उत्तराखंड से इन हस्तियों को मिला पद्म अवार्ड
यहां की चार हस्तियों को पद्म विभूषण सम्मान दिया जाएगा. पिछले साल दिसंबर में देश ने अपने पहले सीडीएस बिपिन रावत को गवां दिया था. उनकी हेलीकॉप्टर क्रैश में मौत हो गई थी. अब उनके शौर्य को सलाम करने के लिए सरकार की ओर से उन्हें मरणोपरांत पद्म विभूषण से सम्मानित किया जाएगा. जनरल रावत का जन्म मार्च 1958 में पहाड़ी राज्य उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र के पौड़ी जिले में एक सैन्य परिवार में हुआ था. उनके पिता लक्ष्मण सिंह रावत एक सेना अधिकारी थे और भारतीय सेना से लेफ्टिनेंट जनरल के पद से सेवानिवृत्त हुए थे. जनरल रावत को 1978 में भारतीय सेना की गोरखा रेजिमेंट में कमीशन दिया गया था और वे पूर्वी सेना कमांडर तत्कालीन वाइस आर्मी चीफ और अंत में दिसंबर 2016 में 26वें सेनाध्यक्ष बने. सितंबर 2019 में उन्हें तत्कालीन वायु सेना प्रमुख बीएस धनोआ के सेवानिवृत्त होने के बाद चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी का 57 वां अध्यक्ष नियुक्त किया गया था और उस वर्ष दिसंबर में देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) नियुक्त किया गया था. जनरल रावत को ऊंचाई वाले युद्ध और उग्रवाद विरोधी अभियानों और अंतरराष्ट्रीय शांति अभियानों में अनुभव था.
हॉकी की हैट्रिक गर्ल वंदना कटारिया को केंद्र सरकार पद्मश्री से सम्मानित करने जा रही है.
आर्ट के क्षेत्र में माधुरी बर्थवाल और सोशल वर्क में बसंती देवी को केंद्र सरकार पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित करेगी.
राजस्थान से इन हस्तियों को मिला पद्म अवार्ड
राजस्थान की पांच हस्तियों को इस बार पद्म अवार्ड से नवाजे जाने की घोषणा हुई है. इनमें पूर्व आईएएस राजीव महर्षि, देवेंद्र झाझड़िया, चंद्रप्रकाश द्विवेदी, अवनी लेखरा और रामदयाल शर्मा को पद्म अवार्ड सम्मानित किया जाएगा.
राजीव महर्षि को पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मनित किया जाएगा. पूर्व आईएएस महर्षि प्रदेश के मुख्यसचिव और CAG रह चुके हैं.
देवेंद्र झाझड़िया को पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मनित किया जाएगा. झाझड़िया पैरालंपिक में दो बार के स्वर्ण पदक विजेता रहे हैं. देवेंद्र झाझड़िया ने टोक्यो पैरालंपिक में रजत पदक जीत कर इतिहास रचा था (Devendra Jhajhariya got Padma bhushan).
चंद्रप्रकाश द्विवेदी को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मनित किया जाएगा (Chandraprakash Dwivedi got Padma Shri). द्विवेदी एक अभिनेता हैं और चाणक्य धारावाहिक में उन्होंने कौटिल्य का किरदार निभाया था. सिरोही में उनका जन्म हुआ था. उन्होंने पिंजर और मोहल्ला अस्सी जैसी फिल्मों का निर्देशन किया है.
रामदयाल शर्मा को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मनित किया जाएगा. शर्मा को कला जगत में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए सम्मानित किया जा रहा है.
अवनी लेखरा को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मनित किया जाएगा (Padma Shri Award to Avani Lakhera). शूटर अवनी लेखरा ने इतिहास रचते हुए पहली बार दो मेडल पर निशाने लगाए. अवनी ने इन खेलों में एक गोल्ड और एक कांस्य पदक अपने नाम किया था.
उत्तर प्रदेश की भी झोली भरी
गणतंत्र दिवस के मौके पर उत्तर प्रदेश की भी झोली भरी है. बता दें, कई लोगों को सम्मानित किया गया है. प्रदेश के पूर्व सीएम औऱ राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह को पद्म विभूषण दिया जा रहा है. वहीं, वाराणसी के प्रख्यात सितार विद पंडित शिवनाथ मिश्र को पद्मश्री, बनारस में 125 वर्ष के शिवानंद जी समेत काशी हिंदू विश्वविद्यालय के डॉ. कमलाकर त्रिपाठी समेत संम्पूर्णानंद यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर वशिष्ठ त्रिपाठी और गीता प्रेस के अध्यक्ष रह चुके राधेश्याम खेमका को मरणोपरांत पद्म विभूषण देने की घोषणा की गई है.
कल्याण सिंह को पद्म विभूषण
राजस्थान के पूर्व राज्यपाल स्वर्गीय कल्याण सिंह को पब्लिक अफेयर्स के क्षेत्र में मरणोपरांत पदम विभूषण से सम्मनित किया जाएगा (Padma Vibhushan to Kalyan Singh). कल्याण सिंह को लोक कल्याण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए सम्मानित करने की घोषणा की गई है. वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. भाजपा को यूपी में आगे बढ़ाने का उन्हें श्रेय जाता है. राम मंदिर आंदोलन में उनकी भूमिका अहम थी.
काशी पर हुए मेहरबान
पहले पद्म पुरस्कारों की घोषणा की गई, जिसमें वाराणसी के प्रख्यात सितार विद पंडित शिवनाथ मिश्र को पद्मश्री सम्मान देने की घोषणा के बाद वह बेहद खुश हैं. पद्म पुरस्कार की घोषणा के बाद उनके प्रशंसक लगातार उनके घर पहुंच रहे हैं और उन्हें बधाई भी दे रहे हैं. पंडित शिवनाथ के अलावा बनारस में 125 वर्ष के शिवानंद जी समेत काशी हिंदू विश्वविद्यालय के डॉ. कमलाकर त्रिपाठी समेत संम्पूर्णानंद यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर वशिष्ठ त्रिपाठी और गीता प्रेस के अध्यक्ष रह चुके राधेश्याम खेमका को मरणोपरांत पद्म विभूषण देने की घोषणा की गई है.
काशीवासियों को समर्पित किया पुरस्कार
सितार वादन के क्षेत्र में शिवनाथ मिश्रा को मिला यह सम्मान पंडित रविशंकर के बाद मिला है. 12 अक्टूबर 1943 में जन्मे पंडित शिवनाथ मिश्र संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में संगीत विभाग के विभागाध्यक्ष भी रह चुके हैं. पंडित शिवनाथ मिश्रा का कहना है कि यह सम्मान मेरा व्यक्तिगत सम्मान नहीं है, बल्कि शास्त्रीय संगीत का सम्मान है, बनारस का सम्मान है और यहां के कलाकारों का सम्मान है. सरकार ने मुझे इस योग्य समझा, इसके लिए मैं हृदय से आभार व्यक्त करता हूं और यह पद्मश्री काशीवासियों को समर्पित करता हूं. उन्होंने कहा बनारस घराने एवं गुरुजनों को नमन करते हुए उन्हें यह सम्मान समर्पित कर रहा हूं.
तीन पद्म सम्मान मिलेंगे
बनारस को आज पद्म पुरस्कारों की घोषणा में तीन पद्म सम्मान मिलने जा रहे हैं. जिनमें दूसरा सम्मान 125 वर्ष के महामानव के रूप में पूरी दुनिया में पहचाने जाने वाले शिवानंद गोस्वामी को दिया जा रहा है. इसके अलावा काशी हिंदू विश्वविद्यालय के डॉ. कमलाकर त्रिपाठी और प्रो. प्रोफेसर वशिष्ठ त्रिपाठी को भी पद्म पुरस्कार देने की घोषणा की गई है. इसके अतिरिक्त गीता प्रेस गोरखपुर के अध्यक्ष सनातन धर्म की प्रसिद्ध पत्रिका कल्याण के संपादक राधेश्याम खेमका को पद्म विभूषण जी जाने की घोषणा की गई है. बता दें कि राधेश्याम खेमका मूलता बिहार के मुंगेर के रहने वाले थे, लेकिन दो पीढ़ियों से वह काशी में रहकर सनातन धर्म और परंपराओं को आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे थे. बीएचयू से उन्होंने पढ़ाई की थी और अप्रैल 2021 में केदार घाट स्थित अपने आवास पर उन्होंने 87 वर्ष की अवस्था में अंतिम सांस ली थी. राधेश्याम सिंह ने 40 सालों से गीता प्रेस में अपनी भूमिका का निर्वहन करते हुए धार्मिक पत्रिकाओं का संपादन किया था.
पद्म भूषण से होंगे सम्मानित
प्रो. वशिष्ठ त्रिपाठी को पद्म भूषण पुरस्कार मिलना है. ये डॉ. संपूर्णांनंद संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व प्रति कुलपति और न्याय शास्त्र के विद्वान हैं. ये देवरिया के रहने वाले हैं. 1961 में इन्होंने विश्वविद्यालय से ही आचार्य की उपाधि हासिल की थी. डॉ. कमलाकर त्रिपाठी बीएचयू के जाने-माने नेफ्रोलॉजिस्ट हैं. इनको भी पद्म भूषण सम्मान मिलना है. नेफ्रोलॉजी डिपार्मेंट के हेड रहे हैं. अब तक इनको 2 अंतरराष्ट्रीय और लगभग 15 राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं. इनके सवा सौ से ज्यादा रिसर्च पेपर जनरल प्रकाशित हो चुके हैं.
हरियाणा का भी बोलबाला
हरियाणा से खेल के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रदर्शन करने वाले ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता नीरज चोपड़ा, पैरालंपिक स्वर्ण पदक विजेता सुमित आंतिल और सोशल वर्क में ओम प्रकाश गांधी को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित (Padma Shri award Haryana) किया जाएगा.
कौन हैं नीरज चोपड़ा
नीरज का जन्म 24 दिसंबर 1997 को हरियाणा के पानीपत के एक छोटे से गांव खंडार के किसान परिवार में हुआ. उनके पिता सतीश कुमार किसान हैं और उनकी मां सरोज देवी गृहिणी हैं. भारत के लिए टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने वाले भालाफेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) को पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा. इसके अलावा आज ही नीरज चोपड़ा को परम विशिष्ट सेवा मेडल (Param Vashistha Seva Medal ) से भी सम्मानित किए जाने का ऐलान भी किया गया था.
हरियाणा के जैवलिन थ्रोअर सुमित अंतिल को पद्मश्री
टोक्यो पैरा ओलंपिक में देश को स्वर्ण पदक दिलाने वाले जैवलिन थ्रोअर सुमित अंतिल (Sumit Antil) को पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा. बीते साल अगस्त में टोक्यो पैरालंपिक में पुरुषों की भाला फेंक एफ-64 वर्ग में स्वर्ण पदक जीतने वाले अंतिल ने फाइनल में अपने ही विश्व रिकॉर्ड (62.88 मीटर) को तोड़ते हुए 68.55 मीटर भाला फेंक स्वर्ण पदक जीता था. सुमित अंतिल टोक्यो पैरा ओलंपिक (Tokyo Paralympics 2020) के फाइनल में बेहतरीन फॉर्म में थे. इस ओलंपिक में एक के बाद एक उन्होंने तीन वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़े. पहले उन्होंने 66.95 मीटर दूर भाला फेंक विश्व रिकॉर्ड बनाया, फिर अपनी दूसरी कोशिश में 68.08 मीटर के स्कोर से अपना पहले का वर्ल्ड रिकॉर्ड सुधारा. पांचवीं कोशिश में सुमित अंतिल ने इससे भी बेहतर थ्रो की. 68.55 मीटर के स्कोर के साथ सुमित ने गोल्ड मेडल जीता.
सड़क हादसे में गंवाया था एक पैर- सुमित अंतिल का जन्म 6 जुलाई 1998 को गांव खेवड़ा, सोनीपत में हुआ था. सुमित कुश्ती में अपना करियर बनाना चाहते थे और भारतीय सेना में शामिल होना चाहते थे. साल 2015 में जब वह एक दिन प्रैक्टिस से वापस लौट रहे थे तब उनकी मोटरसाइकिल को एक तेज रफ्तार ट्रक ने टक्कर मार दी थी. दुर्घटना के बाद उनके बायें पैर को घुटने के नीचे से काटना पड़ा था. इस दुर्घटना से पहले वह एक पहलवान थे. अपना एक पैर गंवाने के बाद सुमित ने कई महीने अस्पताल में गुजारे. साल 2016 में उन्हें पुणे में उन्हें कृत्रिम पैर लगाया गया. उनके कोच वीरेंद्र धनखड़ फिर उन्हें साई सेंटर से दिल्ली लेकर पहुंचे. साल 2018 में एशियन चैंपियनशिप में सुमित को जैवलिन थ्रो में 5वीं रैंक मिली. अगले साल 2019 में वर्ल्ड चैंपियनशिप में उन्होंने रजत पदक जीता. इसके बाद नेशनल गेम्स में सुमित ने गोल्ड जीतकर खुद को साबित किया. वहीं बीते साल ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतकर सुमित ने इतिहास रच दिया. बता दें कि, सुमित ने टोक्यो पैरालिंपिक में पुरुषों की भाला फेंक एफ-64 वर्ग में स्वर्ण पदक जीता था. एफ-64 स्पर्धा में एक पैर गंवा चुके एथलीट कृत्रिम अंग (पैर) के साथ खड़े होकर हिस्सा लेते हैं.
कौन हैं ओमप्रकाश गांधी
गुर्जर कन्या विद्या मंदिर के संस्थापक ओम प्रकाश पोसवाल गांधी (OM Prakash Gandhi Padma shri award) का जन्म यमुनानगर के माधोबांस गांव में एक किसान परिवार में हुआ. इनके पिता का नाम रणजीत सिंह और माता का नाम श्रीमती कमला देवी है. अपने विद्यार्थी काल में महर्षि दयानंद सरस्वती के व्यक्तित्व व कृतित्व का ऐसा गहरा प्रभाव हुआ कि एक साधारण युवक ने असाधारण संकल्प लेकर समाज को दिशा देने का प्रयास शुरू किया. MSC. भौतिकी करने के बाद ये सहारनपुर उत्तर प्रदेश के एक महाविद्यालय में प्रवक्ता पद पर प्रतिष्ठित हुए और वहां से स्वैच्छिक सेवानिवृति लेकर स्त्री शिक्षा के लिए कार्य शुरू किया.
हिमाचल के दो लोगों को पद्मश्री
विद्यानंद को लिटरेचर एंड एजुकेशन में पद्मश्री पुरस्कार
गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर गृह मंत्रालय की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार हिमाचल के विद्यानंद सरैक को पद्मश्री से सम्मानित करने का ऐलान किया गया है. कवि, गीतकार, गायक और शिक्षाविद हैं. उन्हें संगीत नाटक अकादमी अवार्ड समेत कई पुरस्कार मिल चुके हैं. वहीं, ललिता वकील चंबा रुमाल बनाने के लिए काफी प्रसिद्ध हैं और उन्हें भी इससे पूर्व कई राष्ट्रीय अवार्ड मिल चुके हैं. विद्यानंद सरैक को लिटरेचर एंड एजुकेशन में पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा जाएगा.
लोक संगीत के क्षेत्र में सिरमौर जिला से ताल्लुक रखने वाले विख्यात लोक कलाकार विद्यानंद सरैक को पदमश्री पुरस्कार के लिए घोषित किया गया है. मंगलवार शाम को विद्यानंद सरैक के नाम का पदमश्री पुरस्कार के लिए एलान हुआ. 26 जुलाई 1941 में जन्मे लोक कलाकार विद्यानंद सरैक ने एक बार फिर न केवल जिला सिरमौर बल्कि हिमाचल प्रदेश का मान भी बढ़ाया है. विद्यानंद सरैक मूलतः सिरमौर जिला के उपमंडल राजगढ़ के देवठी मझगांव के रहने वाले है. लोक संस्कृति के संरक्षक विद्यानंद सरैक को इससे पहले राष्ट्रीय संगीत एवं नाट्य अकादमी द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है.
ललिता वकील को पद्मश्री सम्मान
वहीं, ललिता वकील को भी पद्मश्री से सम्मानित करने का एलान किया गया है. हुनर की धनी ललिता वकील ने सरकारी नौकरी की चाह छोड़ कर कला के संरक्षण और संवर्धन का जिम्मा उठाया है. बता दें कि चंबा रूमाल को देश-विदेश में ख्याति दिलाने के लिए ललिता को तीन बार राष्ट्रपति अवॉर्ड मिल चुका है. गरीब घर में पैदा हुई होनहार बेटी की शादी चंबा में डॉक्टर फैमिली में हुई ललिता के पति पेशे से डॉक्टर हैं और उन्होंने कभी भी ललिता को चंबा रुमाल (Chamba Rumal) के कार्य में नहीं रोका.आज चंबा रुमाल किसी पहचान का मौहताज नहीं है. चंबा रुमाल को वर्ल्ड फेमस करने का श्रेय माहेश्वरी देवी के बाद ललिता वकील को जाता है. इस बेजोड़ कला को देश-दुनिया में पहचान दिलाने के लिए ललिता तीन बार राष्ट्रपति के हाथों सम्मानित हो चुकी हैं.
MP की 5 हस्तियों को पद्म श्री, 3 को कला, 1 को साहित्य और भोपाल के प्रसिद्ध डॉ. एनपी मिश्रा को मरणोपरांत मिलेगा सम्मान
डॉ.एनपी मिश्रा को मरणोपरांत पद्मश्री सम्मान
चिकित्सकीय जगत के भीष्म पितामह और चिकित्सकों के संरक्षक का जाने जाने वाले डॉ. एनपी मिश्रा गांधी मेडिकल कॉलेज के डीन रहे हैं. उन्होंने अपनी एमबीबीएस की पढ़ाई भी गांधी मेडिकल कॉलेज से की थी, फिर कॉलेज के मेडिसिन विभाग के प्रमुख बने.वो अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त फिजिशयन थे. भोपाल गैस त्रासदी के समय डॉ.एनपी मिश्रा ने अपनी सूझबूझ का परिचय देते हुए कम समय में ऐसी व्यवस्था जमाई कि 10 हजार 7 सौ पीड़ितों का हमीदिया में इलाज संभव हो सकता था. सन 1992 में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिसिन ने उन्हें प्रतिष्ठित सर्वोच्च सम्मान डॉ. बीसी राय अवार्ड से अलंकृत किया था. 1995 में एसोसिएशन आफ फिजीशियंस ऑफ इंडिया ने गिफ्टेड टीचर अवार्ड से सम्मानित किया था. सन 1992 में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिसिन ने उन्हें प्रतिष्ठित सर्वोच्च सम्मान डाॅ बीसी राय अवार्ड से अलंकृत किया था. डॉ. एनपी मिश्रा 1995 में एसोसिएशन आफ फिजीशियंस ऑफ इंडिया ने गिफ्टेड टीचर अवार्ड से सम्मानित हुए थे. बीते साल शिक्षक दिवस के दिन उनका निधन हो गया था.
लोककथा की चित्रकारी के लिए जानी जाती हैं दुर्गा बाई
दुर्गाबाई की चित्रकारी की विशेषता उनकी कथा कहने की क्षमता है. उनके चित्र अधिकांशत: गोंड प्रधान समुदाय के देवकुल से लिए गए हैं. दुर्गाबाई को लोककथाओं को चित्रित करने में भी आनंद आता है. इसके लिए वह अपनी दादी की आभारी हैं, जिन्होंने उन्हें अनेक कहानियां सुनाई थीं. दुर्गाबाई की कृति उनके जन्म स्थान बुरबासपुर, मध्यप्रदेश के मंडला जिले के गांव पर आधारित है. दुर्गाबाई जब महज छह साल की थीं तभी से उन्होंने अपनी माता के बगल में बैठकर डिगना की कला सीखी जो शादी-विवाहों और उत्सवों के मौकों पर घरों की दीवारों और फर्शों पर चित्रित किए जाने वाली परंपरागत चित्रकारी है. (Padma Award 2022) (Padma Shri to 5 celebrities of MP)
बिहार के आचार्य चंदना जी और शैबाल गुप्ता (मरणोपरांत) को मिला पद्मश्री
शैबाल गुप्ता को मिला पद्मश्री
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रसिद्ध अर्थशास्त्री, सेंटर फॉर इकोनामिक पॉलिसी एंड पब्लिक फाइनेंस के पूर्व निदेशक और आद्री के पूर्व सदस्य सचिव स्वर्गीय शैबाल गुप्ता को (मरणोपरांत) साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए पद्मश्री से सम्मानित किए जाने की घोषणा पर प्रसन्नता व्यक्त की है.
चंदना जी को पद्मश्री सम्मान
वहीं, मुख्यमंत्री ने आचार्य चंदना जी को सामाजिक कार्य के क्षेत्र में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए पद्मश्री सम्मान मिलने की घोषणा होने पर अपनी बधाई एवं शुभकामनाएं दी हैं. दिवंगत शैबाल गुप्ता नीतीश कुमार के काफी नजदीकी थे. शैबाल गुप्ता आर्थिक सर्वेक्षण से लेकर बिहार सरकार को आर्थिक रिपोर्ट तैयार करने में हमेशा मदद करते रहे. यहां तक की शराबबंदी का कितना असर समाज और आर्थिक गतिविधियों पर पड़ा उसका भी सर्वे शैबाल गुप्ता के माध्यम से मुख्यमंत्री ने कराया था.
शिक्षाविद् गिरधारी राम गौंझू को मरणोपरांत पद्मश्री
प्रख्यात शिक्षाविद्, नागपुरी साहित्यकार व संस्कृतिकर्मी गिरधारी राम गौंझू रांची विवि जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा विभाग के पूर्व अध्यक्ष थे. इनका जन्म पांच दिसंबर 1949 को खूंटी के बेलवादाग गांव में हुआ था. इनके पिता का नाम इंद्रनाथ गौंझू व मां का नाम लालमणि देवी था. ये रांची के हरमू कॉलोनी में रहते थे. डॉ गौंझू रांची विवि स्नातकोत्तर जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा विभाग में दिसंबर 2011 में बतौर अध्यक्ष के रूप में सेवानिवृत्त हुए. डॉ गौंझू एक मंझे हुए लेखक रहे. इनकी अब तक 25 से भी पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं.
इसके अलावा कई नाटकें भी उन्होंने लिखी हैं. पिछले साल कोरोना के दूसरे वेब के दौरान सांस लेने में तकलीफ की शिकायत के बाद परिवार वाले उनको लेकर रांची के 7 अस्पतालों में गए थे लेकिन उन्हें बेड नहीं मिल पाया था. परिजन उनको लेकर राज अस्पताल, गुरु नानक अस्पताल, मेडिका, सैंटीमीटर आर्किड और चैंफूड लेकर घूमते रहे. लेकिन उन्हें बेड नहीं मिला था. अंत में उन्हें रिम्स लाया गया जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया. इलाज में बरती गई इस लापरवाही पर झारखंड के तत्कालीन राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने भी नाराजगी व्यक्त की थी. पद्मश्री से सम्मानित किए जाने को लेकर शिक्षाविद् साहित्यकार संस्कृति कर्मियों और बुद्धिजीवियों ने प्रसन्नता जाहिर की है. रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय भाषा विभाग के तमाम शिक्षक कर्मचारियों और छात्रों के अलावे विश्वविद्यालय के कुलपति और तमाम प्रशासनिक पदाधिकारियों ने खुशी जाहिर की है.
कौन हैं सुंदर पिचाई और सत्या नडेला
पद्म भूषण सम्मान भारतीय मूल के अमेरिकी उद्योगपतियों- सुंदर पिचाई (Sundar Pichai) और सत्या नडेला (satya nadela) को भी दिया जाएगा. सुंदर पिचाई गूगल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं. सुंदर पिचाई ने 2020 में स्नातक किया था. अगस्त, 2015 भारत में जन्मे सुंदर पिचाई गूगल के सीईओ बने थे. गूगल के शीर्ष पद पर पहुंचने के बाद के बाद पिचाई ने कई अहम फैसले लिए. मई, 2021 में कोविड-19 की दूसरी लहर से लड़ने में सहयोग देने के लिए अमेरिकी कंपनियों के वैश्विक कार्यबल की संचालन समिति में भी सुंदर पिचाई को शामिल किया गया था. यह कार्यबल उद्योग जगत की पहल पर बनाया गया है जिसमें कंपनियां भारत को कोरोना वायरस से लड़ने में मदद पहुंचा रही हैं. पिचाई के सीईओ बनने के बाद दिसंबर, 2016 में गूगल ने घोषणा की कि 2017 से यह अपने डेटा केंद्रों और कार्यालयों में 100% नवीकरणीय ऊर्जा पर काम करेगा. सितंबर, 2017 में गूगल और एचटीसी कॉर्पोरेशन में समझौता हुआ. गूगल ने ताइवान स्थित एचटीसी कॉर्पोरेशन के मोबाइल डिवीजन टीम के हिस्से को 1.1 अरब डॉलर में हासिल करने की घोषणा की.
सत्या नडेला माइक्रोसॉफ्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) हैं. नडेला ने जनवरी, 2021 में कहा था कि दुनियाभर में 20 करोड़ से भी अधिक विद्यार्थी एवं शिक्षक रिमोट लर्निंग के लिए फिलहाल माइक्रोसॉफ्ट एजुकेशन प्रोडक्ट्स पर ही भरोसा करते हैं. इतना ही नहीं, माइक्रोसॉफ्ट एआई के क्षेत्र में भी बेहतरीन उपकरण, फ्रेमवर्क और इन्फ्रास्ट्रक्चर देती है. अप्रैल, 2020 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कोरोना वायरस के कारण चुनौतियों से जूझ रही अमेरिकी अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए कॉरपोरेट जगत के अग्रणी लोगों के एक समूह बनाया था. इस ग्रुप में नडेला और पिचाई के अलावा भारतीय मूल के छह लोगों को शामिल किया गया था.
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