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Watch: शोध छात्र अखिल खर्च पूरा करने के लिए कॉलेज कैंटीन में करते हैं काम, रोज बनाते हैं 300 पराठे - शोध छात्र

केरल के एक शोध छात्र पढ़ाई के साथ ही कॉलेज की कैंटीन में भी काम करते हैं. वह कैंटीन में पराठे बनाते हैं. अखिल प्रतिदिन तीन सौ पराठे तैयार करते हैं. सुबह 9:30 बजे से पहले कॉलेज कैंटीन में अपना काम खत्म करते हैं, फिर शोध गतिविधियों में लग जाते हैं. life story of Research Student Akhil Karthikeyan, Kaladi Sanskrit University campus, parotta master.

Akhil Karthikeyan
अखिल कार्तिकेयन
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 18, 2023, 4:39 PM IST

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एर्नाकुलम: अखिल कार्तिकेयन कलाडी संस्कृत विश्वविद्यालय परिसर में शोध छात्र हैं. पढ़ाई के साथ-साथ काम करना उनके लिए कोई नई बात नहीं है. लेकिन अपने सहपाठियों और प्रोफेसरों के लिए वह पिछले कुछ महीनों से अजूबा बने हुए हैं. वह कलाडी विश्वविद्यालय परिसर के पैरोटा मास्टर (parotta master) हैं. यही अखिल की विशिष्टता है.

कोल्लम जिले के सोरनद के रहने वाले अखिल 8वीं कक्षा से पढ़ाई के साथ-साथ काम भी कर रहे हैं. उन्होंने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया. अभी भी रिसर्च के साथ-साथ काम जारी है. इस बार वह जिस कैंपस में पढ़ रहे हैं, उसी कैंटीन में ही काम कर रहे हैं.

विपरीत परिस्थितियों के बावजूद अखिल अपनी कड़ी मेहनत से एक शोध छात्र के रूप में उभरे. गायन और पेंटिंग करने वाले अखिल एक बार सहज जनादेश के साथ पंचायत सदस्य बन गए हैं. उनके पास मलयालम में स्नातकोत्तर की डिग्री है और वह अब कलाडी संस्कृत विश्वविद्यालय में उच्च अध्ययन कर रहे हैं.

अखिल मलयालम सिनेमा के भावनात्मक विकास और बाजार की राजनीति विषय पर डॉ. वत्सलन वाथुसेरी के अधीन शोध कर रहे हैं. कलाडी में विश्वविद्यालय परिसर में पहुंचने के बाद, उन्हें अपनी पढ़ाई के लिए नौकरी ढूंढना मुश्किल हो गया.

इसी बीच कॉलेज की कैंटीन में काम करने वाले प्रवासी मजदूर ने नौकरी छोड़ दी. इस तरह अखिल को कैंटीन में पैरोटा मास्टर की रिक्ति के बारे में पता चला. उन्होंने कैंटीन प्रबंधन को सूचित किया कि वह पैरोटा मास्टर की नौकरी करने के लिए तैयार हैं.

पैरोटा बनाने के लिए बहुत अधिक खाना पकाने के कौशल और शारीरिक प्रयास की आवश्यकता होती है. सबसे पहले, कैंटीन संचालकों को अखिल की क्षमताओं पर संदेह हुआ. एक दिन प्रायोगिक तौर पर अखिल सुबह पांच बजे कैंटीन में आए और स्वादिष्ट पराठे बनाए.

पिछले चार महीने से अखिल के दिन की शुरुआत कैंपस कैंटीन से होती है. अखिल कहते हैं कि पराठे बनाना कोई आसान काम नहीं है. 'बहुत अधिक शारीरिक मेहनत के साथ लंबे समय तक गर्म परिस्थितियों में काम करना वास्तव में एक कठिन काम है.'

अखिल प्रतिदिन तीन सौ पराठे तैयार करते हैं. सुबह 9:30 बजे से पहले, वह कॉलेज कैंटीन में अपना काम खत्म करते हैं, हॉस्टल पहुंचते हैं, स्नान करने के बाद तैयार होकर सीधे शोध गतिविधियों में लग जाते हैं.

विदेशों में पढ़ाई के मॉडल के साथ-साथ काम करना कोई नई बात नहीं है. अखिल का मानना ​​है कि इस विदेशी मॉडल को यहां भी दोहराया जा सकता है. अखिल को अपनी काम के साथ-साथ पढ़ाई की शैली पर गर्व है.

सिनेमा में है रुचि : अखिल ने अपने शोध के लिए एक अनोखा विषय 'मलयालम सिनेमा का भावनात्मक विकास और बाज़ार की राजनीति' चुना. उन्होंने कहा कि ऐसे विषय को शोध विषय के रूप में चुनने का कारण सिनेमा के क्षेत्र में उनकी रुचि है. अखिल को पढ़ाई के लिए परिवार का पूरा सहयोग मिला. अखिल, सूरनाड निवासी लीला और कार्तिकेयन के बेटे हैं. उनकी पत्नी अनुश्री चंद्रन श्री शंकराचार्य विश्वविद्यालय में एक लेखिका और शोधकर्ता हैं. अखिल एक कैंपस गायक और एक अच्छे चित्रकार हैं. वह पांच वर्षों तक अपनी ही पंचायत के पंचायत सदस्य रहे.

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कोल्लम जिले के सोरनद के रहने वाले अखिल 8वीं कक्षा से पढ़ाई के साथ-साथ काम भी कर रहे हैं. उन्होंने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया. अभी भी रिसर्च के साथ-साथ काम जारी है. इस बार वह जिस कैंपस में पढ़ रहे हैं, उसी कैंटीन में ही काम कर रहे हैं.

विपरीत परिस्थितियों के बावजूद अखिल अपनी कड़ी मेहनत से एक शोध छात्र के रूप में उभरे. गायन और पेंटिंग करने वाले अखिल एक बार सहज जनादेश के साथ पंचायत सदस्य बन गए हैं. उनके पास मलयालम में स्नातकोत्तर की डिग्री है और वह अब कलाडी संस्कृत विश्वविद्यालय में उच्च अध्ययन कर रहे हैं.

अखिल मलयालम सिनेमा के भावनात्मक विकास और बाजार की राजनीति विषय पर डॉ. वत्सलन वाथुसेरी के अधीन शोध कर रहे हैं. कलाडी में विश्वविद्यालय परिसर में पहुंचने के बाद, उन्हें अपनी पढ़ाई के लिए नौकरी ढूंढना मुश्किल हो गया.

इसी बीच कॉलेज की कैंटीन में काम करने वाले प्रवासी मजदूर ने नौकरी छोड़ दी. इस तरह अखिल को कैंटीन में पैरोटा मास्टर की रिक्ति के बारे में पता चला. उन्होंने कैंटीन प्रबंधन को सूचित किया कि वह पैरोटा मास्टर की नौकरी करने के लिए तैयार हैं.

पैरोटा बनाने के लिए बहुत अधिक खाना पकाने के कौशल और शारीरिक प्रयास की आवश्यकता होती है. सबसे पहले, कैंटीन संचालकों को अखिल की क्षमताओं पर संदेह हुआ. एक दिन प्रायोगिक तौर पर अखिल सुबह पांच बजे कैंटीन में आए और स्वादिष्ट पराठे बनाए.

पिछले चार महीने से अखिल के दिन की शुरुआत कैंपस कैंटीन से होती है. अखिल कहते हैं कि पराठे बनाना कोई आसान काम नहीं है. 'बहुत अधिक शारीरिक मेहनत के साथ लंबे समय तक गर्म परिस्थितियों में काम करना वास्तव में एक कठिन काम है.'

अखिल प्रतिदिन तीन सौ पराठे तैयार करते हैं. सुबह 9:30 बजे से पहले, वह कॉलेज कैंटीन में अपना काम खत्म करते हैं, हॉस्टल पहुंचते हैं, स्नान करने के बाद तैयार होकर सीधे शोध गतिविधियों में लग जाते हैं.

विदेशों में पढ़ाई के मॉडल के साथ-साथ काम करना कोई नई बात नहीं है. अखिल का मानना ​​है कि इस विदेशी मॉडल को यहां भी दोहराया जा सकता है. अखिल को अपनी काम के साथ-साथ पढ़ाई की शैली पर गर्व है.

सिनेमा में है रुचि : अखिल ने अपने शोध के लिए एक अनोखा विषय 'मलयालम सिनेमा का भावनात्मक विकास और बाज़ार की राजनीति' चुना. उन्होंने कहा कि ऐसे विषय को शोध विषय के रूप में चुनने का कारण सिनेमा के क्षेत्र में उनकी रुचि है. अखिल को पढ़ाई के लिए परिवार का पूरा सहयोग मिला. अखिल, सूरनाड निवासी लीला और कार्तिकेयन के बेटे हैं. उनकी पत्नी अनुश्री चंद्रन श्री शंकराचार्य विश्वविद्यालय में एक लेखिका और शोधकर्ता हैं. अखिल एक कैंपस गायक और एक अच्छे चित्रकार हैं. वह पांच वर्षों तक अपनी ही पंचायत के पंचायत सदस्य रहे.

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