगों की मौत हुई है.

आईसीएमआर ने पिछले दिनों 98 नमूनों की जांच की. इस दौरान 90 H3N2 के संक्रमित मिले, जबकि 8 मरीज H1N1 वायरस से संक्रमित पाए गए. आमतौर पर जब मौसम में बदलाव होता है, जैसे सर्दी से गर्मी या फिर गर्मी से सर्दी की शुरुआत होती है, तो उस दौरान वायरस की चपेट में आने से मौसमी बीमारियां होना आम बात है. लेकिन इस बार H3N2 कुछ अधिक ही तबाही मचाए हुए हैं. जानकारी के अनुसार इस तरह के हालात वर्ष 1968 में सबसे अधिक सामने आए थे.

कोरोना ने कमजोर किया प्रतिरोधक क्षमताः ब्रिटिश मेडिकल काउंसिल के पूर्व वैज्ञानिक डॉ राम एस उपाध्याय बताते हैं कि इनफ्लुएंजा वायरस का यह म्यूटेशन है. जिसे H3N2 नाम दिया गया है. अमेरिका में H5N1 वायरस से लोग त्रस्त है. इस वायरस से संक्रमित लोगों को जो बीमारियां हो रही है, उसका असर लंबे समय तक रह रहा है. बुजुर्गों और कोरोना से गुजर चुके लोगों के लिए यह कई दफा गंभीर रूप ले रहा है. डॉ उपाध्याय ने बताया कि इसके दो कारण हैं. पहला कोरोना आने के बाद उससे जो लोग संक्रमित हुए, उनके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को कोरोना ने छिन्न-भिन्न कर दिया. H3N2 वायरस एक तरह से सीजनल फ्लू है, लेकिन शरीर में प्रतिरोधक क्षमता कम होने से यह सीजनल फ्लू प्रकोप के रूप में दिख रहा है. H3N2 में कुछ ऐसे म्यूटेशन हुए हैं, जिससे इसकी क्षमता बढ़ गई है.

सरकार को खास ध्यान देने की जरूरतः दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार इस वायरस का असर सामान्य वायरस से 3 से 4 गुना अधिक है. अभी तक जितने लोगों को संक्रमित हुए हैं, उनमें से 7 फीसद लोगों को हॉस्पिटल में भर्ती होने की आवश्यकता पड़ी है. जो हॉस्पिटल गए हैं उनमें अधिकांश आईसीयू में ही भर्ती हो रहे हैं. अचानक वायरल इनफेक्शन की तीव्रता बढ़ गई है, इसका कारण यह है कि कोरोना ने हमारी प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित किया है. यह वायरस हमारे श्वसन तंत्र को प्रभावित कर रहा है. कफ़ नहीं निकल रहा है. सांस लेने में समस्या आ रही है. लोगों को बुखार हो रहा है. थकान अधिक हो रही है, कई मामलों में डायरिया के होने की भी शिकायत आई है. इसलिए सरकार को टेस्ट पर अधिक ध्यान देना चाहिए. उसके मुताबिक चिकित्सीय उपचार की शुरुआत कर देनी चाहिए.

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स्क्रीनिंग शुरू कर दी गई हैः दिल्ली के लोक नायक जयप्रकाश अस्पताल के निदेशक डॉ सुरेश कुमार ने बताया कि इससे संक्रमित लोगों को ठीक करने में एंटीबायोटिक का कोई रोल नहीं है. इसके खिलाफ एंटीवायरल दवा है, जो अस्पताल में उपलब्ध है. डब्ल्यूएचओ ने भी इसकी सलाह दी है एंटीबायोटिक के इस्तेमाल से नुकसान हो सकता है. लोगों को इससे बचने की जरूरत है. उन्होंने बताया कि अभी तक अस्पताल में H3N2 का कोई मरीज नहीं है, लेकिन स्क्रीनिंग शुरू कर दी गई है. अगर खांसी और निमोनिया वाले लक्षण के मरीज आते हैं तो उसके सैंपल जांच के लिए भेजे जा रहे हैं.

डॉक्टर बताते हैं, एवियन इन्फ्लूएंजा से अगर किसी को संक्रमण होता है, तो ज्यादातर मरीज पहले 10 दिनों में ठीक हो जाते थे. लेकिन इस बार 20 दिन से 1 महीने तक समय लग रहा है. उन्होंने बताया कोरोना के दौरान जिस तरह से हमने खुद का और दूसरों का बचाव किया. ठीक वैसे ही खुद का बचाव करना होगा. इससे वायरस की चपेट में आने की संभावना कम हो जाएगी.

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