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सबरीमला मंदिर मामला: सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले को दी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती - pilgrims in sabrimala

केरल सरकार ने उच्चतम न्यायालय का रुख किया है. केरल उच्च न्यायालय ने सबरीमला मंदिर में प्रति दिन दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ाने का निर्देश दिया था. उच्च न्यायालय के इसी आदेश के खिलाफ राज्य सरकार ने शीर्ष न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है.

pilgrims in sabrimala temple
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Published : Dec 24, 2020, 3:16 PM IST

Updated : Dec 24, 2020, 4:11 PM IST

नई दिल्ली : केरल सरकार ने केरल उच्च न्यायालय के उस फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया है, जिसमें उसने राज्य सरकार को सबरीमला मंदिर में प्रति दिन दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ाकर पांच हजार करने का निर्देश दिया था.

केरल सरकार ने कहा कि कोविड-19 के मद्देनजर इससे पुलिसकर्मियों और स्वास्थ्य अधिकारियों पर 'काफी दबाव' बढ़ेगा.

केरल उच्च न्यायालय के 18 दिसम्बर के फैसले के खिलाफ दायर की गई याचिका में राज्य सरकार ने कहा कि राज्य ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था, जिसने आम दिनों में दो हजार और सप्ताहांत में तीन हजार लोगों को दर्शन करने की अनुमति देने का फैसला किया.

उसने कहा कि इस साल 20 दिसम्बर से अगले साल 14 जनवरी के बीच सबरीमला मंदिर उत्सव के दौरान कोविड-19 वैश्विक महामारी के प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए राज्य ने उच्च स्तरीय समिति का गठन किया और हर दिन दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या तय करने के लिए हर पहलू पर विचार किया.

उसने कहा कि 14 दिसम्बर को हुई बैठक में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के संशोधित स्वास्थ्य परामर्श पर दायर रिपोर्ट पर गौर किया गया और श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ाकर आम दिनों में दो हजार और सप्ताहांत में तीन हजार की गई.

वकील जी. प्रकाश द्वारा दायर की गई याचिका में राज्य सरकार ने कहा, 'उच्च न्यायालय ने कुछ प्रतिवादियों द्वारा दायर रिट याचिकाओं का निस्तारण किया, जिसमें सरकार को प्रतिदिन दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ाकर पांच हजार करने का निर्देश दिया गया. उच्च न्यायालय ने किसी भी रिपोर्ट या दस्तावेजों पर उचित तरीके से गौर किए बिना यह फैसला किया. सबरीमला में कोविड-19 से प्रभावित पुलिसकर्मियों, स्वास्थ्य अधिकारियों और श्रद्धालुओं की संख्या पहले से ही अधिक है.'

उसने कहा कि मंदिर में प्रवेश पुलिस द्वारा प्रबंधित एक आभासी कतार (वर्चुअल क्यू) द्वारा नियंत्रित किया जाता है और मंदिर में प्रवेश से पहले श्रद्धालुओं की कोविड-19 जांच भी की जाती है.

उसने कहा, 'श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ाने से पुलिसकर्मियों और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों पर दबाव बढ़ेगा और इससे श्रद्धालुओं को नियंत्रित करने में भी परेशानी आएगी.'

पढ़ें-केरल में कोरोना : सबरीमाला मंदिर में 299 संक्रमित, दिशानिर्देशों में संशोधन

याचिका में कहा गया, 'मीडिया में इस तरह की खबरें भी आ रही हैं कि इंग्लैंड में कोविड-19 के एक नए प्रकार (स्ट्रेन) का पता चला है और भारत सरकार ने इंग्लैंड से आने-जाने वाली विमान सेवाएं भी निलंबित कर दी हैं. यही स्थिति केरल सरकार की भी है, जो सबरीमला मंदिर उत्सव के दौरान कोविड-19 के संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए इस आदेश में तत्काल इस अदालत का हस्तक्षेप चाहती है.'

अंतरिम राहत के रूप में, याचिका में उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने की मांग की गई है.

नई दिल्ली : केरल सरकार ने केरल उच्च न्यायालय के उस फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया है, जिसमें उसने राज्य सरकार को सबरीमला मंदिर में प्रति दिन दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ाकर पांच हजार करने का निर्देश दिया था.

केरल सरकार ने कहा कि कोविड-19 के मद्देनजर इससे पुलिसकर्मियों और स्वास्थ्य अधिकारियों पर 'काफी दबाव' बढ़ेगा.

केरल उच्च न्यायालय के 18 दिसम्बर के फैसले के खिलाफ दायर की गई याचिका में राज्य सरकार ने कहा कि राज्य ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था, जिसने आम दिनों में दो हजार और सप्ताहांत में तीन हजार लोगों को दर्शन करने की अनुमति देने का फैसला किया.

उसने कहा कि इस साल 20 दिसम्बर से अगले साल 14 जनवरी के बीच सबरीमला मंदिर उत्सव के दौरान कोविड-19 वैश्विक महामारी के प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए राज्य ने उच्च स्तरीय समिति का गठन किया और हर दिन दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या तय करने के लिए हर पहलू पर विचार किया.

उसने कहा कि 14 दिसम्बर को हुई बैठक में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के संशोधित स्वास्थ्य परामर्श पर दायर रिपोर्ट पर गौर किया गया और श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ाकर आम दिनों में दो हजार और सप्ताहांत में तीन हजार की गई.

वकील जी. प्रकाश द्वारा दायर की गई याचिका में राज्य सरकार ने कहा, 'उच्च न्यायालय ने कुछ प्रतिवादियों द्वारा दायर रिट याचिकाओं का निस्तारण किया, जिसमें सरकार को प्रतिदिन दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ाकर पांच हजार करने का निर्देश दिया गया. उच्च न्यायालय ने किसी भी रिपोर्ट या दस्तावेजों पर उचित तरीके से गौर किए बिना यह फैसला किया. सबरीमला में कोविड-19 से प्रभावित पुलिसकर्मियों, स्वास्थ्य अधिकारियों और श्रद्धालुओं की संख्या पहले से ही अधिक है.'

उसने कहा कि मंदिर में प्रवेश पुलिस द्वारा प्रबंधित एक आभासी कतार (वर्चुअल क्यू) द्वारा नियंत्रित किया जाता है और मंदिर में प्रवेश से पहले श्रद्धालुओं की कोविड-19 जांच भी की जाती है.

उसने कहा, 'श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ाने से पुलिसकर्मियों और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों पर दबाव बढ़ेगा और इससे श्रद्धालुओं को नियंत्रित करने में भी परेशानी आएगी.'

पढ़ें-केरल में कोरोना : सबरीमाला मंदिर में 299 संक्रमित, दिशानिर्देशों में संशोधन

याचिका में कहा गया, 'मीडिया में इस तरह की खबरें भी आ रही हैं कि इंग्लैंड में कोविड-19 के एक नए प्रकार (स्ट्रेन) का पता चला है और भारत सरकार ने इंग्लैंड से आने-जाने वाली विमान सेवाएं भी निलंबित कर दी हैं. यही स्थिति केरल सरकार की भी है, जो सबरीमला मंदिर उत्सव के दौरान कोविड-19 के संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए इस आदेश में तत्काल इस अदालत का हस्तक्षेप चाहती है.'

अंतरिम राहत के रूप में, याचिका में उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने की मांग की गई है.

Last Updated : Dec 24, 2020, 4:11 PM IST
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