कोच्चि: केरल उच्च न्यायालय (Kerala High Court) ने कहा कि अगर पॉक्सो मामले में नाबालिग पीड़िता द्वारा शहर के एक होटल मालिक और दो अन्य के खिलाफ मजिस्ट्रेट के समक्ष दिया गया बयान विश्वसनीय पाया जाता है तो उनकी अग्रिम जमानत याचिका (dismiss accused bail pleas) खारिज कर दी जाएगी.
न्यायमूर्ति गोपीनाथ पी का यह अवलोकन तीन आरोपियों होटल के मालिक रॉय जे वायलट और उनके दोस्तों अंजलि वडक्केपुरक्कल और सिजू एम थंकाचन द्वारा अग्रिम जमानत याचिकाओं की सुनवाई के दौरान आया. जिन पर नाबालिग की मां द्वारा उनके खिलाफ छेड़छाड़ और यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया गया है. उन्होंने यह भी तर्क दिया कि शिकायत तीन महीने से अधिक की देरी के बाद दर्ज की गई है. यह घटना पिछले साल अक्टूबर में हुई थी और शिकायत इस साल जनवरी में दर्ज की गई.
शिकायतकर्ता की मां के अनुसार उसे और उसकी बेटी को एक बैठक की आड़ में होटल 18 में बुलाया गया. वहां वायला टी ने कथित तौर पर नाबालिग से छेड़छाड़ की और वीडियो भी रिकॉर्ड किया था. मां-बेटी के होटल छोड़ने के बाद वडक्केपुरक्कल ने कथित तौर पर नाबालिग के वीडियो और अन्य तस्वीरों को सोशल मीडिया पर प्रसारित किया. अभियोजन पक्ष के अनुसार नाबालिग ने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट को बयान दिया है और इसमें उसने तीनों आरोपियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं.
अदालत ने कहा कि वह मजिस्ट्रेट को आआरपीसी की धारा 164 के तहत नाबालिग के बयान की जांच करेगी. अगर उसे विश्वासयोग्य पाया जाता है तो वह उनके खिलाफ पॉक्सो मामले में तीन आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर देगी. अदालत ने यह भी कहा कि आरोपी इस स्तर पर 164 के बयान की एक प्रति प्राप्त करने के हकदार नहीं हैं और मामले को गुरुवार 24 फरवरी के सूचीबद्ध किया गया.