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दुर्लभ बीमारी से पीड़ित बच्चे के लिए काेर्ट ने किया यह फैसला

केरल उच्च न्यायालय (Kerala High Court) ने दुर्लभ किस्म की बीमारी 'एसएमए' से ग्रस्त छह महीने के एक बच्चे की जांच के लिए चिकित्सा बोर्ड का गठन करने का मंगलवार को फैसला किया.

दुर्लभ बीमारी
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Published : Jul 6, 2021, 11:01 PM IST

कोच्चि : रीढ़ की हड्डी से संबंधित गंभीर रोग (एसएमए) से जूझ रहे 18 महीने के एक अन्य बच्चे के लिए एक दिन पहले केरल में 18 करोड़ रुपये ऑनलाइन चंदा के माध्यम से जुटाए गए थे. बच्चे के पिता की ओर से अदालत में पेश हुए वकील ने बताया कि न्यायमूर्ति पीबी सुरेश कुमार ने कहा है कि बुधवार को चिकित्सा विशेषज्ञों की पांच सदस्यीय समिति का गठन किया जाएगा.

बच्चे का पिता ऑटोरिक्शा ड्राइवर है और उन्होंने अदालत का रुख कर अपने बच्चे के निशुल्क इलाज के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया है क्योंकि इलाज पर 18 करोड़ रुपये खर्च होगा और इसके लिए उनके पास धन नहीं है. उन्होंने अदालत का रुख कर कहा है कि वह राज्य सरकार के सहयोग के बिना अपने बेटे का इलाज सुनिश्चित नहीं कर सकते.

राज्य सरकार ने अदालत में दाखिल एक बयान में कहा है कि न तो स्वास्थ्य विभाग और न ही केरल सामाजिक सुरक्षा मिशन (केएसएसएम) आरिफ के बेटे द्वारा आवश्यक इलाज, दवा की भारी लागत को वहन करने के लिए वित्तीय सहायता देने की स्थिति में है. बच्चे को कोझीकोड मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया है और वह वेंटिलेटर सपोर्ट पर है.

सरकार ने यह भी कहा है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के दुर्लभ रोग को लेकर राष्ट्रीय नीति, 2021 के अनुसार स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (एसएमए) को समूह-तीन में वर्गीकृत किया गया है, जिसके लिए उपचार की लागत बहुत अधिक है और आवश्यक धन जुटाने के लिए ऑनलाइन स्तर पर चंदा संग्रह की सिफारिश की गयी है.

इसे भी पढ़ें : केरल के मोहम्मद को दुर्लभ बीमारी SMA के लिए इलाज के लिए मिली मदद

सरकार ने आगे कहा कि राज्य में लगभग 102 मरीज एसएमए से पीड़ित हैं, जो कि एक दुर्लभ आनुवंशिक विकार है. इन मरीजों में से 42 का दवा कंपनियों के सहयोग से उपचार हुआ है.
(पीटीआई-भाषा)

कोच्चि : रीढ़ की हड्डी से संबंधित गंभीर रोग (एसएमए) से जूझ रहे 18 महीने के एक अन्य बच्चे के लिए एक दिन पहले केरल में 18 करोड़ रुपये ऑनलाइन चंदा के माध्यम से जुटाए गए थे. बच्चे के पिता की ओर से अदालत में पेश हुए वकील ने बताया कि न्यायमूर्ति पीबी सुरेश कुमार ने कहा है कि बुधवार को चिकित्सा विशेषज्ञों की पांच सदस्यीय समिति का गठन किया जाएगा.

बच्चे का पिता ऑटोरिक्शा ड्राइवर है और उन्होंने अदालत का रुख कर अपने बच्चे के निशुल्क इलाज के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया है क्योंकि इलाज पर 18 करोड़ रुपये खर्च होगा और इसके लिए उनके पास धन नहीं है. उन्होंने अदालत का रुख कर कहा है कि वह राज्य सरकार के सहयोग के बिना अपने बेटे का इलाज सुनिश्चित नहीं कर सकते.

राज्य सरकार ने अदालत में दाखिल एक बयान में कहा है कि न तो स्वास्थ्य विभाग और न ही केरल सामाजिक सुरक्षा मिशन (केएसएसएम) आरिफ के बेटे द्वारा आवश्यक इलाज, दवा की भारी लागत को वहन करने के लिए वित्तीय सहायता देने की स्थिति में है. बच्चे को कोझीकोड मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया है और वह वेंटिलेटर सपोर्ट पर है.

सरकार ने यह भी कहा है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के दुर्लभ रोग को लेकर राष्ट्रीय नीति, 2021 के अनुसार स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (एसएमए) को समूह-तीन में वर्गीकृत किया गया है, जिसके लिए उपचार की लागत बहुत अधिक है और आवश्यक धन जुटाने के लिए ऑनलाइन स्तर पर चंदा संग्रह की सिफारिश की गयी है.

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सरकार ने आगे कहा कि राज्य में लगभग 102 मरीज एसएमए से पीड़ित हैं, जो कि एक दुर्लभ आनुवंशिक विकार है. इन मरीजों में से 42 का दवा कंपनियों के सहयोग से उपचार हुआ है.
(पीटीआई-भाषा)

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