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केरल सरकार भी पीएफआई को प्रतिबंधित करने के लिए उठाएगी कड़े कदम - मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी

केंद्र सरकार ने जहां पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (Popular Front of India) को प्रतिबंधित संगठन घोषित कर दिया है, वहीं अब केरल सरकार पीएफआई (PFI) पर कार्रवाई करने के लिए कमर कस रही है.

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया
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Published : Sep 29, 2022, 12:43 PM IST

तिरुवनंतपुरम: केंद्र सरकार द्वारा पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (Popular Front of India) को प्रतिबंधित संगठन घोषित करने के बाद केरल सरकार (Kerala Government) ने प्रतिबंधित संगठन की गतिविधियों के खिलाफ जिला प्रशासन और पुलिस को कार्रवाई करने का अधिकार देकर इस आदेश को लागू करने की दिशा में कदम उठाए हैं. राज्य सरकार के गृह विभाग ने बुधवार को एक आदेश जारी कर कहा कि पीएफआई, उसके सहयोगी संगठनों, सहयोगियों और मोर्चों को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत गैरकानूनी संगठन घोषित किया गया है.

आदेश में कहा गया है कि राज्य सरकार ने अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए संबंधित जिलाधिकारी (डीएम) और पुलिस अधीक्षक (एसपी) को इसके लिए अधिकृत किया है. सरकारी आदेश में कहा गया है कि डीएम और एसपी अपने-अपने अधिकार क्षेत्र में यूएपीए की धारा-7 (गैरकानूनी संगठन के धन के उपयोग को प्रतिबंधित करने की शक्ति) और धारा-7 (गैरकानूनी संगठन के उद्देश्य के लिए उपयोग किए गए स्थानों को सूचित करने के अधिकार) के तहत शक्तियों का प्रयोग करेंगे.

केंद्र सरकार ने बुधवार को पीएफआई और उसके कई सहयोगियों पर कड़े आतंकवाद विरोधी कानून के तहत पांच साल का प्रतिबंध लगा दिया. पीएफआई (PFI) पर आईएसआईएस (ISIS) जैसे वैश्विक आतंकी समूहों के साथ संबंध रखने का भी आरोप है. कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) सहित विपक्षी दलों ने इस कदम की जोरदार सराहना की. यहां तक ​​​​कि सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) (Marxist Communist Party) का भी यही रुख रहा कि राजनीतिक रूप से अलग-थलग करना इस समस्या से निपटने का समाधान हो सकता है.

पढ़ें: PFI पर बैन के बाद संगठन के सोशल मीडिया एकाउंट भी हुए बंद

इस बीच, पीएफआई के राज्य नेतृत्व ने एक बयान जारी कर कहा कि गृह मंत्रालय के उस पर प्रतिबंध लगाने के फैसले के मद्देनजर संगठन को भंग कर दिया गया है. यह कदम प्रतिबंध संगठन के कार्यालयों पर राष्ट्रव्यापी छापेमारी और इसके 100 से अधिक नेताओं की गिरफ्तारी के मद्देनजर आया है, जिसके बाद पीएफआई ने 23 सितंबर को केरल में राज्यव्यापी हड़ताल का आयोजन किया था. 23 सितंबर की हड़ताल के दौरान पीएफआई कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर व्यापक हिंसा की थी.

पीएफआई के कार्यकर्ताओं ने बसों, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया था और यहां तक ​​कि उन्होंने आम लोगों पर भी हमले किए थे. राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) (National Investigation Agency) के नेतृत्व में कई एजेंसियों की टीम ने पिछले हफ्ते देश भर के 15 राज्यों में 93 स्थानों पर छापे मारी की थी और देश में आतंकवादी गतिविधियों का कथित रूप से समर्थन करने के आरोप में 100 से अधिक पीएफआई नेताओं को गिरफ्तार किया था.

(पीटीआई-भाषा)

तिरुवनंतपुरम: केंद्र सरकार द्वारा पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (Popular Front of India) को प्रतिबंधित संगठन घोषित करने के बाद केरल सरकार (Kerala Government) ने प्रतिबंधित संगठन की गतिविधियों के खिलाफ जिला प्रशासन और पुलिस को कार्रवाई करने का अधिकार देकर इस आदेश को लागू करने की दिशा में कदम उठाए हैं. राज्य सरकार के गृह विभाग ने बुधवार को एक आदेश जारी कर कहा कि पीएफआई, उसके सहयोगी संगठनों, सहयोगियों और मोर्चों को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत गैरकानूनी संगठन घोषित किया गया है.

आदेश में कहा गया है कि राज्य सरकार ने अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए संबंधित जिलाधिकारी (डीएम) और पुलिस अधीक्षक (एसपी) को इसके लिए अधिकृत किया है. सरकारी आदेश में कहा गया है कि डीएम और एसपी अपने-अपने अधिकार क्षेत्र में यूएपीए की धारा-7 (गैरकानूनी संगठन के धन के उपयोग को प्रतिबंधित करने की शक्ति) और धारा-7 (गैरकानूनी संगठन के उद्देश्य के लिए उपयोग किए गए स्थानों को सूचित करने के अधिकार) के तहत शक्तियों का प्रयोग करेंगे.

केंद्र सरकार ने बुधवार को पीएफआई और उसके कई सहयोगियों पर कड़े आतंकवाद विरोधी कानून के तहत पांच साल का प्रतिबंध लगा दिया. पीएफआई (PFI) पर आईएसआईएस (ISIS) जैसे वैश्विक आतंकी समूहों के साथ संबंध रखने का भी आरोप है. कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) सहित विपक्षी दलों ने इस कदम की जोरदार सराहना की. यहां तक ​​​​कि सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) (Marxist Communist Party) का भी यही रुख रहा कि राजनीतिक रूप से अलग-थलग करना इस समस्या से निपटने का समाधान हो सकता है.

पढ़ें: PFI पर बैन के बाद संगठन के सोशल मीडिया एकाउंट भी हुए बंद

इस बीच, पीएफआई के राज्य नेतृत्व ने एक बयान जारी कर कहा कि गृह मंत्रालय के उस पर प्रतिबंध लगाने के फैसले के मद्देनजर संगठन को भंग कर दिया गया है. यह कदम प्रतिबंध संगठन के कार्यालयों पर राष्ट्रव्यापी छापेमारी और इसके 100 से अधिक नेताओं की गिरफ्तारी के मद्देनजर आया है, जिसके बाद पीएफआई ने 23 सितंबर को केरल में राज्यव्यापी हड़ताल का आयोजन किया था. 23 सितंबर की हड़ताल के दौरान पीएफआई कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर व्यापक हिंसा की थी.

पीएफआई के कार्यकर्ताओं ने बसों, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया था और यहां तक ​​कि उन्होंने आम लोगों पर भी हमले किए थे. राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) (National Investigation Agency) के नेतृत्व में कई एजेंसियों की टीम ने पिछले हफ्ते देश भर के 15 राज्यों में 93 स्थानों पर छापे मारी की थी और देश में आतंकवादी गतिविधियों का कथित रूप से समर्थन करने के आरोप में 100 से अधिक पीएफआई नेताओं को गिरफ्तार किया था.

(पीटीआई-भाषा)

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