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हमारे धैर्य की परीक्षा न ले सरकार, मांगें मानें- किसान मोर्चा - अन्न दाताओं

एसकेएम ने बयान जारी कर कहा कि किसान आंदोलन में 470 से अधिक किसानों की मौत हो चुकी है. सरकार अगर अपने किसानों की चिंता करती है और उनका कल्याण चाहती है तो उनकी मांगें माननी चाहिए.

किसान मोर्चा
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Published : May 20, 2021, 7:00 AM IST

नई दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी में हो रही बारिश के कारण बढ़ती मुश्किलों के बीच दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों के संगठन संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने बुधवार को केंद्र सरकार से कहा, हमारे धैर्य की परीक्षा नहीं लें, वार्ता की शुरुआत करें और हमारी मांगों को मान लें.

पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहित देश के विभिन्न हिस्से से हजारों की संख्या में किसान दिल्ली के तीन सीमा बिंदुओं सिंघू, टीकरी और गाजीपुर में करीब छह महीने से धरना दे रहे हैं. वे तीन कृषि कानूनों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं.

पढ़ें- टूलकिट मामला : नड्डा, स्मृति ईरानी समेत कई भाजपा नेताओं पर एफआईआर दर्ज

एसकेएम ने बयान जारी कर कहा, किसान आंदोलन में 470 से अधिक किसानों की मौत हो चुकी है. कई आंदोलनकारियों को अपनी नौकरियां, पढ़ाई एवं दूसरे काम छोड़ने पड़े और सरकार अपने नागरिकों, 'अन्न दाताओं' के प्रति ही कितना अमानवीय एवं लापरवाह रूख दिखा रही है. सरकार अगर अपने किसानों की चिंता करती और उनका कल्याण चाहती तो उसे किसानों से वार्ता शुरू करनी चाहिए व उनकी मांगें माननी चाहिए. इसने सरकार को चेतावनी दी कि 'किसानों के धैर्य की परीक्षा नहीं लें.'

प्रदर्शनकारी किसानों और सरकार के बीच अभी तक 11 दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन गतिरोध बना हुआ है क्योंकि दोनों पक्ष अपने रूख पर अड़े हुए हैं.

पढ़ें- पिनराई कैबिनेट में जानिए किन 11 सीपीआईएम नेताओं को मिली जगह

आंदोलनरत किसान संगठनों के समूह एसकेएम ने कहा, यह सरकार किसानों की हितैषी होने का 'बहाना' करती है और जब किसी राज्य में फसल के उत्पादन या निर्यात में बढ़ोतरी का 'पूरा श्रेय' लेती है तो इसे 'प्रत्येक नागरिक की क्षति और दूसरे नुकसानों' की जिम्मेदारी भी लेनी चाहिए, जो दिल्ली की सीमाओं पर हो रही है.

किसानों ने कहा, बारिश के कारण भोजन एवं आवास की स्थिति खराब हो रही है. सड़कें एवं प्रदर्शन स्थल के कई हिस्से बारिश के पानी से भर गए हैं.

नई दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी में हो रही बारिश के कारण बढ़ती मुश्किलों के बीच दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों के संगठन संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने बुधवार को केंद्र सरकार से कहा, हमारे धैर्य की परीक्षा नहीं लें, वार्ता की शुरुआत करें और हमारी मांगों को मान लें.

पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहित देश के विभिन्न हिस्से से हजारों की संख्या में किसान दिल्ली के तीन सीमा बिंदुओं सिंघू, टीकरी और गाजीपुर में करीब छह महीने से धरना दे रहे हैं. वे तीन कृषि कानूनों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं.

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एसकेएम ने बयान जारी कर कहा, किसान आंदोलन में 470 से अधिक किसानों की मौत हो चुकी है. कई आंदोलनकारियों को अपनी नौकरियां, पढ़ाई एवं दूसरे काम छोड़ने पड़े और सरकार अपने नागरिकों, 'अन्न दाताओं' के प्रति ही कितना अमानवीय एवं लापरवाह रूख दिखा रही है. सरकार अगर अपने किसानों की चिंता करती और उनका कल्याण चाहती तो उसे किसानों से वार्ता शुरू करनी चाहिए व उनकी मांगें माननी चाहिए. इसने सरकार को चेतावनी दी कि 'किसानों के धैर्य की परीक्षा नहीं लें.'

प्रदर्शनकारी किसानों और सरकार के बीच अभी तक 11 दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन गतिरोध बना हुआ है क्योंकि दोनों पक्ष अपने रूख पर अड़े हुए हैं.

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आंदोलनरत किसान संगठनों के समूह एसकेएम ने कहा, यह सरकार किसानों की हितैषी होने का 'बहाना' करती है और जब किसी राज्य में फसल के उत्पादन या निर्यात में बढ़ोतरी का 'पूरा श्रेय' लेती है तो इसे 'प्रत्येक नागरिक की क्षति और दूसरे नुकसानों' की जिम्मेदारी भी लेनी चाहिए, जो दिल्ली की सीमाओं पर हो रही है.

किसानों ने कहा, बारिश के कारण भोजन एवं आवास की स्थिति खराब हो रही है. सड़कें एवं प्रदर्शन स्थल के कई हिस्से बारिश के पानी से भर गए हैं.

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