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हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जजों की सेवा और सैलरी से जुड़ा विधेयक लोक सभा में पेश

संसद के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जजों की सेवा और सैलरी से जुड़ा विधेयक लोक सभा में पेश किया गया. विधेयक के कानून बनने के बाद उच्च न्यायपालिका के न्यायाधीशों के वेतन से जुड़े कानून में संशोधन होगा.

kiren rijiju in lok sabha sansad tv
लोक सभा में किरेन रिजिजू
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Published : Nov 30, 2021, 4:00 PM IST

Updated : Nov 30, 2021, 7:27 PM IST

नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने आज हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जजों की सेवा और सैलरी से जुड़ा विधेयक लोक सभा में पेश किया. संसद के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने हाईकोर्ट जजेस सैलरी एंड कंडिशंस ऑफ सर्विसेज एक्ट में संशोधन करने का प्रस्ताव करते हुए विधेयक लोक सभा में पेश किया.

उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय (वेतन एवं सेवा शर्त) संशोधन विधेयक 2021 में स्पष्ट किया गया है कि उच्च एवं उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों को पेंशन की अतिरिक्त मात्रा या परिवार पेंशन के लिये कोई हकदारी सदैव उस माह की पहली तारीख से होगी जब पेंशन भोगी या कुटुम्ब पेंशनभोगी निर्दिष्ट आयु पूरी कर लेता है.

उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश (वेतन और सेवा की शर्तें) संशोधन विधेयक, 2021 (The High Court and Supreme Court Judges (Salaries and Conditions of Service) Amendment Bill, 2021) के माध्यम से केंद्र सरकार ने उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के वेतन और सेवा की शर्तों में संशोधन का प्रस्ताव किया है.

किरेन रिजिजू ने पेश किया विधेयक

विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय (वेतन एवं सेवा शर्त) अधिनियम 2009 की 17ख एवं 16ख में क्रमश: अंत:स्थापित किया गया था जिसमें प्रत्येक सेवानिवृत्त न्यायाधीश या उनकी मृत्यु के पश्चात उसका कुटुम्ब उसमें निर्दिष्ट मान के अनुरूप पेंशन या कुटुम्ब पेंशन की अतिरिक्त मात्रा का हकदार होगा.

इसी के अनुसार, उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की पेंशन की अतिरिक्त मात्रा को यथास्थिति 80 वर्ष, 85 वर्ष 90 वर्ष और 100 वर्ष की आयु पूरी कर लेने पर मंजूर किया जा रहा है.

इसमें कहा गया है कि उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश देवेन्द्र दत्त ज्ञानी द्वारा दायर रिट याचिका में गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने 15 मार्च 2018 के अपने आदेश में कहा कि पूर्वोत्तर उच्च न्यायालय न्यायाधीश अधिनियम की धारा 17ख के अनुसार पहली श्रेणी में अतिरिक्त पेंशन की मात्रा का फायदा किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश को उनकी अस्सी वर्ष की आयु पूरी होने के पहले दिन से उपलब्ध होगा.

यह भी पढ़ें- Omicron Variant : लोक सभा में कोरोना के नए स्वरूप पर चर्चा कल

इसके बाद, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने भी भारत का उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय सेवानिवृत्त न्यायाधीश संघ द्वारा दायर रिट याचिका में 3 दिसंबर 2020 को दिये आदेश में इस संबंध में उल्लेख किया.

विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि पूर्वोत्तर अधिनियम की धारा 17ख एवं 16ख को अंत:स्थापित करने का विधायी आशय सेवानिवृत्त न्यायाधीश को उस मास की पहली तारीख से पेंशन की अतिरिक्त मात्रा का फायदा देना था जिसको वह मान के पहले स्तम्भ में निर्दिष्ट आयु पूरी कर लेता है.

(भाषा इनपुट)

नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने आज हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जजों की सेवा और सैलरी से जुड़ा विधेयक लोक सभा में पेश किया. संसद के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने हाईकोर्ट जजेस सैलरी एंड कंडिशंस ऑफ सर्विसेज एक्ट में संशोधन करने का प्रस्ताव करते हुए विधेयक लोक सभा में पेश किया.

उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय (वेतन एवं सेवा शर्त) संशोधन विधेयक 2021 में स्पष्ट किया गया है कि उच्च एवं उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों को पेंशन की अतिरिक्त मात्रा या परिवार पेंशन के लिये कोई हकदारी सदैव उस माह की पहली तारीख से होगी जब पेंशन भोगी या कुटुम्ब पेंशनभोगी निर्दिष्ट आयु पूरी कर लेता है.

उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश (वेतन और सेवा की शर्तें) संशोधन विधेयक, 2021 (The High Court and Supreme Court Judges (Salaries and Conditions of Service) Amendment Bill, 2021) के माध्यम से केंद्र सरकार ने उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के वेतन और सेवा की शर्तों में संशोधन का प्रस्ताव किया है.

किरेन रिजिजू ने पेश किया विधेयक

विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय (वेतन एवं सेवा शर्त) अधिनियम 2009 की 17ख एवं 16ख में क्रमश: अंत:स्थापित किया गया था जिसमें प्रत्येक सेवानिवृत्त न्यायाधीश या उनकी मृत्यु के पश्चात उसका कुटुम्ब उसमें निर्दिष्ट मान के अनुरूप पेंशन या कुटुम्ब पेंशन की अतिरिक्त मात्रा का हकदार होगा.

इसी के अनुसार, उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की पेंशन की अतिरिक्त मात्रा को यथास्थिति 80 वर्ष, 85 वर्ष 90 वर्ष और 100 वर्ष की आयु पूरी कर लेने पर मंजूर किया जा रहा है.

इसमें कहा गया है कि उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश देवेन्द्र दत्त ज्ञानी द्वारा दायर रिट याचिका में गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने 15 मार्च 2018 के अपने आदेश में कहा कि पूर्वोत्तर उच्च न्यायालय न्यायाधीश अधिनियम की धारा 17ख के अनुसार पहली श्रेणी में अतिरिक्त पेंशन की मात्रा का फायदा किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश को उनकी अस्सी वर्ष की आयु पूरी होने के पहले दिन से उपलब्ध होगा.

यह भी पढ़ें- Omicron Variant : लोक सभा में कोरोना के नए स्वरूप पर चर्चा कल

इसके बाद, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने भी भारत का उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय सेवानिवृत्त न्यायाधीश संघ द्वारा दायर रिट याचिका में 3 दिसंबर 2020 को दिये आदेश में इस संबंध में उल्लेख किया.

विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि पूर्वोत्तर अधिनियम की धारा 17ख एवं 16ख को अंत:स्थापित करने का विधायी आशय सेवानिवृत्त न्यायाधीश को उस मास की पहली तारीख से पेंशन की अतिरिक्त मात्रा का फायदा देना था जिसको वह मान के पहले स्तम्भ में निर्दिष्ट आयु पूरी कर लेता है.

(भाषा इनपुट)

Last Updated : Nov 30, 2021, 7:27 PM IST
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