मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay high court) के न्यायमूर्ति अनुजा प्रभुदेसाई ने उस व्यक्ति की जमानत याचिका पर निर्देश पारित किया जिसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 377 (अप्राकृतिक अपराध) और धारा 8 (यौन हमला) और 12 (यौन उत्पीड़न) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी. कोर्ट ने चुंबन को अप्राकृतिक यौन अपराध नहीं माना और आरोपी को जमानत दे दी.
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो लड़के के पिता ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी. शिकायत में कहा गया है कि 17 अप्रैल 2021 को उसके माता-पिता को अलमारी से कुछ पैसे गायब मिले. पूछताछ करने पर उन्हें पता चला कि उनके बेटे ने एक ऑनलाइन गेम खेला था और ऐप को रिचार्ज करने के लिए एक आदमी को पैसे दिए. बेटे ने उन्हें बताया कि उस व्यक्ति ने उसका यौन शोषण किया था.
अपने 5 मई के आदेश में न्यायमूर्ति प्रभुदेसाई ने कहा कि पीड़िता के बयान के साथ-साथ पहली सूचना रिपोर्ट प्रथम दृष्टया संकेत देती है कि आवेदक ने पीड़िता के निजी अंगों को छुआ था और उसके होंठों को चूमा था. मेरे विचार से यह प्रथम दृष्टया भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के तहत अपराध नहीं होगा. धारा 377 में कहा गया है कि जो कोई भी बिना स्वेच्छा से किसी पुरुष, महिला या जानवर के साथ शारीरिक संबंध बनाता है तो उसे 10 साल तक की कैद या आजीवन कारावास और जुर्माना भी हो सकता है.
न्यायाधीश ने अभियोजक रुतुजा आंबेकर से सवाल किया कि प्राथमिकी में बयान के अलावा धारा 377 के आवेदन को दिखाने के लिए क्या सामग्री है. क्योंकि लड़के की मेडिकल जांच रिपोर्ट इसका समर्थन नहीं करती है. न्यायमूर्ति प्रभुदेसाई ने कहा कि पोक्सो की धारा 8 और 12 के तहत अपराध में अधिकतम 5 साल तक की कैद की सजा हो सकती है. आवेदक लगभग एक साल से हिरासत में है. आरोप अभी तय नहीं हुआ है और निकट भविष्य में मुकदमा शुरू होने की संभावना नहीं है.
उपरोक्त तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए आवेदक जमानत का हकदार है. कोर्ट ने आवेदक को 15000 रुपये के दो निजी मुचलके जमानत के साथ जमा करने का निर्देश दिया. वह हर दो महीने में एक बार पुलिस स्टेशन को रिपोर्ट करेगा. शिकायतकर्ता पिता और अन्य गवाहों के साथ हस्तक्षेप नहीं करेगा. न ही सबूतों से छेड़छाड़ करेगा या शिकायतकर्ता, गवाहों या मामले से संबंधित किसी भी व्यक्ति से संपर्क करने का प्रयास करेगा. उसका पता और संपर्क नंबर उसने निर्देशित किया. एचसी ने अपनी जमानत याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि आवेदक मुकदमे के संचालन में सहयोग करेगा और सभी तारीखों पर ट्रायल कोर्ट में उपस्थित होगा.