नई दिल्ली : कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) ने सोमवार को कर्नाटक के मतदाताओं से जीत का बड़ा अंतर सुनिश्चित करने का आग्रह किया ताकि बाद में भाजपा को विधायकों की खरीद-फरोख्त से रोका जा सके.
खड़गे ने कहा, 'मैं कर्नाटक के लोगों से अपील करता हूं कि कांग्रेस को जीत का बड़ा अंतर दें, क्योंकि भाजपा में विधायकों की चोरी का चलन है. ऐसा पहले भी कई राज्यों में हो चुका है. अगर हमारे पास बड़ा बहुमत है, तो विधायकों के पास छोड़ने की धमकी देकर सरकार को अस्थिर करने की शक्ति नहीं होगी.'
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, खड़गे उन घटनाओं का जिक्र कर रहे थे, जिसकी कीमत कांग्रेस को न केवल कर्नाटक में, बल्कि मध्य प्रदेश, गोवा, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश में भी चुकानी पड़ी थी.
2018 के कर्नाटक विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने जेडी-एस (37) की तुलना में अधिक सीटें (80) जीती थीं, लेकिन फिर भी भाजपा (104) को सत्ता से बाहर रखने के लिए एचडी कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री पद की पेशकश की. जेडी-एस-कांग्रेस गठबंधन 2019 तक ठीक चला फिर बीजेपी विश्वासमत में हराकर बैकडोर से सत्ता में आई. कांग्रेस के 17 विधायक खरीदने का आरोप लगा. सभी 17 नेताओं को इस बार टिकट दिया गया है, जबकि भगवा पार्टी के कई पुराने नेताओं को छोड़ दिया गया, जिससे एक तरह का विद्रोह हुआ.
224 सदस्यीय कर्नाटक सदन में किसी भी पार्टी को सरकार बनाने के लिए 113 सीटों को जीतने की आवश्यकता है. हालांकि कांग्रेस के प्रबंधकों का दावा है कि बीजेपी पर बढ़त है, लेकिन चिंता है कि क्षेत्रीय खिलाड़ी जेडी-एस, बीजेपी विरोधी वोटों को विभाजित कर देगा.
जद-एस ने कांग्रेस के साथ चुनाव पूर्व कोई समझौता करने से इनकार कर दिया. यह स्पष्ट नहीं है कि त्रिशंकु सदन की स्थिति में क्षेत्रीय दल किस ओर झुक सकता है. इसलिए, कांग्रेस के प्रबंधक कम से कम 130 सीटों का आंकड़ा पेश कर रहे हैं (जो आंतरिक सर्वेक्षणों पर आधारित है) लेकिन अभी भी राहुल गांधी द्वारा एक साल पहले दिए गए 150 सीटों के लक्ष्य को छूने की कोशिश कर रहे हैं.
कभी भाजपा का गढ़ रहे बीजापुर में अपनी रविवार की रैली के दौरान राहुल ने दावा करते हुए कहा कि कांग्रेस 150 सीटें जीतने की राह पर है, जबकि भाजपा की 40 से भी कम सीटें होंगी.
AICC के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, 'हमें 130 सीटों पर जीत का भरोसा है लेकिन हमें 145 या 150 सीटों पर रहना चाहिए. इस संख्या पर हमारे विधायकों को तोड़ने की भाजपा की चालें बेअसर हो जाएंगी. अगर हम 125 से कम हैं तो विधायकों की खरीद-फरोख्त का खतरा रहेगा.'
मप्र में, कांग्रेस ने 2018 में साधारण बहुमत हासिल किया था, लेकिन राज्य इकाई में आंतरिक मतभेदों के कारण पूर्व नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया 2020 में भाजपा में शामिल हो गए. इसके तुरंत बाद, कमलनाथ सरकार गिर गई क्योंकि सिंधिया के वफादार कई विधायक गायब हो गए और फिर कांग्रेस के खिलाफ, भाजपा सरकार के लिए मार्ग प्रशस्त करने को मतदान किया.
कांग्रेस 2017 में गोवा में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी, लेकिन भाजपा ने जल्दी ही क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन किया और सरकार बनाई. इसके तुरंत बाद, कांग्रेस के कई विधायक भाजपा में शामिल हो गए.
अरुणाचल प्रदेश में, मुख्यमंत्री पेमा खांडू सहित कांग्रेस के 44 में से 43 विधायक 2016 में पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल में शामिल हो गए थे, जो 2016 में बीजेपी के नेतृत्व वाले नॉर्थ-ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस का हिस्सा था. मेघालय में कांग्रेस के सभी 17 विधायक 2021 में 12 और 2022 में 5 के दो बैचों में भाजपा द्वारा समर्थित एनपीपी में चले गए थे.