कोच्चि: केरल उच्च न्यायालय ने एक ईसाई महिला के मुस्लिम डीवाईएफआई नेता से शादी करने के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है. इस निर्णय ने राज्य में एक राजनीतिक तूफान पैदा किया जब उसके रिश्तेदारों ने "लव जिहाद" का आरोप लगाया. अदालत ने कहा कि जैसा कि उसने (ईसाई महिला) ने स्पष्ट रूप से बताया है कि उसे अवैध रूप से हिरासत में नहीं लिया गया है और वर्तमान में उसे अपने परिवार के साथ बातचीत में कोई दिलचस्पी नहीं है.
न्यायमूर्ति वीजी अरुण और न्यायमूर्ति सीएस सुधा की दो सदस्यीय पीठ ने महिला से बातचीत के बाद ज्योत्सना मैरी जोसेफ ने कहा, "उसने स्पष्ट रूप से कहा है कि शेजिन (डीवाईएफआई नेता) के साथ अपनी मर्जी से शादी करने का फैसला उसका स्वयं का है न कि किसी मजबूरी या दवाब के तहत लिया है. उसने यह भी बताया कि अब तक उसे अपने माता-पिता या परिवार के साथ बातचीत करने में कोई दिलचस्पी नहीं थी परंतु बाद में करेगी. अदालत ने अपने आदेश में लिखा है. इसने महिला के परिवार को यह भी बताया कि लड़की ने कहा है कि वह अपनी शादी के बाद उनसे (माता पिता) मिलने का इरादा रखती है, जिसके लिए विशेष विवाह अधिनियम के तहत एक आवेदन दायर किया गया है जो अभी विचाराधीन है. शादी से पहले वह उनसे मिलना नहीं चाहती है.
पीठ ने परिवार को बताया कि जब वह उनकी चिंताओं से अवगत है. उनकी बेटी एक 26 वर्षीय महिला है और जो सऊदी अरब में एक नर्स के रूप में काम करती थी साथ ही वह अपने निर्णय लेने में सक्षम है. उसने एक निर्णय लिया है और वह इससे विचलित नहीं हो रही है. यह उसकी इच्छा है और अब वह अपने माता-पिता से बात करना नहीं चाहती है, तो हम उसे ऐसा करने के लिए कैसे मजबूर कर सकते हैं. केरला पुलिस उसे (लड़की) उसके (माता पिता) सामने पेश करेगी.
उन्होंने समाचार चैनलों को यह भी बताया था कि जिस दिन से उनकी बेटी ने उन्हें घर छोड़ा है, उन्होंने उनमें से किसी से भी बात नहीं की है और इसलिए उनका मानना था कि उन्हें डीवाईएफआई नेता द्वारा उनकी इच्छा के विरुद्ध रोका जा रहा था. जोसेफ ने यह भी कहा था कि उनमें विश्वास की कमी है. केरल पुलिस में मामले की जांच करने के लिए और राज्य के बाहर से सीबीआई या एनआईए की तरह एक एजेंसी चाहता था, जो जांच करे कि क्या हुआ था.
महिला के रिश्तेदारों द्वारा "लव जिहाद" के आरोप के बाद अंतरधार्मिक संबंधों ने प्रदेश में एक राजनीतिक तूफान पैदा किया. इस आरोप का समर्थन करने वाले वरिष्ठ वाम दल के नेता ने बाद में अपने बयान को वापस लेने के लिए कहा. इसके बाद सीपीआई (एम) ने स्पष्ट किया कि अंतर्धार्मिक विवाहों में कुछ भी अस्वाभाविक नहीं था और 'लव जिहाद' का अभियान आरएसएस और संघ परिवार की मनगढ़ंत कहानी थी. 'लव जिहाद' दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा यह दावा करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है कि मुस्लिम पुरुष अन्य धर्मों की महिलाओं को इस्लाम में परिवर्तित करने के लिए लुभाते हैं. दंपति ने उनके परिवार के आरोपों से इनकार किया.
बता दें कि सऊदी अरब में नर्स का काम करने वाली युवती के रिश्तेदारों ने 'लव जिहाद' का आरोप लगाया है. युवती ने हाल में अपने परिवार की मर्जी के बिना DYFI के स्थानीय मुस्लिम कार्यकर्ता शेजिन से विवाह किया था. घटना के सिलसिले में कथित 'लव जिहाद' के खिलाफ तिरुवंबाडी में नन सहित ईसाई समुदाय के एक वर्ग ने प्रदर्शन किया. इस बीच, नवविवाहित दंपती ने युवती के रिश्तेदारों के आरोपों से इनकार किया. शेजिन ने कहा कि विवाह उनके प्रेम प्रसंग की स्वाभाविक परिणति है और विवाद 'गैर जरूरी' है. थॉमस ने बुधवार को पत्रकारों से कहा कि सांप्रदायिक ताकतों ने अंतर धार्मिक विवाह को 'लव जिहाद' बताने के लिए उनके शब्दों को तोड़ मरोड़ कर पेश किया. बता दें कि एक अप्रैल को युवती अपने घर से निकली थी और कई दिनों तक घर नहीं लौटी थी, इसलिए उसके परिवार ने कोडनचेरी थाने में गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई थी.
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पीटीआई