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Gaganyaan : क्या है गगनयान मिशन, क्या भारत का भी होगा अपना अंतरिक्ष स्टेशन, जानें

भारत का गगनयान मिशन पूरी तरह से तैयार है. 21 अक्टूबर को इसकी पहली टेस्टिंग होगी. कुल चार टेस्टिंग होनी है. अगर यह मिशन सफल हो गया, तो भारत अपने यान में अंतरिक्ष यात्री को स्पेस भेज सकेगा. इतना ही नहीं भारत अंतरिक्ष में अपना स्टेशन भी बना सकता है. क्या है यह मिशन, इसे विस्तार से समझें. know about Gaganyaan mission, Gaganyaan and space India, ISRO Gaganyaan mission

Gaganyan
गगनयान
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 19, 2023, 6:33 PM IST

नई दिल्ली : भारत के महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन की शुरुआत 21 अक्टूबर से हो रही है. इस मिशन के तहत पृथ्वी की सबसे निचली कक्षा (एलईओ) में अंतरिक्ष यात्री को सुरक्षित तरीके से ले जाना और फिर उसे सफलतापूर्वक वापस लाना शामिल है. स्वदेशी तकनीक से बने भारतीय यान के जरिए इस मिशन को पूरा किया जाएगा. हालांकि, मानव मिशन भेजने से पहले इसकी चार चरणों में टेस्टिंग होगी. टेस्टिंग का पहला फेज 21 अक्टूर से शुरू हो रहा है.

  • Reviewed the readiness of the Gaganyaan Mission and also reviewed other aspects relating to India’s space exploration efforts.

    India’s strides in the space sector over the past few years have been commendable and we are building on them for more successes. This includes the… pic.twitter.com/8Fi6WAxpoc

    — Narendra Modi (@narendramodi) October 17, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

चार टेस्ट उड़ान - गगनयान मिशन की पहली टेस्ट उडा़न 21 अक्टूबर को होगी. इसे टेस्ट व्हीकल अबॉर्ट मिशन-1 नाम दिया गया है. इसके बाद दूसरी टेस्ट उड़ान डी-2, तीसरी टेस्ट उड़ान डी-3 और चौथी टेस्ट उड़ान डी-4 भेजी जाएंगी.

बंगाल की खाड़ी में होगी लैंडिंग - इसे श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से इसे छोड़ा जाएगा. इस मिशन के तहत क्रू मॉड्यूल को बाहरी स्पेस तक भेजा जाएगा, उसके बाद उसे फिर से वापस लाया जाएगा. लैंडिंग बंगाल की खाड़ी में होगी. नौसेना की मदद से इसे रिकवर किया जाएगा. अगर यह मिशन सफल हो गया, तो भारत अपने यान में एस्ट्रोनॉट को आउटर स्पेस तक भेज सकता है.

धरती से 400 किमी ऊपर तक जाएगा यान - जिस केबिन के अंदर एस्ट्रोनॉट़ को बिठाया जाता है, उसे ही क्रू मॉडल कहते हैं. आम तौर पर जब हम आउटर स्पेस की बात करते हैं तो इसका अर्थ होता है धरती से 400 किलोमीटर ऊपर तक जाना और फिर उस ऊंचाई से धरती का चक्कर काटना. केबिन में सभी फैसिलिटी उपलब्ध होती है. जैसे- टॉयलेट, फूड स्टोरेज, नेविगेशन सिस्टम वगैरह. केबिन के भीतर अंतरिक्ष के रेडिएशन का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है.

  • #ISRO के साथ पीएम की रिव्यू मीटिंग:

    👉🏽 भारत 2040 तक चंद्रमा पर मानव भेजेगा।

    👉🏽 भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन 2035 तक स्थापित किया जाएगा।

    👉🏽 मंगल ग्रह लैंडर और वीनस ऑर्बिटर मिशन।

    👉🏽 गगनयान मिशन के लिए ह्यूमन रेटेड लॉन्च व्हीकल (HLVM3) तैयार किए जा रहे हैं।

    👉🏽 इसी HLVM3 से 2025 में… pic.twitter.com/y7qQPeDbUh

    — Ankit Kumar Avasthi (@kaankit) October 17, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

किस तरह से अंतरिक्ष यात्री की होगी लैंडिंग - इसमें मुख्य रूप से दो सिस्टम होते हैं. क्रू मॉड्यूल और क्रू एस्केप सिस्टम. लैंडिंग से पहले एबॉर्ट सिक्वेंस की प्रक्रिया शुरू होती है. धरती से 17 किलोमीटर की ऊंचाई पर सिक्वेंस शुरू होती है, उसके बाद लैंडिंग की प्रक्रिया शुरू होती है. इस समय क्रू एस्केप सिस्टम मदद करेगा और पैराशूट की मदद से एस्ट्रोनॉट नीचे उतर सकेगा.

रोबोट को भेजने के बाद इंसान को भेजा जाएगा - इस मिशन के सफल होने के बाद टेस्ट के दूसरे चरण में अनमैंड मिशन की शुरुआत होगी. मिशन में इंसान की जगह पर किसी रोबोट या इंसानी शक्ल से मिलते जुलते मशीन को बिठाया जाएगा. यदि यह मिशन भी सफल हो गया, तब किसी इंसान को स्पेस में भेजा जा सकेगा.

  • #WATCH दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गगनयान मिशन की प्रगति का आकलन करने और भारत के अंतरिक्ष अन्वेषण प्रयासों के भविष्य की रूपरेखा तैयार करने के लिए उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। pic.twitter.com/5NSaXMfz6x

    — ANI_HindiNews (@AHindinews) October 17, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

मिशन को लेकर क्या कहा इसरो ने - गगन यान मिशन भारत का पहला मानव स्पेस मिशन है. इसके तहत तीन सदस्यों को अंतरिक्ष में 400 किमी की ऊंचाई तक भेजा जाएगा. इसके बाद उनकी सुरक्षित वापसी करवाई जाएगी. अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत ऐसा चौथा देश होगा, जो यह उपलब्धि हासिल करेगा.

इस मिशन से क्या फायदा होगा - इसरो के अनुसार सोलर सिस्टम को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिलेगी. रोबोट कार्यक्रम को नया बल मिलेगा. इनोवेशन के क्षेत्र में प्रगति मिलेगी. नए छात्रों को प्रेरणा मिलेगी. हम वैश्विक अंतरिक्ष स्टेशन के विकास में योगदान दे सकेंगे. विकास और उद्योग की साझेदारी बढ़ेगी. शक्तिशाली विदेश नीति उपकरण को बल मिलेगा.

भारत भी स्थापित कर सकता है अंतरिक्ष स्टेशन - भविष्य में भारत भी अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना पर विचार कर सकता है. उस पर पड़ने वाले प्रभावों का विस्तार से अध्ययन किया जाएगा. भारत का अंतरिक्ष स्टेशन मौलिक होगा और इसका उपयोग वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान के लिए किया जा सकेगा.

मिशन की कुल कितनी है लागत - गगनयान कार्यक्रम की कुल लागत 9023 करोड़.

मिशन में किनका साथ मिल रहा है

  • भारतीय सशस्त्र बल
  • रक्षा अनुसंधान विकास संगठन
  • भारतीय समुद्री एजेंसियां ​​- भारतीय नौसेना, भारतीय तटरक्षक बल, भारतीय नौवहन निगम, राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान, राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान
  • भारतीय मौसम विभाग
  • सीएसआईआर लैब्स
  • शैक्षणिक संस्थान
  • उद्योग भागीदार

अंतरिक्ष यात्री का चयन - पाललटों के पूल से सिलेक्शन किया जाएगा. फिटनेस, उड़ान अनुभव, साइकोलॉजिकल और एरोमेडिकली फिट होने चाहिए. इसरो और वायुसेना की राय महत्वपूर्ण.

  • गगनयान कार्यक्रम के लिए आवश्यक प्रमुख नई प्रौद्योगिकियां
  • मानव रेटेड प्रक्षेपण यान
  • क्रू एस्केप सिस्टम
  • रहने योग्य कक्षीय मॉड्यूल
  • लाइफ सपोर्ट सिस्टम
  • क्रू चयन और प्रशिक्षण और संबद्ध क्रू प्रबंधन गतिविधियां

रीयल ह्युमन स्पेस फ्लाई मिशन को सफल बनाने के लिए पूर्ववर्ती मिशनों को सफल बनाया जाएगा. इसमें इंटीग्रेटेड एयर ड्रॉप टेस्ट, पैड एबॉर्ट टेस्ट और टेस्ट व्हीकल उड़ानें शामिल हैं.

ये भी पढ़ें : Gaganyaan mission: गगनयान मिशन में अंतरिक्ष यात्रियों के लिए क्रू मॉड्यूल और केबिन शामिल : अंतरिक्ष विशेषज्ञ

नई दिल्ली : भारत के महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन की शुरुआत 21 अक्टूबर से हो रही है. इस मिशन के तहत पृथ्वी की सबसे निचली कक्षा (एलईओ) में अंतरिक्ष यात्री को सुरक्षित तरीके से ले जाना और फिर उसे सफलतापूर्वक वापस लाना शामिल है. स्वदेशी तकनीक से बने भारतीय यान के जरिए इस मिशन को पूरा किया जाएगा. हालांकि, मानव मिशन भेजने से पहले इसकी चार चरणों में टेस्टिंग होगी. टेस्टिंग का पहला फेज 21 अक्टूर से शुरू हो रहा है.

  • Reviewed the readiness of the Gaganyaan Mission and also reviewed other aspects relating to India’s space exploration efforts.

    India’s strides in the space sector over the past few years have been commendable and we are building on them for more successes. This includes the… pic.twitter.com/8Fi6WAxpoc

    — Narendra Modi (@narendramodi) October 17, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

चार टेस्ट उड़ान - गगनयान मिशन की पहली टेस्ट उडा़न 21 अक्टूबर को होगी. इसे टेस्ट व्हीकल अबॉर्ट मिशन-1 नाम दिया गया है. इसके बाद दूसरी टेस्ट उड़ान डी-2, तीसरी टेस्ट उड़ान डी-3 और चौथी टेस्ट उड़ान डी-4 भेजी जाएंगी.

बंगाल की खाड़ी में होगी लैंडिंग - इसे श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से इसे छोड़ा जाएगा. इस मिशन के तहत क्रू मॉड्यूल को बाहरी स्पेस तक भेजा जाएगा, उसके बाद उसे फिर से वापस लाया जाएगा. लैंडिंग बंगाल की खाड़ी में होगी. नौसेना की मदद से इसे रिकवर किया जाएगा. अगर यह मिशन सफल हो गया, तो भारत अपने यान में एस्ट्रोनॉट को आउटर स्पेस तक भेज सकता है.

धरती से 400 किमी ऊपर तक जाएगा यान - जिस केबिन के अंदर एस्ट्रोनॉट़ को बिठाया जाता है, उसे ही क्रू मॉडल कहते हैं. आम तौर पर जब हम आउटर स्पेस की बात करते हैं तो इसका अर्थ होता है धरती से 400 किलोमीटर ऊपर तक जाना और फिर उस ऊंचाई से धरती का चक्कर काटना. केबिन में सभी फैसिलिटी उपलब्ध होती है. जैसे- टॉयलेट, फूड स्टोरेज, नेविगेशन सिस्टम वगैरह. केबिन के भीतर अंतरिक्ष के रेडिएशन का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है.

  • #ISRO के साथ पीएम की रिव्यू मीटिंग:

    👉🏽 भारत 2040 तक चंद्रमा पर मानव भेजेगा।

    👉🏽 भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन 2035 तक स्थापित किया जाएगा।

    👉🏽 मंगल ग्रह लैंडर और वीनस ऑर्बिटर मिशन।

    👉🏽 गगनयान मिशन के लिए ह्यूमन रेटेड लॉन्च व्हीकल (HLVM3) तैयार किए जा रहे हैं।

    👉🏽 इसी HLVM3 से 2025 में… pic.twitter.com/y7qQPeDbUh

    — Ankit Kumar Avasthi (@kaankit) October 17, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

किस तरह से अंतरिक्ष यात्री की होगी लैंडिंग - इसमें मुख्य रूप से दो सिस्टम होते हैं. क्रू मॉड्यूल और क्रू एस्केप सिस्टम. लैंडिंग से पहले एबॉर्ट सिक्वेंस की प्रक्रिया शुरू होती है. धरती से 17 किलोमीटर की ऊंचाई पर सिक्वेंस शुरू होती है, उसके बाद लैंडिंग की प्रक्रिया शुरू होती है. इस समय क्रू एस्केप सिस्टम मदद करेगा और पैराशूट की मदद से एस्ट्रोनॉट नीचे उतर सकेगा.

रोबोट को भेजने के बाद इंसान को भेजा जाएगा - इस मिशन के सफल होने के बाद टेस्ट के दूसरे चरण में अनमैंड मिशन की शुरुआत होगी. मिशन में इंसान की जगह पर किसी रोबोट या इंसानी शक्ल से मिलते जुलते मशीन को बिठाया जाएगा. यदि यह मिशन भी सफल हो गया, तब किसी इंसान को स्पेस में भेजा जा सकेगा.

  • #WATCH दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गगनयान मिशन की प्रगति का आकलन करने और भारत के अंतरिक्ष अन्वेषण प्रयासों के भविष्य की रूपरेखा तैयार करने के लिए उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। pic.twitter.com/5NSaXMfz6x

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मिशन को लेकर क्या कहा इसरो ने - गगन यान मिशन भारत का पहला मानव स्पेस मिशन है. इसके तहत तीन सदस्यों को अंतरिक्ष में 400 किमी की ऊंचाई तक भेजा जाएगा. इसके बाद उनकी सुरक्षित वापसी करवाई जाएगी. अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत ऐसा चौथा देश होगा, जो यह उपलब्धि हासिल करेगा.

इस मिशन से क्या फायदा होगा - इसरो के अनुसार सोलर सिस्टम को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिलेगी. रोबोट कार्यक्रम को नया बल मिलेगा. इनोवेशन के क्षेत्र में प्रगति मिलेगी. नए छात्रों को प्रेरणा मिलेगी. हम वैश्विक अंतरिक्ष स्टेशन के विकास में योगदान दे सकेंगे. विकास और उद्योग की साझेदारी बढ़ेगी. शक्तिशाली विदेश नीति उपकरण को बल मिलेगा.

भारत भी स्थापित कर सकता है अंतरिक्ष स्टेशन - भविष्य में भारत भी अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना पर विचार कर सकता है. उस पर पड़ने वाले प्रभावों का विस्तार से अध्ययन किया जाएगा. भारत का अंतरिक्ष स्टेशन मौलिक होगा और इसका उपयोग वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान के लिए किया जा सकेगा.

मिशन की कुल कितनी है लागत - गगनयान कार्यक्रम की कुल लागत 9023 करोड़.

मिशन में किनका साथ मिल रहा है

  • भारतीय सशस्त्र बल
  • रक्षा अनुसंधान विकास संगठन
  • भारतीय समुद्री एजेंसियां ​​- भारतीय नौसेना, भारतीय तटरक्षक बल, भारतीय नौवहन निगम, राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान, राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान
  • भारतीय मौसम विभाग
  • सीएसआईआर लैब्स
  • शैक्षणिक संस्थान
  • उद्योग भागीदार

अंतरिक्ष यात्री का चयन - पाललटों के पूल से सिलेक्शन किया जाएगा. फिटनेस, उड़ान अनुभव, साइकोलॉजिकल और एरोमेडिकली फिट होने चाहिए. इसरो और वायुसेना की राय महत्वपूर्ण.

  • गगनयान कार्यक्रम के लिए आवश्यक प्रमुख नई प्रौद्योगिकियां
  • मानव रेटेड प्रक्षेपण यान
  • क्रू एस्केप सिस्टम
  • रहने योग्य कक्षीय मॉड्यूल
  • लाइफ सपोर्ट सिस्टम
  • क्रू चयन और प्रशिक्षण और संबद्ध क्रू प्रबंधन गतिविधियां

रीयल ह्युमन स्पेस फ्लाई मिशन को सफल बनाने के लिए पूर्ववर्ती मिशनों को सफल बनाया जाएगा. इसमें इंटीग्रेटेड एयर ड्रॉप टेस्ट, पैड एबॉर्ट टेस्ट और टेस्ट व्हीकल उड़ानें शामिल हैं.

ये भी पढ़ें : Gaganyaan mission: गगनयान मिशन में अंतरिक्ष यात्रियों के लिए क्रू मॉड्यूल और केबिन शामिल : अंतरिक्ष विशेषज्ञ

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