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आंदोलन के बीच बच्चों की शिक्षा भी अहम, सुर्खियों में किसानों की यह पहल - बच्चों को शिक्षा

टिकरी बॉर्डर आंदोलन स्थल पर किसानों ने अस्थाई स्कूल तैयार किया है. इसे किसान स्कूल का नाम दिया गया है. यहां आसपास के तकरीबन 50 बच्चें रोजाना पढ़ने के लिए आते हैं. किसानों की इस पहल को खूब सराहा भी जा रहा है.

kissan school
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Published : Mar 15, 2021, 7:36 AM IST

चंडीगढ़ : हरियाणा के टिकरी बॉर्डर पर किसानों ने एक बेहतरीन प्रयास किया है. किसानों ने बॉर्डर पर ही एक छोटा सा स्कूल तैयार कर दिया है. इस स्कूल में आसपास के बच्चों को हर रोज शिक्षा दी जा रही है. करीब एक महीने से किसान स्कूल में बच्चों को शिक्षा मुहैया करवाई जा रही है.

खास बात ये है कि किसान खुद अपने खर्चे पर इन मासूम बच्चों को शिक्षा मुहैया करा रहे हैं. इतना ही नहीं, खाने-पीने से लेकर उनकी कॉपी-किताबें, पेंसिल के अलावा तमाम सुविधाएं किसान इन बच्चों को दे रहे हैं. बच्चें और उनके अभिभावक भी किसानों के इस प्रयास से बेहद खुश नजर आ रहे हैं.

टिकरी बॉर्डर पर किसानों ने शुरू की बच्चों की पाठशाला, देखें वीडियो

ये भी पढे़ं : पंजाब : बॉर्डर पर दिखा ड्रोन, बीएसएफ जवानों की फायरिंग के बाद वापस पाकिस्तान लौटा

किसान स्कूल में बच्चों का कहना है कि उन्हें हर रोज 2 से 3 घंटे क्लास दी जाती है. जिसमें हर सब्जेक्ट को पढ़ाया जाता है. आसपास के गरीब बच्चों को किसानों द्वारा शिक्षा देने की सराहना चारों तरफ हो रही है.

बच्चों को शिक्षा मुहैया कराने वाले किसान अनूप कुमार का कहना है कि जिस तरह से सरकार कृषि कानूनों को लागू करने की जिद पर अड़ी हुई है. तो यह देख कर उन्हें लगता है कि सरकार अभी कृषि कानून को रद्द करने वाली नहीं है. जिसके चलते किसानों ने भी लंबी लड़ाई लड़ने का निर्णय पहले से ही ले रखा है. यही कारण है कि उन्होंने अस्थाई स्कूल शुरू किया है.

ये भी पढ़ें : उत्तराखंड में किसान महापंचायत, नरेश टिकैत बोले- वापस हो तीनों कृषि कानून

चंडीगढ़ : हरियाणा के टिकरी बॉर्डर पर किसानों ने एक बेहतरीन प्रयास किया है. किसानों ने बॉर्डर पर ही एक छोटा सा स्कूल तैयार कर दिया है. इस स्कूल में आसपास के बच्चों को हर रोज शिक्षा दी जा रही है. करीब एक महीने से किसान स्कूल में बच्चों को शिक्षा मुहैया करवाई जा रही है.

खास बात ये है कि किसान खुद अपने खर्चे पर इन मासूम बच्चों को शिक्षा मुहैया करा रहे हैं. इतना ही नहीं, खाने-पीने से लेकर उनकी कॉपी-किताबें, पेंसिल के अलावा तमाम सुविधाएं किसान इन बच्चों को दे रहे हैं. बच्चें और उनके अभिभावक भी किसानों के इस प्रयास से बेहद खुश नजर आ रहे हैं.

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किसान स्कूल में बच्चों का कहना है कि उन्हें हर रोज 2 से 3 घंटे क्लास दी जाती है. जिसमें हर सब्जेक्ट को पढ़ाया जाता है. आसपास के गरीब बच्चों को किसानों द्वारा शिक्षा देने की सराहना चारों तरफ हो रही है.

बच्चों को शिक्षा मुहैया कराने वाले किसान अनूप कुमार का कहना है कि जिस तरह से सरकार कृषि कानूनों को लागू करने की जिद पर अड़ी हुई है. तो यह देख कर उन्हें लगता है कि सरकार अभी कृषि कानून को रद्द करने वाली नहीं है. जिसके चलते किसानों ने भी लंबी लड़ाई लड़ने का निर्णय पहले से ही ले रखा है. यही कारण है कि उन्होंने अस्थाई स्कूल शुरू किया है.

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