ETV Bharat / bharat

Vat Savitri Vrat: जानें वट सावित्री व्रत की पूजा विधि, मुहूर्त और कथा - जून महीने के व्रत

आज वट सावित्री (vat savitri) का पर्व मनाया जा रहा. वट सावित्री का व्रत महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अखंड सौभाग्य के लिए रखती हैं. आप भी जानिए कैस करें वट सावित्री का व्रत और पूजन.

वट सावित्री व्रत
वट सावित्री व्रत
author img

By

Published : Jun 10, 2021, 11:00 AM IST

रायपुर : हिन्दू मान्यताओं के अनुसार महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अखंड सौभाग्य के लिए वट सावित्री का व्रत (vat savitri vrat) रखती हैं. हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को किया जाता है. इस दिन सुहागन स्त्रियां बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं. इस दिन शनि जयंती भी है और इस बार सूर्य ग्रहण भी लग रहा है.

वट सावित्री व्रत

वट सावित्री व्रत सौभाग्य पाने के लिए बड़ा व्रत माना जाता है. इस दिन महिलाएं बरगद की पूजा करती हैं और परिक्रमा करती हैं. बरगद को देव वृक्ष भी कहते हैं. कहते हैं बरगद के पेड़ पर त्रिदेव निवास करते हैं. कथा है कि इस दिन सावित्री अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से वापस लाई थीं.

इस दिन महिलाएं बरगद के पेड़ पर कच्चा सूत लपेटते हुए परिक्रमा करती हैं और शुभ चीजें अर्पित करती हैं. सुहागिनें सावित्री-सत्यवान की कथा सुनती हैं. कहते हैं वट सावित्री व्रत की कथा सुनने से सुहागिनों के पति के सारे संकट दूर होते हैं.

कैसे करें पूजा ?

इस दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान करके साफ कपड़े पहनें.

मंदिर में पूजा के साथ व्रत शुरू करें.

इस दिन बरगद के वृक्ष की पूजा का विधान है. वट वृक्ष को जल चढ़ाने के बाद सावित्री और सत्यवान की पूजा करें.

पूजा की सामग्री चढ़ाएं और कच्चे सूत के साथ 108 बार परिक्रमा करें.

इसके बाद बरगद के वृक्ष के नीचे बैठकर सावित्री-सत्यवान की कथा सुनें.

इन मंत्रों का करें जाप

वट सावित्री के दिन मंगल ग्रह पुष्य नक्षत्र में प्रवेश करेंगे. इस दिन भगवान शंकर का जलाभिषेक, रुद्राभिषेक, दुग्धाभिषेक करना शुभ माना गया है. वट सावित्री के दिन शिव चालीसा का पाठ करना, महामृत्युंजय मंत्र का पाठ के अलावा शिव पंचाक्षरी मंत्र (ॐ नम: शिवाय) का जाप करना इस दिन विशिष्ट माना जाता है. सोम प्रदोष के दिन से वट वृक्ष की परिक्रमा शुरू कर दी जाती है. वट वृक्ष की परिक्रमा करने और पूजन करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

June 2021: खुशहाली लाया जून का महीना, व्रत और त्योहारों से पूरी होंगी मनोंकामनाएं

वट सावित्री व्रत की कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, सावित्री, मद्रदेश में अश्वपति नाम के राजा की बेटी थी. सावित्री का विवाह द्युमत्सेन के पुत्र सत्यवान से हुआ. सत्यवान के पिता भी राजा थे. लेकिन उनका राज-पाट छिन गया था. जिसके कारण वे लोग बहुत ही गरीबी में जीवन गुजार रहे थे. सत्यवान के माता-पिता की भी आंखों की रोशनी चली गई थी. सत्यवान जंगल से लकड़ी काटकर लाते और किसी तरह अपना गुजारा करते थे.

सावित्री ने निभाया पत्नी धर्म

जिस दिन ऋषि नारद ने सत्यवाद की मृत्यु बताई थी, उस दिन सावित्री भी सत्यवान के साथ जंगल गई. जैसी ही सत्यवान पेड़ पर चढ़ने लगे उनके सिर में तेज दर्द होने लगा. वो सावित्री की गोद में सिर रखकर लेट गया. कुछ ही देर में यमराज, सत्यवान की जीवात्मा के साथ जाने लगे तो सावित्री भी पीछे-पीछे चलने लगी. आगे जाकर यमराज ने कहा कि सावित्री जहां तक साथ आ सकती थी आईं, अब लौट जाएं. लेकिन सावित्री लौटने के लिए तैयार नहीं हुईं. सावित्री ने कहा जहां तक मेरे पति जाएंगे, मुझे जाना चाहिए. यही पत्नी धर्म है.

राज्य वापस लौटाने की कामना

यमराज सावित्री की बातें सुनकर प्रसन्न हुए और वरदान मांगने को कहा. सावित्री ने कहा, 'मेरे सास-ससुर अंधे हैं, उन्हें नेत्र-ज्योति दें' यमराज ने 'तथास्तु' कहकर लौट जाने को कहा. लेकिन सावित्री यमराज के पीछे ही चलती रही. यमराज ने प्रसन्न होकर फिर वर मांगने को कहा. सावित्री ने वर मांगा, 'मेरे ससुर का खोया हुआ राज्य उन्हें वापस मिल जाए. यमराज ने तथास्तु कहा और फिर चलने लगे.

सौ पुत्रों की मां बनने का वरदान

इसके बाद सावित्री ने यमदेव से वर मांगा, 'मैं सत्यवान के सौ पुत्रों की मां बनना चाहती हूं.' सावित्री की पति भक्ति से प्रसन्न होकर यमराज ने तथास्तु कहा. जिसके बाद सावित्री न कहा कि मेरे पति के प्राण तो आप लेकर जा रहे हैं तो आपके पुत्र प्राप्ति का वरदान कैसे पूर्ण होगा. तब यमदेव ने अंतिम वरदान को देते हुए सत्यवान के प्राण छोड़ दिए. सावित्री जब उसी वट वृक्ष के पास लौटी तो उन्होंने पाया कि सत्यवान के मृत शरीर में संचार हो रहा है. कुछ देर में वो उठकर बैठ गया. बाकी दो वरदान भी पूरे हो गए.

रायपुर : हिन्दू मान्यताओं के अनुसार महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अखंड सौभाग्य के लिए वट सावित्री का व्रत (vat savitri vrat) रखती हैं. हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को किया जाता है. इस दिन सुहागन स्त्रियां बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं. इस दिन शनि जयंती भी है और इस बार सूर्य ग्रहण भी लग रहा है.

वट सावित्री व्रत

वट सावित्री व्रत सौभाग्य पाने के लिए बड़ा व्रत माना जाता है. इस दिन महिलाएं बरगद की पूजा करती हैं और परिक्रमा करती हैं. बरगद को देव वृक्ष भी कहते हैं. कहते हैं बरगद के पेड़ पर त्रिदेव निवास करते हैं. कथा है कि इस दिन सावित्री अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से वापस लाई थीं.

इस दिन महिलाएं बरगद के पेड़ पर कच्चा सूत लपेटते हुए परिक्रमा करती हैं और शुभ चीजें अर्पित करती हैं. सुहागिनें सावित्री-सत्यवान की कथा सुनती हैं. कहते हैं वट सावित्री व्रत की कथा सुनने से सुहागिनों के पति के सारे संकट दूर होते हैं.

कैसे करें पूजा ?

इस दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान करके साफ कपड़े पहनें.

मंदिर में पूजा के साथ व्रत शुरू करें.

इस दिन बरगद के वृक्ष की पूजा का विधान है. वट वृक्ष को जल चढ़ाने के बाद सावित्री और सत्यवान की पूजा करें.

पूजा की सामग्री चढ़ाएं और कच्चे सूत के साथ 108 बार परिक्रमा करें.

इसके बाद बरगद के वृक्ष के नीचे बैठकर सावित्री-सत्यवान की कथा सुनें.

इन मंत्रों का करें जाप

वट सावित्री के दिन मंगल ग्रह पुष्य नक्षत्र में प्रवेश करेंगे. इस दिन भगवान शंकर का जलाभिषेक, रुद्राभिषेक, दुग्धाभिषेक करना शुभ माना गया है. वट सावित्री के दिन शिव चालीसा का पाठ करना, महामृत्युंजय मंत्र का पाठ के अलावा शिव पंचाक्षरी मंत्र (ॐ नम: शिवाय) का जाप करना इस दिन विशिष्ट माना जाता है. सोम प्रदोष के दिन से वट वृक्ष की परिक्रमा शुरू कर दी जाती है. वट वृक्ष की परिक्रमा करने और पूजन करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

June 2021: खुशहाली लाया जून का महीना, व्रत और त्योहारों से पूरी होंगी मनोंकामनाएं

वट सावित्री व्रत की कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, सावित्री, मद्रदेश में अश्वपति नाम के राजा की बेटी थी. सावित्री का विवाह द्युमत्सेन के पुत्र सत्यवान से हुआ. सत्यवान के पिता भी राजा थे. लेकिन उनका राज-पाट छिन गया था. जिसके कारण वे लोग बहुत ही गरीबी में जीवन गुजार रहे थे. सत्यवान के माता-पिता की भी आंखों की रोशनी चली गई थी. सत्यवान जंगल से लकड़ी काटकर लाते और किसी तरह अपना गुजारा करते थे.

सावित्री ने निभाया पत्नी धर्म

जिस दिन ऋषि नारद ने सत्यवाद की मृत्यु बताई थी, उस दिन सावित्री भी सत्यवान के साथ जंगल गई. जैसी ही सत्यवान पेड़ पर चढ़ने लगे उनके सिर में तेज दर्द होने लगा. वो सावित्री की गोद में सिर रखकर लेट गया. कुछ ही देर में यमराज, सत्यवान की जीवात्मा के साथ जाने लगे तो सावित्री भी पीछे-पीछे चलने लगी. आगे जाकर यमराज ने कहा कि सावित्री जहां तक साथ आ सकती थी आईं, अब लौट जाएं. लेकिन सावित्री लौटने के लिए तैयार नहीं हुईं. सावित्री ने कहा जहां तक मेरे पति जाएंगे, मुझे जाना चाहिए. यही पत्नी धर्म है.

राज्य वापस लौटाने की कामना

यमराज सावित्री की बातें सुनकर प्रसन्न हुए और वरदान मांगने को कहा. सावित्री ने कहा, 'मेरे सास-ससुर अंधे हैं, उन्हें नेत्र-ज्योति दें' यमराज ने 'तथास्तु' कहकर लौट जाने को कहा. लेकिन सावित्री यमराज के पीछे ही चलती रही. यमराज ने प्रसन्न होकर फिर वर मांगने को कहा. सावित्री ने वर मांगा, 'मेरे ससुर का खोया हुआ राज्य उन्हें वापस मिल जाए. यमराज ने तथास्तु कहा और फिर चलने लगे.

सौ पुत्रों की मां बनने का वरदान

इसके बाद सावित्री ने यमदेव से वर मांगा, 'मैं सत्यवान के सौ पुत्रों की मां बनना चाहती हूं.' सावित्री की पति भक्ति से प्रसन्न होकर यमराज ने तथास्तु कहा. जिसके बाद सावित्री न कहा कि मेरे पति के प्राण तो आप लेकर जा रहे हैं तो आपके पुत्र प्राप्ति का वरदान कैसे पूर्ण होगा. तब यमदेव ने अंतिम वरदान को देते हुए सत्यवान के प्राण छोड़ दिए. सावित्री जब उसी वट वृक्ष के पास लौटी तो उन्होंने पाया कि सत्यवान के मृत शरीर में संचार हो रहा है. कुछ देर में वो उठकर बैठ गया. बाकी दो वरदान भी पूरे हो गए.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.