शिमला: हिमाचल विधानसभा आज 68 बच्चों ने चलाई. सीएम से लेकर विधायक और विधानसभा सचिव और कार्यवाही का पूरा संचालन बच्चों ने ही किया. बच्चों ने इस सत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे कई मुद्दों को गंभीरता और स्पष्टता उठाकर इन पर सार्थक चर्चा भी की. यही वजह कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को भी कहना पड़ा कि बच्चों के उठाए कई मुद्दों पर उनकी सरकार गौर करेगी. हिमाचल विधानसभा के सत्र में एक इतिहास आज जुड़ गया जब बच्चों ने इसका संचालन किया. इसमें सीएम, नेता विपक्ष, विधानसभा अध्यक्ष, कैबिनेट मंत्री से लेकर विधायक की भूमिका बच्चों ने निभाई.
विधानसभा के सत्र में जाह्नवी ने सीएम की भूमिका निभाई तो नेता विपक्ष के तौर रूहानिका वर्मा ने बाल सत्र में हिस्सा लिया. लविश नेगी ने विधानसभा का अध्यक्ष बनकर कार्यवाही का संचालन किया. इसी तरह कैबिनेट मंत्री भी इन बच्चों में से बनाए गए. सुबह करीब साढ़े 10.30 बजे विधानसभा में राज्य उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह, सीएम सुखविंदर सिंह, विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया पहुंचे. इसके बाद विधानसभा का बाल सत्र सुबह 11 बजे शुरू हुआ जो कि करीब डेढ़ घंटे तक चला.
प्रश्न काल में बच्चों ने हिमाचल के कई अहम मुद्दे उठाए: विधानसभा के बाल सत्र का आरंभ में प्रश्नकाल हुआ जिसमें बाल सदस्यों कई अहम मुद्दों को रखा. स्वास्थ्य, शिक्षा, परिवहन, विकास के साथ-साथ आज के नशीले पदार्थों के बढ़ते सेवन पर भी बाल विधायकों ने सदन का ध्यान आकर्षित किया.
बाल विधायक अक्षरा ने सदन में पूछा कि हिमाचल में युवाओं के लिए करियर संस्थान कितने हैं और क्या सरकार 9वीं से 12वीं तक इस तरह की काउंसिल करवाने का विचार रख रही है. जिसके जवाब शिक्षा मंत्री कामाख्या ने देते हुआ कहा कि एक भी संस्थान ऐसा नहीं है जो कि करियर काउंसिल दे रहा हो.बाल विधायक आस्था ने पर्यावरण संरक्षण की ओर सदन का ध्यान आकर्षित किया और पूछा कि हिमाचल में वनों में कितने फीसदी बढ़ोतरी हुई है. पयार्वरण मंत्री परमजीत सिंह ने बताया कि बीते दो सालों में हिमाचल में 95 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र बढ़ा है. सरकार पर्यावरण संरक्षण के लिए कदम उठा रही है.
सदन में नशे पर जवाब से असंतुष्ट विपक्ष ने किया वॉकआउट: बाल विधायक तन्वी ने हिमाचल में नशे की ओर सदन का ध्यान आकर्षित किया और इसके लिए सरकार से कारगर कदम उठाने की मांग की. इस पर डिप्टी सीएम तुषार ने बताया कि सरकार नशे को खत्म करने के लिए काम कर रही है और युवाओं के लिए नशा मुक्ति केंद्र भी खोले गए हैं, लेकिन उनके जवाब से असंतुष्ट विपक्ष के सदस्यों ने कहा कि सरकार इस पर खानापूर्ति कर रही है. इसके चलते दोनों पक्षों में तीखी बहस भी हुई. विपक्ष के सदस्य सदन के बीच में आ गए और नारेबाजी करने लगे और इसके बाद सदन से वॉकआउट किया.
प्रश्नकाल में बच्चों ने खिलाड़ियों के लिए पड़ोसी राज्यों की तर्ज पर प्रोत्साहन पुरस्कार के साथ-साथ नौकरी का कोटा बढ़ाने, प्रदेश के स्वास्थ्य संस्थानों में डॉक्टरों और स्टाफ व उपकरणों की कमी, पानी की कमी, प्रदेश पर कर्ज, पार्किंग की कमी के साथ-साथ पेपर लीक का मुद्दा भी उठाया. विधानसभा बाल सत्र के दौरान शून्य काल में बच्चों ने कई गंभीर मुद्दे रखे और उन पर सरकार का ध्यान आकर्षित कर अपनी राय भी दी.
जब सीएम ने कहा, स्पेशल बच्चों के योजना बनाने पर सरकार कर रही विचार: अरूणोदय ने स्पेशल बच्चों का मुद्दा सदन में उठाया. उनका कहना था कि स्पेशल बच्चों को अभी तक सरकार ने अडॉप्ट नहीं किया है. वहीं इनके लिए कोई अलग से स्कूल भी नहीं है. यही नहीं उन्होंने इन बच्चों के लिए एकीकृत कैंपस बनाने की मांग जहां इन बच्चों को बेसहारा बुजुर्गों को साथ मिले. इस तरह बच्चों को दादा दादी का प्यार भी मिलेगा.
इशिता के स्कूलों में योग करवाने की राय पर सीएम सुक्खू ने कहा बहुत अच्छा सुझाव: बाल विधायक इशिता ने स्कूलों में प्रार्थना सभा के साथ ही 10 मिनट का योग करवाने का भी सुझाव दिया ताकि बच्चे मानसिक तौर पर स्वस्थ रह सके. इस पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भी कहा कि यह एक बहुत अच्छा सुझाव है, सरकार इस पर जरूर गौर करेगी. शून्य काल में बाल विधायकों ने मरीजों के लिए ऑनलाइन मेडिकल कंस्लटेंसी सेवा शुरू करने, पर्यटन के नए स्थल विकसित करने के साथ ही हेल्थ टूरिज्म प्रमोट करने, जनसंख्या नियंत्रित करने के लिए नीति बनाने, महिलाओं को विधानसभा में अधिक प्रतिनिधित्व देने, भांग की खेती को वैध करने, सड़क हादसों को रोकने के लिए रैश ड्राइविंग पर सख्त कार्रवाई करने व क्रैश बैरियर व रोड लाइट लगाने, आवारा पशुओं की समस्याओं को हल करने, नई शिक्षा नीति लागू करने, हाइड्रो प्रोजेक्ट की जगह सोलर प्रोजेक्ट लगाने, कृषि बागवानी के लिए मार्केटिंग सीए स्टोर व बेहतर परिवहन सुविधा देने और बाल श्रम रोकने के लिए कानून का कड़ाई से पालन करवाने की राय दी. बाल सत्र में हिस्सा लेने वाले बच्चों ने कहा आज बात रखने का मिला मौकाबाल सत्र में आए बच्चों का कहना था कि वे प्रदेश और देश के लिए क्या सोचते हैं, बाल सत्र में उनको इस पर अपनी बात रखने का मौका मिला.
सीएम का उठाए मुद्दों पर विचार करना का आश्वासन देना खुशी की बात: बाल सत्र में सीएम बनी जान्हवी ने कहा कि विधानसभा के बाल सत्र में जो मुद्दे उठाए गए हैं, मुख्यमंत्री ने इन पर विचार करने का आश्वासन दिया है, यह बच्चों के लिए खुशी की बात है कि उनके उठाए मुद्दों पर सरकार गौर कर रही है. जान्हवी ने कहा कि बाल सत्र ने बच्चों को बात रखने का प्लेटफार्म दिया है जिसमें बच्चों को अपनी बात रखने का मौका मिला है. उन्होंने कहा कि आमतौर पर अभिभावक कहते हैं कि अभी राजनीति या प्रदेश के अन्य मुद्दों पर बात करने की उम्र नहीं है, बच्चों को एक बड़ा मंच देकर अब साफ हो गया है कि बच्चों को भी इन विषयों पर बात करने चाहिए और उनकी बातों को गंभीरता से लेना चाहिए.
'लोकतंत्र में विपक्ष की बड़ी भूमिका': नेता विपक्ष की भूमिका निभाने वाली रूहानिका वर्मा कहती हैं कि विपक्ष की लोकतंत्र में बड़ी भूमिका होती है. यह लोकतंत्र में जरूरी है कि विपक्ष अपनी राय दे और जहां लगता है कि सरकार कुछ गलत कर रही है वहां सरकार को घेरना उसका दायित्व बनता है. उनका कहना है कि प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में बहुत कुछ करने की जरूरत है. स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी है. इससे बच्चों का भविष्य खतरे में पड़ रहा, इसके लिए समय रहते सरकार को कदम उठाने चाहिए. और सत्र में बाल विधायकों ने यह मसला भी उठाया.
'बच्चों को आज अपनी बात रखने का मौका मिला': विधानसभा के अध्यक्ष बने लविश नेगी का कहना है कि बाल सत्र में विधानसभा का अध्यक्ष था. आज हमको अपनी अपनी बात रखने का मौका मिला है. बच्चों को अगर इस तरह का मौका मिलता है तो उनको आगे आना चाहिए.
'बच्चों ने इस सत्र में अपने-अपने इलाकों की समस्याएं रखीं': बाल विधायक के तौर सत्र में शामिल हुई आकृति ने कहा कि उनको इस सत्र में आकर बहुत खुशी हुई है. इस सत्र में सभी बच्चों ने अपने अपने इलाके की समस्याएं रखीं. यही नहीं सीएम ने इन मुद्दों को हल करने का प्रयास करने की भी बात कही है.
'सरकार के सामने बात रखने का मौका मिला': बाल विधायक हरिओम गुप्ता का कहना है कि यह हम सभी के लिए बहुत बड़ा मौका था. इसके लिए सभी गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं कि आज सरकार के सामने रखने का मौका मिला है.
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