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विधानसभा हंगामा मामला : केरल सरकार ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा - Assembly ruckus case

केरल के शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी (Kerala Education Minister V. Shivankutty) के लिए महत्वपूर्ण दिन आने वाले हैं, क्योंकि केरल सरकार ने छह वाम विधायकों के खिलाफ दर्ज 2015 में विधानसभा में तोड़फोड़ ( Assembly ruckus ) करने के आरोप मामले को वापस लेने की याचिका खारिज करने वाले उच्च न्यायालय के फैसले को वापस लेने के लिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है.

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Published : Jun 26, 2021, 5:52 PM IST

तिरुवनंतपुरम : केरल सरकार (Kerala government) की याचिका को मंगलवार के लिए शीर्ष अदालत में सूचीबद्ध किया गया है और अगर अदालत उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखती है कि सभी छह विधायकों को मुकदमे का सामना करना पड़ेगा, तो शिवनकुट्टी मुश्किल में पड़ सकते हैं और राज्य मंत्री के रूप में उनकी स्थिति को अस्थिर कर सकते हैं.

विधानसभा में संपत्तियों को पहुंचाया था नुकसान
उच्च न्यायालय ने पिछले साल सितंबर में उनकी याचिका खारिज कर दी और मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें सभी आरोपियों को मुकदमे का सामना करने को कहा गया था. आरोपियों की सूची में राज्य के पूर्व मंत्री ई.पी. जयराजन, के.टी. जलील और उसके बाद के चार विधायक जिनकी पहचान 13 मार्च, 2015 को विधानसभा में संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने के लिए की गई थी.अन्य में के. कुंजू अहमद, सी.के. सदाशिवन और के. अजित, जो अब विधायक नहीं हैं और जयराजन भी हैं, जबकि जलील अभी विधायक हैं.

विपक्ष द्वारा की गई थी बहुत सारी गलतियां
यह शिवनकुट्टी के पत्र के बाद मुख्यमंत्री पिनराई विजयन (Chief Minister Pinarayi Vijayan) को मामले को वापस लेने की मांग कर रहे थे. अपराध शाखा पुलिस जांच में पता चला कि तत्कालीन विपक्ष द्वारा बहुत सारी गलतियां की गई थीं. विजयन सरकार के इस कदम के बाद, तत्कालीन विपक्ष के नेता रमेश चेन्नीथला ने याचिका में यह कहते हुए पैरवी की कि मामले को वापस नहीं लिया जाना चाहिए क्योंकि जिम्मेदार लोगों द्वारा सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट कर दिया गया था.

वामपंथी विधायकों ने स्पीकर की कुर्सी को मंच से बाहर फेंक दिया था
यह तोड़फोड़ 13 मार्च 2015 को हुई थी, जब तत्कालीन राज्य के वित्त मंत्री के.एम. मणि नए वित्तीय वर्ष के लिए राज्य का बजट पेश कर रहे थे. तत्कालीन माकपा के नेतृत्व वाले विपक्ष ने कड़ा रुख अपनाया था कि मणि, जिन पर बंद बार को फिर से खोलने के लिए एक बार के मालिक से एक करोड़ रुपये की रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया था, उन्हें बजट पेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी. जब मणि ने अपना भाषण शुरू किया, तो वामपंथी विधायकों ने स्पीकर की कुर्सी को मंच से बाहर फेंक दिया और उनकी मेज पर इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को भी नुकसान पहुंचाया. घटना के बाद तत्कालीन स्पीकर एन. सक्थान ने क्राइम ब्रांच पुलिस जांच की मांग की थी.

इसे भी पढ़ें :केरल सरकार ने हाईकोर्ट में कहा- केंद्र की टीकाकरण नीति काला बाजारी को बढ़ावा दे रही
बता दें कि 2020 के बाद से दिवंगत के.एम. मणि की पार्टी - केरल कांग्रेस (एम), अब उनके बेटे जोस के मणि के नेतृत्व में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ से बाहर हो गई और वर्तमान में विजयन सरकार की तीसरी सबसे बड़ी सहयोगी है.

(आईएएनएस)

तिरुवनंतपुरम : केरल सरकार (Kerala government) की याचिका को मंगलवार के लिए शीर्ष अदालत में सूचीबद्ध किया गया है और अगर अदालत उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखती है कि सभी छह विधायकों को मुकदमे का सामना करना पड़ेगा, तो शिवनकुट्टी मुश्किल में पड़ सकते हैं और राज्य मंत्री के रूप में उनकी स्थिति को अस्थिर कर सकते हैं.

विधानसभा में संपत्तियों को पहुंचाया था नुकसान
उच्च न्यायालय ने पिछले साल सितंबर में उनकी याचिका खारिज कर दी और मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें सभी आरोपियों को मुकदमे का सामना करने को कहा गया था. आरोपियों की सूची में राज्य के पूर्व मंत्री ई.पी. जयराजन, के.टी. जलील और उसके बाद के चार विधायक जिनकी पहचान 13 मार्च, 2015 को विधानसभा में संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने के लिए की गई थी.अन्य में के. कुंजू अहमद, सी.के. सदाशिवन और के. अजित, जो अब विधायक नहीं हैं और जयराजन भी हैं, जबकि जलील अभी विधायक हैं.

विपक्ष द्वारा की गई थी बहुत सारी गलतियां
यह शिवनकुट्टी के पत्र के बाद मुख्यमंत्री पिनराई विजयन (Chief Minister Pinarayi Vijayan) को मामले को वापस लेने की मांग कर रहे थे. अपराध शाखा पुलिस जांच में पता चला कि तत्कालीन विपक्ष द्वारा बहुत सारी गलतियां की गई थीं. विजयन सरकार के इस कदम के बाद, तत्कालीन विपक्ष के नेता रमेश चेन्नीथला ने याचिका में यह कहते हुए पैरवी की कि मामले को वापस नहीं लिया जाना चाहिए क्योंकि जिम्मेदार लोगों द्वारा सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट कर दिया गया था.

वामपंथी विधायकों ने स्पीकर की कुर्सी को मंच से बाहर फेंक दिया था
यह तोड़फोड़ 13 मार्च 2015 को हुई थी, जब तत्कालीन राज्य के वित्त मंत्री के.एम. मणि नए वित्तीय वर्ष के लिए राज्य का बजट पेश कर रहे थे. तत्कालीन माकपा के नेतृत्व वाले विपक्ष ने कड़ा रुख अपनाया था कि मणि, जिन पर बंद बार को फिर से खोलने के लिए एक बार के मालिक से एक करोड़ रुपये की रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया था, उन्हें बजट पेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी. जब मणि ने अपना भाषण शुरू किया, तो वामपंथी विधायकों ने स्पीकर की कुर्सी को मंच से बाहर फेंक दिया और उनकी मेज पर इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को भी नुकसान पहुंचाया. घटना के बाद तत्कालीन स्पीकर एन. सक्थान ने क्राइम ब्रांच पुलिस जांच की मांग की थी.

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बता दें कि 2020 के बाद से दिवंगत के.एम. मणि की पार्टी - केरल कांग्रेस (एम), अब उनके बेटे जोस के मणि के नेतृत्व में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ से बाहर हो गई और वर्तमान में विजयन सरकार की तीसरी सबसे बड़ी सहयोगी है.

(आईएएनएस)

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