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पहली कक्षा की छात्रा के यौन शोषण के जुर्म में शिक्षक को 29 साल कठोर कारावास की सजा

केरल के त्रिशूर की एक विशेष फास्ट ट्रैक अदालत ने पहली कक्षा की छात्रा का यौन शोषण करने के जुर्म को अमानवीय और बर्बर करार देते हुए में शिक्षक को 29 साल कठोर कारावास की सजा सुनायी है.

पहली कक्षा की छात्रा से यौन शोषण
पहली कक्षा की छात्रा से यौन शोषण
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Published : Sep 26, 2021, 11:03 PM IST

त्रिशूर : केरल के त्रिशूर की एक विशेष फास्ट ट्रैक अदालत ने पहली कक्षा की छात्रा का यौन शोषण करने के जुर्म में एक शिक्षक को 29 साल कठोर कारावास की सजा सुनायी है.

अदालत ने कहा कि शिक्षक ने जो अपराध किया है वह अमानवीय और बर्बर है. अदालत ने कहा, 'साढ़े छह साल की मासूम बच्ची के साथ दोषी का यह घिनौना कृत्य निश्चित रूप से कठोर सजा की मांग करता है और इसी वजह से उसे मैंने यह सजा देने का निर्णय किया है.'

बच्ची ने अपने माता- पिता को सारा कृत्य बताया, जिसके बाद उन्होंने शिकायत दर्ज करायी. अदालत ने कहा कि एक शिक्षक को ज्ञान, बुद्धि और जीवन के उत्तम गुणों का अवतार माना जाता है.

अदालत ने अपने फैसले में कहा, 'गुरु एक दोस्त, एक दार्शनिक, मार्गदर्शक, सामाजिक इंजीनियर और राष्ट्र-निर्माता माना जाता है. भारतीय दर्शन में गुरु को उच्च स्थान प्राप्त है. उनका प्रभाव केवल एक व्यक्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि वह जीवन के सभी क्षेत्रों में परिवारों, संस्थानों और शिक्षा प्रतिष्ठानों तक फैला हुआ है. वह ज्ञान प्रदान करते हैं, जीवन के मूल्यों की शिक्षा देते हैं, स्वयं राष्ट्र का मार्गदर्शन और निर्माण करते हैं.'

पढ़ें : हैदराबाद रेप: आरोपी राजू की डेडबॉडी रेलवे ट्रैक पर मिली, टैटू से हुई पहचान

अभियोजन पक्ष के अनुसार, यह घटना 2012 में हुयी थी जब बच्ची साढ़े छह साल की थी और अपने दोस्तों के साथ अध्ययन के लिये स्कूल टूर पर बाहर गयी थी.

(पीटीआई-भाषा)

त्रिशूर : केरल के त्रिशूर की एक विशेष फास्ट ट्रैक अदालत ने पहली कक्षा की छात्रा का यौन शोषण करने के जुर्म में एक शिक्षक को 29 साल कठोर कारावास की सजा सुनायी है.

अदालत ने कहा कि शिक्षक ने जो अपराध किया है वह अमानवीय और बर्बर है. अदालत ने कहा, 'साढ़े छह साल की मासूम बच्ची के साथ दोषी का यह घिनौना कृत्य निश्चित रूप से कठोर सजा की मांग करता है और इसी वजह से उसे मैंने यह सजा देने का निर्णय किया है.'

बच्ची ने अपने माता- पिता को सारा कृत्य बताया, जिसके बाद उन्होंने शिकायत दर्ज करायी. अदालत ने कहा कि एक शिक्षक को ज्ञान, बुद्धि और जीवन के उत्तम गुणों का अवतार माना जाता है.

अदालत ने अपने फैसले में कहा, 'गुरु एक दोस्त, एक दार्शनिक, मार्गदर्शक, सामाजिक इंजीनियर और राष्ट्र-निर्माता माना जाता है. भारतीय दर्शन में गुरु को उच्च स्थान प्राप्त है. उनका प्रभाव केवल एक व्यक्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि वह जीवन के सभी क्षेत्रों में परिवारों, संस्थानों और शिक्षा प्रतिष्ठानों तक फैला हुआ है. वह ज्ञान प्रदान करते हैं, जीवन के मूल्यों की शिक्षा देते हैं, स्वयं राष्ट्र का मार्गदर्शन और निर्माण करते हैं.'

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अभियोजन पक्ष के अनुसार, यह घटना 2012 में हुयी थी जब बच्ची साढ़े छह साल की थी और अपने दोस्तों के साथ अध्ययन के लिये स्कूल टूर पर बाहर गयी थी.

(पीटीआई-भाषा)

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