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खड़गे ने कांग्रेस नेताओं के साथ लोकसभा चुनाव के लिए सीट समझौते पर की चर्चा

Kharge discusses Lok Sabha pacts : लोकसभा चुनाव के लिए पार्टियां रणनीति बनाने में जुटी हैं. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने गुरुवार को देश भर के शीर्ष पार्टी नेताओं के साथ बैठक की. इस दौरान राज्यों में सीट बंटवारे को लेकर चर्चा हुई. Lok Sabha election, Congress leaders meeting.

Kharge discusses
मल्लिकार्जुन खड़गे
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 4, 2024, 3:47 PM IST

नई दिल्ली : पंजाब, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में सीट बंटवारे पर अनिश्चितता के बीच लोकसभा गठबंधन पर एक राय कायम करने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने गुरुवार को देश भर के शीर्ष पार्टी नेताओं की बैठक की अध्यक्षता की. सभी एआईसीसी राज्य प्रभारी, राज्य इकाई प्रमुख और सीएलपी नेता रणनीति सत्र में शामिल हुए, जिसमें पूर्व पार्टी प्रमुख राहुल गांधी और वरिष्ठ नेता प्रियंका गांधी वाड्रा भी मौजूद थे.

यह बैठक पांच सदस्यीय कांग्रेस गठबंधन पैनल द्वारा सीट-बंटवारे की संभावनाओं पर खड़गे को एक रिपोर्ट देने के बाद हुई है, लेकिन पंजाब, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में स्पष्टता की कमी है, जहां सबसे पुरानी पार्टी को क्रमशः आप, सपा और टीएमसी जैसे विवादास्पद सहयोगियों से निपटना है.

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, दिल्ली और पंजाब दोनों राज्य इकाइयां 'आप' के साथ समझौते के खिलाफ हैं, लेकिन पंजाब में कांग्रेस सांसद भाजपा और उसके पूर्व सहयोगी शिअद को एक साथ आने से रोकने के लिए 'आप' के साथ सीट-बंटवारे की व्यवस्था के पक्ष में हैं.

कांग्रेस सांसदों ने कथित तौर पर गठबंधन पैनल को बताया कि अकाली दल तीन किसान विरोधी कानूनों को लेकर एनडीए से बाहर हो गया था, लेकिन लोकसभा चुनाव से ठीक पहले वह भाजपा से हाथ मिला सकता है.

पंजाब की कुल 13 लोकसभा सीटों में से आठ पर कांग्रेस का कब्जा है और वह बाकी पांच सीटें 'आप' के लिए छोड़ सकती है. दिल्ली में सभी सात लोकसभा सीटें भाजपा के पास हैं लेकिन गठबंधन में कांग्रेस को तीन या चार सीटें मिलेंगी या नहीं, यह स्पष्ट नहीं है.

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस चार सीटों का दावा कर रही है, लेकिन 'आप' राज्य विधानसभा में दोनों दलों की सापेक्ष ताकत का हवाला देते हुए केवल तीन सीटों पर तैयार है. कांग्रेस के पास कोई विधायक नहीं है.

इसी तरह, पश्चिम बंगाल में राज्य इकाई सीपीआई-एम के साथ अपना गठबंधन जारी रखना चाहती है और टीएमसी के साथ किसी भी समझौते के खिलाफ है, जो पिछले वर्षों में सबसे पुरानी पार्टी के नेताओं को खरीद-फरोख्त कर रही है और उसके कार्यकर्ताओं को निशाना बना रही है.

दिल्ली की तरह, पश्चिम बंगाल में भी 2021 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस और सीपीआई-एम दोनों को एक भी सीट नहीं मिली. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, राज्य के नेताओं ने गठबंधन पैनल से कहा कि अगर कांग्रेस को पश्चिम बंगाल की कुल 42 में से लगभग 7 या 8 लोकसभा सीटें मिलती हैं, तो समिति सीट-बंटवारे की बातचीत पर आगे बढ़ सकती है, अन्यथा सीपीआई-एम के साथ जाना बेहतर होगा.

उत्तर प्रदेश में भी जहां संगठनात्मक ताकत कांग्रेस के लिए चिंता का विषय रही है, राज्य के नेता गठबंधन पैनल के समक्ष स्पष्ट दृष्टिकोण रखने में सक्षम नहीं थे, उन्होंने कहा कि राज्य इकाई प्रमुख अजय राय पूरी तरह से यूपी जोड़ो यात्रा में डूबे हुए थे, जो राज्य के पश्चिमी हिस्सों से होते हुए 6 जनवरी को राजधानी लखनऊ में समाप्त होगी.

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, यूपी प्रभारी अविनाश पांडे 6 जनवरी को यात्रा समापन कार्यक्रम में शामिल होंगे और राज्य के नेताओं के साथ सीट-बंटवारे की संभावनाओं पर चर्चा करेंगे. एआईसीसी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, 'हम गठबंधन पर जितनी जल्दी फैसला कर लें उतना बेहतर होगा. समस्या यह है कि सपा और बसपा दोनों को अपने साथ लाने की कोशिश की जा रही है जबकि वे इसके लिए तैयार नहीं हैं.'

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नई दिल्ली : पंजाब, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में सीट बंटवारे पर अनिश्चितता के बीच लोकसभा गठबंधन पर एक राय कायम करने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने गुरुवार को देश भर के शीर्ष पार्टी नेताओं की बैठक की अध्यक्षता की. सभी एआईसीसी राज्य प्रभारी, राज्य इकाई प्रमुख और सीएलपी नेता रणनीति सत्र में शामिल हुए, जिसमें पूर्व पार्टी प्रमुख राहुल गांधी और वरिष्ठ नेता प्रियंका गांधी वाड्रा भी मौजूद थे.

यह बैठक पांच सदस्यीय कांग्रेस गठबंधन पैनल द्वारा सीट-बंटवारे की संभावनाओं पर खड़गे को एक रिपोर्ट देने के बाद हुई है, लेकिन पंजाब, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में स्पष्टता की कमी है, जहां सबसे पुरानी पार्टी को क्रमशः आप, सपा और टीएमसी जैसे विवादास्पद सहयोगियों से निपटना है.

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, दिल्ली और पंजाब दोनों राज्य इकाइयां 'आप' के साथ समझौते के खिलाफ हैं, लेकिन पंजाब में कांग्रेस सांसद भाजपा और उसके पूर्व सहयोगी शिअद को एक साथ आने से रोकने के लिए 'आप' के साथ सीट-बंटवारे की व्यवस्था के पक्ष में हैं.

कांग्रेस सांसदों ने कथित तौर पर गठबंधन पैनल को बताया कि अकाली दल तीन किसान विरोधी कानूनों को लेकर एनडीए से बाहर हो गया था, लेकिन लोकसभा चुनाव से ठीक पहले वह भाजपा से हाथ मिला सकता है.

पंजाब की कुल 13 लोकसभा सीटों में से आठ पर कांग्रेस का कब्जा है और वह बाकी पांच सीटें 'आप' के लिए छोड़ सकती है. दिल्ली में सभी सात लोकसभा सीटें भाजपा के पास हैं लेकिन गठबंधन में कांग्रेस को तीन या चार सीटें मिलेंगी या नहीं, यह स्पष्ट नहीं है.

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस चार सीटों का दावा कर रही है, लेकिन 'आप' राज्य विधानसभा में दोनों दलों की सापेक्ष ताकत का हवाला देते हुए केवल तीन सीटों पर तैयार है. कांग्रेस के पास कोई विधायक नहीं है.

इसी तरह, पश्चिम बंगाल में राज्य इकाई सीपीआई-एम के साथ अपना गठबंधन जारी रखना चाहती है और टीएमसी के साथ किसी भी समझौते के खिलाफ है, जो पिछले वर्षों में सबसे पुरानी पार्टी के नेताओं को खरीद-फरोख्त कर रही है और उसके कार्यकर्ताओं को निशाना बना रही है.

दिल्ली की तरह, पश्चिम बंगाल में भी 2021 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस और सीपीआई-एम दोनों को एक भी सीट नहीं मिली. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, राज्य के नेताओं ने गठबंधन पैनल से कहा कि अगर कांग्रेस को पश्चिम बंगाल की कुल 42 में से लगभग 7 या 8 लोकसभा सीटें मिलती हैं, तो समिति सीट-बंटवारे की बातचीत पर आगे बढ़ सकती है, अन्यथा सीपीआई-एम के साथ जाना बेहतर होगा.

उत्तर प्रदेश में भी जहां संगठनात्मक ताकत कांग्रेस के लिए चिंता का विषय रही है, राज्य के नेता गठबंधन पैनल के समक्ष स्पष्ट दृष्टिकोण रखने में सक्षम नहीं थे, उन्होंने कहा कि राज्य इकाई प्रमुख अजय राय पूरी तरह से यूपी जोड़ो यात्रा में डूबे हुए थे, जो राज्य के पश्चिमी हिस्सों से होते हुए 6 जनवरी को राजधानी लखनऊ में समाप्त होगी.

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, यूपी प्रभारी अविनाश पांडे 6 जनवरी को यात्रा समापन कार्यक्रम में शामिल होंगे और राज्य के नेताओं के साथ सीट-बंटवारे की संभावनाओं पर चर्चा करेंगे. एआईसीसी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, 'हम गठबंधन पर जितनी जल्दी फैसला कर लें उतना बेहतर होगा. समस्या यह है कि सपा और बसपा दोनों को अपने साथ लाने की कोशिश की जा रही है जबकि वे इसके लिए तैयार नहीं हैं.'

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