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काशी की होली की जान है 'भांग और ठंडई', महादेव संग काशीवासियों को भी है अतिप्रिय

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Published : Mar 17, 2022, 7:35 AM IST

Updated : Mar 17, 2022, 9:13 AM IST

उत्सव की नगरी वाराणसी में होली की शुरुआत, महादेव के चरणों मे गुलाल अर्पित कर किया जाता है. इसके साथ ही, इस अवसर पर महादेव को ठंडई और भांग भी चढ़या जाता है. लेकिन होली पर क्यों किया जाता है इसका सेवन और क्या है इसके पीछे की कहानी, आइए जानते हैं..

Holi Festival in Varanasi
वाराणसी में होली का हुड़दंग

वाराणसीः भांग, पान और ठंडई के साथ अल्हड़ मस्ती और हुल्लड़बाजी के रंग में सराबोर बनारस की होली की बात ही निराली है. फाल्गुन का महीना, काशी की मस्ती और यहां के लोगों की जिंदादिली के एहसास को और भी ज्यादा जीवंतता प्रदान करता है. कहते हैं कि काशी में महादेव के आशीर्वाद और प्रसाद से ही हर त्यौहार की शुरुआत होती है. ऐसे में होली की शुरुआत पर महादेव के चरणों मे गुलाल अर्पित कर प्रिय भोग ठंडई और भांग भी चढ़ाया जाता है. तो आइए जानते हैं कि आखिर क्यों होली में ठंडई एवं भांग का सेवन क्यों किया जाता है और इसकी क्या मान्यता है.

Holi Festival in Varanasi
वाराणसी में होली का हुड़दंग

ऐसे तैयार होता है ठंडाई
ठंडई की बात करें तो यह एक तरीके का शीतल पेय पदार्थ होता है और वाराणसी के कई जगहों पर मिलता है. लेकिन बनारस की धड़कन कहे जाने वाले क्षेत्र गोदौलिया में इसकी काफी सारी दुकाने हैं. यहां कई दशकों से लोग इस खास पेय की दुकानें संचालित कर रहे हैं. यहां के एक दुकानदार ने बताया की बनारसी ठंडई काजू, बादाम, पिस्ता, खरबूजे का बीज, लौंग, इलायची, काली मिर्च, केसर, दूध और मलाई आदि से बनकर तैयार होती है. इसे बनाने के लिए लगभग 2 दिन भांग को भिगोकर बीज निकाला जाता है. इसके बाद साफ पानी से धोया जाता है. भांग के साथ खरबूजे के बीज व अन्य सभी मेवों को साफ कर सिलबट्टे पर बारीक पिसा जाता है.

cold drink of banaras
वाराणसी की ठंडई

महादेव को इसलिए पसंद है ठंडाई
धार्मिक मान्यता है कि समुद्र मंथन के निकले विष को पीते समय महादेव ने उसे अपने कंठ यानी गले से नीचे नहीं उतरने दिया. समुद्र मंथन से निकला यह विष बेहद गर्म था और जब उन्होंने इसका विषपान किया तो उनके शरीर का तापमान काफी बढ़ गया. इस दौरान विष की गर्मी को कम करने के लिए महादेव ने भांग का सेवन किया था क्योंकि भांग को ठंडा माना जाता है. इसी के बाद से भांग को महादेव की पूजा में शामिल किया जाने लगा.

होली और वाराणसी की ठंडाई

इसलिए होली पर किया जाता है ठंडाई का सेवन
मान्यताओं के अनुसार होली पर भांग पीने की परंपरा बेहुत पुरानी है एवं इसे लेकर के कई सारी धार्मिक किंवदंतिया हैं. होली के दिन को भगवान शिव और विष्णु के दोस्ती के प्रतीक के रूप मे देखा जाता है, क्योंकि इस पर्व पर हिरण्यकश्यप का संहार करने के लिए भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लिया था. संहार के बाद वो बेहद क्रोधित थे तो उनके क्रोध को शांत करने के लिए भगवान शिव ने शरभ अवतार लिया. यहीं से होली पर भांग व ठंडई पीने का प्रचलन शुरू हुआ. काशी में लोग इसे महादेव का प्रसाद समझ कर सेवन करते हैं. वहीं काशीवासी कहते हैं की बिना भांग ठंडई के न महादेव की भक्ति होती है और न ही होली का रंग जमता है.

Holi Festival in Varanasi
वाराणसी में होली उत्सव

यह भी पढ़ें-होली की अनोखी परंपरा, लड़की पर रंग डाला तो करनी पड़ेगी शादी

सेहत के लिए भी फायदेमंद
बता दें कि भांग व ठंडई शीतल होने के साथ सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद होती है. ऐसा माना जाता है कि होली के दिन हर्षोल्लास के कारण शरीर का तापमान बढ़ा होता है और इस समय गर्मियों का मौसम भी शुरू हो रहा होता है. इसके साथ ही केमिकल युक्त रंग गुलाल इस तापमान को और बढ़ाते हैं. इससे कपोल गर्म हो जाता है जिससे मानसिक बीमारियों की समस्या हो सकती है. इसलिए इस समय भांग व ठंडई का सेवन करने से शरीर व मस्तिष्क को शीतलता मिलती है.

वाराणसीः भांग, पान और ठंडई के साथ अल्हड़ मस्ती और हुल्लड़बाजी के रंग में सराबोर बनारस की होली की बात ही निराली है. फाल्गुन का महीना, काशी की मस्ती और यहां के लोगों की जिंदादिली के एहसास को और भी ज्यादा जीवंतता प्रदान करता है. कहते हैं कि काशी में महादेव के आशीर्वाद और प्रसाद से ही हर त्यौहार की शुरुआत होती है. ऐसे में होली की शुरुआत पर महादेव के चरणों मे गुलाल अर्पित कर प्रिय भोग ठंडई और भांग भी चढ़ाया जाता है. तो आइए जानते हैं कि आखिर क्यों होली में ठंडई एवं भांग का सेवन क्यों किया जाता है और इसकी क्या मान्यता है.

Holi Festival in Varanasi
वाराणसी में होली का हुड़दंग

ऐसे तैयार होता है ठंडाई
ठंडई की बात करें तो यह एक तरीके का शीतल पेय पदार्थ होता है और वाराणसी के कई जगहों पर मिलता है. लेकिन बनारस की धड़कन कहे जाने वाले क्षेत्र गोदौलिया में इसकी काफी सारी दुकाने हैं. यहां कई दशकों से लोग इस खास पेय की दुकानें संचालित कर रहे हैं. यहां के एक दुकानदार ने बताया की बनारसी ठंडई काजू, बादाम, पिस्ता, खरबूजे का बीज, लौंग, इलायची, काली मिर्च, केसर, दूध और मलाई आदि से बनकर तैयार होती है. इसे बनाने के लिए लगभग 2 दिन भांग को भिगोकर बीज निकाला जाता है. इसके बाद साफ पानी से धोया जाता है. भांग के साथ खरबूजे के बीज व अन्य सभी मेवों को साफ कर सिलबट्टे पर बारीक पिसा जाता है.

cold drink of banaras
वाराणसी की ठंडई

महादेव को इसलिए पसंद है ठंडाई
धार्मिक मान्यता है कि समुद्र मंथन के निकले विष को पीते समय महादेव ने उसे अपने कंठ यानी गले से नीचे नहीं उतरने दिया. समुद्र मंथन से निकला यह विष बेहद गर्म था और जब उन्होंने इसका विषपान किया तो उनके शरीर का तापमान काफी बढ़ गया. इस दौरान विष की गर्मी को कम करने के लिए महादेव ने भांग का सेवन किया था क्योंकि भांग को ठंडा माना जाता है. इसी के बाद से भांग को महादेव की पूजा में शामिल किया जाने लगा.

होली और वाराणसी की ठंडाई

इसलिए होली पर किया जाता है ठंडाई का सेवन
मान्यताओं के अनुसार होली पर भांग पीने की परंपरा बेहुत पुरानी है एवं इसे लेकर के कई सारी धार्मिक किंवदंतिया हैं. होली के दिन को भगवान शिव और विष्णु के दोस्ती के प्रतीक के रूप मे देखा जाता है, क्योंकि इस पर्व पर हिरण्यकश्यप का संहार करने के लिए भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लिया था. संहार के बाद वो बेहद क्रोधित थे तो उनके क्रोध को शांत करने के लिए भगवान शिव ने शरभ अवतार लिया. यहीं से होली पर भांग व ठंडई पीने का प्रचलन शुरू हुआ. काशी में लोग इसे महादेव का प्रसाद समझ कर सेवन करते हैं. वहीं काशीवासी कहते हैं की बिना भांग ठंडई के न महादेव की भक्ति होती है और न ही होली का रंग जमता है.

Holi Festival in Varanasi
वाराणसी में होली उत्सव

यह भी पढ़ें-होली की अनोखी परंपरा, लड़की पर रंग डाला तो करनी पड़ेगी शादी

सेहत के लिए भी फायदेमंद
बता दें कि भांग व ठंडई शीतल होने के साथ सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद होती है. ऐसा माना जाता है कि होली के दिन हर्षोल्लास के कारण शरीर का तापमान बढ़ा होता है और इस समय गर्मियों का मौसम भी शुरू हो रहा होता है. इसके साथ ही केमिकल युक्त रंग गुलाल इस तापमान को और बढ़ाते हैं. इससे कपोल गर्म हो जाता है जिससे मानसिक बीमारियों की समस्या हो सकती है. इसलिए इस समय भांग व ठंडई का सेवन करने से शरीर व मस्तिष्क को शीतलता मिलती है.

Last Updated : Mar 17, 2022, 9:13 AM IST
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