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केरल हाई काेर्ट का केंद्र से सवाल, राज्यों को क्यों नहीं दिए गए मुफ्त टीके

केंद्र सरकार की वैक्सीन नीति के खिलाफ केरल हाई काेर्ट में दाखिल एक याचिका पर साेमवार काे सुनवाई की गई है. इस दाैरान हाई काेर्ट ने सवाल उठाया कि राज्यों को मुफ्त टीके क्यों नहीं दिए गए. साथ ही यह भी पूछा कि राज्यों को मुफ्त में टीके देने के लिए क्यों कहा गया.

Kerala HC against Centres vaccine policy
Kerala HC against Centres vaccine policy
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Published : May 24, 2021, 5:01 PM IST

एर्नाकुलम : केरल हाई कोर्ट वैक्सीन मामले में केंद्र सरकार की नीति से संतुष्ट नहीं दिख रही है. हाई काेर्ट ने सवाल उठाया है कि राज्यों को मुफ्त टीके क्यों नहीं दिए गए और राज्यों को उन्हें मुफ्त में उपलब्ध कराने के लिए क्यों कहा गया.

इसके साथ केरल हाई काेर्ट ने यह भी पूछा है कि रिजर्व बैंक से अतिरिक्त राजस्व काे राहत कार्याें के लिए क्याें इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.

केंद्र सरकार ने इस पर अपना पक्ष रखते हुए अदालत को सूचित किया कि यह नीतिगत मामला है और इसे समझाने के लिए समय चाहिए. हाई कोर्ट ने इसकी सुनवाई कल तक के लिए स्थगित कर दी.

बता दें कि कोझीकोड के मूल निवासी डॉ. केपी अरविंदन व अन्य ने केंद्र सरकार की वैक्सीन नीति का विरोध करते हुए केरल हाई काेर्ट में याचिका दाखिल की थी. जस्टिस के. विनोद चंद्रन, जस्टिस एमआर अनीता की खंडपीठ ने आज मामले की सुनवाई की.

उच्च न्यायालय ने केरल में न्यायिक अधिकारियों और वकीलों के टीकाकरण को प्राथमिकता देने वाली याचिका पर भी विचार किया.

हाई कोर्ट ने कहा कि न्यायिक अधिकारियों, कोर्ट स्टाफ और हाई कोर्ट के रजिस्ट्री अधिकारियों के टीकाकरण को प्राथमिकता दी जाए. उच्च न्यायालय ने कहा है कि तिरुवनंतपुरम में एक न्यायिक अधिकारी कोविड के कारण पिछले दो सप्ताह से आईसीयू में है.

इसे भी पढ़ें : कोरोना की दवा बांटने पर गौतम गंभीर की बढ़ी मुश्किलें, हाईकोर्ट ने दिए जांच के निर्देश

अदालत ने फैसला सुनाया कि हालांकि वे मरीजों के सीधे संपर्क में नहीं थे, फिर भी वे फ्रंट-रनर माने जाने के हकदार हैं.

एर्नाकुलम : केरल हाई कोर्ट वैक्सीन मामले में केंद्र सरकार की नीति से संतुष्ट नहीं दिख रही है. हाई काेर्ट ने सवाल उठाया है कि राज्यों को मुफ्त टीके क्यों नहीं दिए गए और राज्यों को उन्हें मुफ्त में उपलब्ध कराने के लिए क्यों कहा गया.

इसके साथ केरल हाई काेर्ट ने यह भी पूछा है कि रिजर्व बैंक से अतिरिक्त राजस्व काे राहत कार्याें के लिए क्याें इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.

केंद्र सरकार ने इस पर अपना पक्ष रखते हुए अदालत को सूचित किया कि यह नीतिगत मामला है और इसे समझाने के लिए समय चाहिए. हाई कोर्ट ने इसकी सुनवाई कल तक के लिए स्थगित कर दी.

बता दें कि कोझीकोड के मूल निवासी डॉ. केपी अरविंदन व अन्य ने केंद्र सरकार की वैक्सीन नीति का विरोध करते हुए केरल हाई काेर्ट में याचिका दाखिल की थी. जस्टिस के. विनोद चंद्रन, जस्टिस एमआर अनीता की खंडपीठ ने आज मामले की सुनवाई की.

उच्च न्यायालय ने केरल में न्यायिक अधिकारियों और वकीलों के टीकाकरण को प्राथमिकता देने वाली याचिका पर भी विचार किया.

हाई कोर्ट ने कहा कि न्यायिक अधिकारियों, कोर्ट स्टाफ और हाई कोर्ट के रजिस्ट्री अधिकारियों के टीकाकरण को प्राथमिकता दी जाए. उच्च न्यायालय ने कहा है कि तिरुवनंतपुरम में एक न्यायिक अधिकारी कोविड के कारण पिछले दो सप्ताह से आईसीयू में है.

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अदालत ने फैसला सुनाया कि हालांकि वे मरीजों के सीधे संपर्क में नहीं थे, फिर भी वे फ्रंट-रनर माने जाने के हकदार हैं.

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